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28 मार्च तक चलेगी पं. प्रदीप मिश्रा की कथा, खचाखच भर गए पांडाल

पंडित प्रदीप मिश्रा की संगीतमय श्री शिव महापुराण कथा मध्यप्रदेश के धार जिले में स्थित कोद में कोटेश्वर धाम तीर्थ पर चल रही है, कथा के दौरान पंडित प्रदीप मिश्रा ने श्रद्धालुओं को एक लोटा जल का महत्व बताते हुए कहा कि जब महादेव बुलाते हैं तभी हम मंदिर जा पाते हैं.

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28 मार्च तक चलेगी पं. प्रदीप मिश्रा की कथा, खचाखच भर गए पांडाल

28 मार्च तक चलेगी पं. प्रदीप मिश्रा की कथा, खचाखच भर गए पांडाल

कोद. पंडित प्रदीप मिश्रा की संगीतमय श्री शिव महापुराण कथा मध्यप्रदेश के धार जिले में स्थित कोद में कोटेश्वर धाम तीर्थ पर चल रही है, कथा के दौरान पंडित प्रदीप मिश्रा ने श्रद्धालुओं को एक लोटा जल का महत्व बताते हुए कहा कि जब महादेव बुलाते हैं तभी हम मंदिर जा पाते हैं और एक लोटा जल चढ़ाते हैं, एक लोटा जल हर समस्या का हल है। पंडित प्रदीप मिश्रा की कथा 28 मार्च तक प्रतिदिन दोपहर 2 बजे से शाम 5 बजे तक चलेगी।

प्रसिद्ध कोटेश्वर महादेव मंदिर परिसर में आयोजित श्री पंचपुष्प शिव महापुराण कथा के दूसरे दिन श्रोताओं की संख्या लगभग दोगुनी हो गई। इनमें 80 प्रतिशत से अधिक तादाद महिलाओं की थी। जिन्होंने भाव विभोर होकर रसमयी कथा का आनंद लिया। शिव महापुराण कथा की शुरुआत में जब पंडित मिश्रा ने वर्तमान हालातों में घर-घर की कहानी की चर्चा की तो महिलाएं सुबकने लगी और उनकी आंखों से अश्रु धारा बह निकली। उन्होंने कहा कि हम पर भक्ति का रंग तभी चढ़ता है। जब मुक्ति की चाहत रहती है। यदि भक्ति पर विश्वास बढ़ता है तो यह माना जाना चाहिए कि हम पर परमात्मा की कृपा अवश्य है। उन्होंने कहा कि श्रोता तपती धूप में यहां सुबह से आकर बैठते हैं तो कथा को अपने दिल में बैठाना चाहिए। तभी इसका पुण्य मिलेगा। कथा प्रारंभ में आयोजक शरद सिंह सिसौदिया एवं परिजनों ने पांडाल भ्रमण कर श्रोताओं का अभिवादन किया।

निर्णय भोलेनाथ पर छोड़ देना चाहिए

पंडित मिश्रा ने कहा कि फूलों के बारे में हमें जो अच्छा लगता है । उसे तोड़ कर अपने पास रखते हैं और मृत्यु लोक में भगवान शिव को जो पुष्प अच्छा लगता है अपने पास रख लेते हैं। हम महादेव को एक लोटा जल चढ़ाने मंदिर जाते हैं पर यह समझना चाहिए कि महादेव बुलाते हैं तभी हम वहां जा पाते हैं। उनकी कृपा होना जरूरी है। अर्जुन से यह बात सीखना चाहिए कि हमें जीवन में कोई भी प्रबल निर्णय लेकर बाकी निर्णय भोलेनाथ पर छोड़ देना चाहिए। अर्जुन ने बड़ा निर्णय लेते हुए कहा था कि मुझे कृष्ण चाहिए। जब कृष्ण अर्जुन के हो गए तो फिर बाकी तमाम निर्णय कृष्ण ने लिए। उन्होंने भगवान को अपना बना लिया तो फिर बाकी निर्णय उस पर छोड़ देना चाहिए।

माता-पिता, गुरु, सन्यासी के चरण पकड़ो

कभी माता-पिता, गुरु, संत सन्यासी का शीश नहीं उनके चरणों को देखा जाता है। जिसने इनके चरणों को पकड़ लिया समझो वह भवसागर पार हो गया। बड़ों की बात मान लेता है वह एक दिन बड़ा बन जाता है। इसी तारतम्य में कहा कि आज घर में बहू को सास ,ससुर की बात बुरी लगती है और पड़ोसन की कही बात अच्छी लगती है। घर के बड़ों की बात मानने लग जाओगे तो छोटे नहीं रहोगे।

मन दुखे ऐसी वाणी कभी नहीं बोलना चाहिए

वाणी बोलते समय संयम बरतने की भी सलाह दी। कहा कि वाणी का घाव इतना विचित्र होता है कि वह जिंदगी भर नहीं भरता। मन दुखे ऐसी वाणी कभी नहीं बोलना चाहिए। जमीन पर दरार पड़ती है तो बारिश का पानी भर देता है और फटा हुआ कपड़ा भी सुई धागे से जुड़ जाता है किंतु वाणी का घाव कभी नहीं भरता। दूसरे दिन केबिनेट मंत्री राजवर्धन सिंह दत्तीगांव, बडनगर विधायक मुरली मोरवाल, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष मनोज सिंह गौतम, मनोज सोमानी, कमल सिंह पटेल, टिंकू बना, रीना सिसौदिया, राजवीर सिंह, चंद्रवीर सिंह, शिवांजली, कर्मवीर सिंह सहित अनेक पुजारी, प्रशासनिक अधिकारीद्व सेवादार उपस्थित थे। समापन पर आरती का लाभ आयोजक शरदसिंह सिसौदिया परिवार एवं उद्योग मंत्री राजवर्धन सिंह दत्तीगांव ने लिया। यह जानकारी आयोजन समिति के मीडिया प्रभारी गोवर्धन सिंह डोडिया ने दी।

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