
shiv parvati mahadev
माना जाता है कि भगवान शिव की पूजा से समस्त कष्ट टलते हैं परन्तु आपको यह नहीं मालूम होगा कि समस्त शिव भक्तों को एक शाप भी मिला हुआ है जिसके पूरा होने पर सौभाग्य को दु्र्भाग्य में बदलते देर नहीं लगती।
ये हैं पूरी कथा
शिव पुराण की कथा के अनुसार एक बार सती के पिता दक्ष ने महान धार्मिक आयोजन किया था। उसमें महादेव भी आए हुए थे परन्तु उन्होंने अपने ईश्वर होने की मर्यादा का पालन करते हुए दक्ष को प्रणाम नहीं किया था। इसका दक्ष बुरा मान गए। उन्होंने कहा कि भगवान होने के नाते न सही, उनका दामाद होने के नाते शिव को प्रणाम करना चाहिए था।
शिव तथा ब्राह्मणों को मिला शाप
नाराज होकर दक्ष ने शिव को शाप दिया कि उन्हें कभी भी किसी भी यज्ञ में कोई भाग नहीं मिलेगा। महादेव को शाप मिलने से नाराज नन्दी ने दक्ष को बकरे जैसी देह धारण करने तथा जीवन भर कामी और अभिमानी बन जीवन भर अपमानित होने का शाप दे दिया। नन्दी ने धार्मिक आयोजन में मौजूद सभी ब्राह्मणों को भी शाप देते हुए कहा कि ये सभी विद्वान तथा ज्ञानी होने पर भी बुढ़ापे में ज्ञान रहित हो जाए तथा दरिद्र होकर जीवनयापन करें। इन्हें अपने जीवनयापन हेतु सभी जातियों के घर-घर जाकर भीख मांगनी पड़़ी।
शिव भक्तों को भी लेना पड़ा शाप
नन्दी के शाप से क्रोधित हो भृगु ऋषि ने भी समस्त शिव भक्तों को श्राप दिया कि जो कोई भी शिवजी का व्रत तथा पूजन करेगा, वे सभी वेद-शास्त्रों से विपरीत चलेंगे। जटा धारण कर भस्म मलकर शिव के साधक बनेंगे। वे लोग मदिरा, मांस भक्षण करने वाले और कनफटे होंगे। उनका निवास स्थान श्मशान होगा।
आज भी अघोर रूप में रहते हैं भगवान महादेव
भगवान शिव ने भृगु ऋषि के इस शाप को स्वीकार करते हुए अघोर रूप ले लिया तथा सृष्टि के अंत तक जीवन पर रहने का निर्णय किया। शिवभक्त अघोरी भी शाप की पालना करते हुए श्मशान में ही रहते हैं। शरीर पर भस्म रमाते हैं और तंत्र मार्ग पर चलते हुए वामाचार से ईश्वर आराधना करते हैं।
Published on:
24 Apr 2016 07:37 pm
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