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अक्षय तृतीया के दिन ये काम करने से आप भी बन सकते हैं दानवीर राजा

अक्षय तृतीया के दिन ये काम करने से आप भी बन सकते हैं दानवीर राजा

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भोपाल

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Shyam Kishor

Apr 26, 2019

akshaya tritiya

अक्षय तृतीया के दिन ये काम करने से आप भी बन सकते हैं दानवीर राजा

अक्षय तृतीया की अनेक व्रत कथाएं प्रचलित हैं। ऐसी ही एक कथा के अनुसार, प्राचीन काल में एक धर्मदास नामक वैश्य था। उसकी सदाचार, देव और ब्राह्मणों के प्रति काफी श्रद्धा थी। इस व्रत के महात्म्य को सुनने के पश्चात उसने इस पर्व के आने पर गंगा में स्नान करके विधिपूर्वक देवी-देवताओं की पूजा की, व्रत के दिन स्वर्ण, वस्त्र तथा दिव्य वस्तुएं ब्राह्मणों को दान में दी।

ऐसा करके आप भी बन सकते है धनवान
अनेक रोगों से ग्रस्त तथा वृद्ध होने के बावजूद भी उसने उपवास करके धर्म-कर्म और दान पुण्य किया। यही वैश्य दूसरे जन्म में कुशावती का राजा बना। कहते हैं कि अक्षय तृतीया के दिन किए गए दान व पूजन के कारण वह बहुत धनी प्रतापी बन गया। वह इतना धनी और प्रतापी राजा था कि त्रिदेव तक उसके दरबार में अक्षय तृतीया के दिन ब्राह्मण का वेष धारण करके उसके महायज्ञ में शामिल होते थे। अपनी श्रद्धा और भक्ति का उसे कभी घमंड नहीं हुआ और महान वैभवशाली होने के बावजूद भी वह धर्म मार्ग से विचलित नहीं हुआ। एक प्रचलित कथानुसार, यही राजा आगे चलकर राजा चंद्रगुप्त के रूप में पैदा हुआ।

परशुराम जयंती
स्कंद पुराण और भविष्य पुराण में उल्लेख है कि वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को रेणुका के गर्भ से भगवान विष्णु ने परशुराम रूप में जन्म लिया। कोंकण और चिप्लून के परशुराम मंदिरों में अक्षय तृतीया को परशुराम जयंती बड़ी धूमधाम से मनाई जाती है। दक्षिण भारत में परशुराम जयंती को विशेष महत्व दिया जाता है। परशुराम जयंती होने के कारण इस तिथि में भगवान परशुराम के आविर्भाव की कथा भी सुनी जाती है। इस दिन परशुराम जी की पूजा करके उन्हें अर्घ्य देने का बड़ा माहात्म्य माना गया है।

इस दिन सौभाग्यवती स्त्रियां और क्वारी कन्याएं इस दिन गौरी-पूजा करके मिठाई, फल और भीगे हुए चने बांटती हैं, गौरी-पार्वती की पूजा करके धातु या मिट्टी के कलश में जल, फल, फूल, तिल, अन्न आदि लेकर दान करती हैं। ऐसा करने बहुत सारे पुण्य की प्राप्ति के साथ धन, वैभव भी मिलता हैं।

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