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पांच सौ में से साढ़े तीन सौ प्रसूताओं को चढ़ाना पड़ती है खून की बोतलें

जिला अस्पताल आने वाली हर प्रसूता में रहती है खून की कमी, मां के साथ बच्चों को भी झेलना पड़ती है कमजोरी

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धार

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atul porwal

Jun 10, 2019

Dhar

Dhar

धार.
अगस्त महीने में भूरी बाई को दूसरी डिलेवरी है, लेकिन उसका हिमोग्लोबिन केवल 6 ग्राम है। सासु सुशीला बाई का कहना है कि परिवार में खाने पिने की कमी नहीं है, लेकिन बहू दवाईयां खाने में लापरवाही करे तो परिवार वाले क्या कर सकते हैं। भूरी बाई पति रवि की उम्र करीब 28 वर्ष है, जो छटिया(आहू) की रहने वाली है। डॉक्टर ने जांच के बाद भूरी की दूसरी डिलेवरी 2 अगस्त के आसपास बताई है, जो करीब तीन वर्ष पूर्व एक बच्ची को जन्म दे चुकी है। तब भी भूरी खून की कमी से परेशान थी। हालांकि खून की पूर्ति करने के लिए अब तक दो बोतल खून की चढ़ाई जा चुकी है, जिसें डिलेवरी से पहले रक्त पूर्ति के लिए एक बोतल और खून देना पड़ेगा।
जिला अस्पताल से मिली जानकारी के अनुसार प्रसूति के लिए आने वाली प्रत्येक प्रसूता में खून की कमी रहती है, जो खान पानी और दवाई खाने की लापरवाही है। अस्पताल आने वाली 500 प्रसूताओं में से लगभग 350 को खून की बोतलें चढ़ाना पड़ती है। डॉ. सुधीर मोदी के अनुसार मां में खून की कमी में जन्मे बच्चे भी कमजोर होते हैं और करीब 20 वर्ष की उम्र में ही वे डायबिटिक हो जाते हैं। शुगर की समस्या से ग्रसित बच्चों का दिमागी रूप से विकसित नहीं हो सकते और उन्हें कई बिमारियां पकड़ लेती हैं। डॉ. मोदी के अनुसार प्रसूता का हिमोग्लोबिन कम से कम ११ मिली ग्राम होना जरूरी है।
523 में से 358 को देना पड़ा खून
अस्पताल से मिली जानकारी के अनुसार मई माह में कुल 523 डिलेवरी हुई, जिनमें से 358 प्रसूताएं ऐसी थी, जिन्हें डिलेवरी से पहले खून देना पड़ा। इनमें से 62 डिलेवरी ऑपरेशन से हुई, जो सभी खून की कमी से ग्रसित रही।

जरूरी
गर्भवती महिलाओं को बढ़ते शिशु के लिए भी रक्त निर्माण करना पड़ता है। इसलिए गर्भवती महिलाओं को एनीमिया होने की संभावना होती है।

खून की कमी मतलब एनीमिया
- एनीमिया एक गंभीर बीमारी है। इसके कारण महिलाओं को अन्य बीमारियां होने की संभावना और बढ़ जाती है।
- एनीमिया से पीडि़त महिलाओं की प्रसव के दौरान मरने की संभावना सबसे अधिक होती है।

ऐसे पता चलता है कि एनीमिया से ग्रसित है
- त्वचा का सफेद दिखना।
- जीभ, नाखूनों एवं पलकों के अंदर सफेदी।
- कमजोरी एवं बहुत अधिक थकावट।
- लेटकर एवं बैठकर उठने में चक्कर आना।
- बेहोश होना।
- सांस फूलना।
- धडक़न बढऩा।
- चेहरे एवं पैरों पर सूजन दिखाई देना।

इसलिए होता है एनीमिया
- सबसे प्रमुख कारण लौह तत्व वाली चीजों का उचित मात्रा में सेवन न करना।
- किसी भी कारण रक्त में कमी, जैसे शरीर से खून निकलना (दुर्घटना, चोट, घाव आदि में अधिक खून बहना)।
- शौच, उल्टी, खांसी के साथ खून का बहना।
- माहवारी में अधिक मात्रा में खून जाना।
- पेट के कीड़ों व परजीवियों के कारण खूनी दस्त लगना।
- पेट के अल्सर से खून जाना।
- बार-बार गर्भ धारण करना।

उपचार तथा रोकथाम
- अगर एनीमिया मलेरिया या परजीवी कीड़ों के कारण है, तो पहले उनका इलाज करें।
- लौह तत्वयुक्त चीजों का सेवन करें।
- गर्भवती महिलाओं एवं किशोरी लड़कियों को नियमित रूप से 100 दिन तक लौह तत्व व फॉलिक एसिड की 1 गोली रोज रात को खाने के बाद लेनी चाहिए।
- जल्दी-जल्दी गर्भधारण से बचना चाहिए।
- भोजन के बाद चाय के सेवन से बचें, क्योंकि चाय भोजन से मिलने वाले जरूरी पोषक तत्वों को नष्ट करती है।
- संक्रमण से बचने के लिए स्वच्छ पेयजल ही इस्तेमाल करें।
- स्वच्छ शौचालय का प्रयोग करें।
- खाना लोहे की कड़ाही में पकाएं।