
विवाह से पूर्व इस दिन हुआ था भगवान शिव और मां पार्वती का तिलक समारोह
शास्त्रों में ऐसा उल्लेख आता हैं कि देवों के देव भगवान महादेव एवं जगत जननी माता पार्वती जी का जब विवाह के लिए रिस्ता तय हुआ था और विवाह सम्पन्न होने से पूर्व दोनों का जिस दिन तिलक (सगाई) का समारोह सम्पन्न हुआ था उस दिन हिन्दू धर्म में मनाये जाने वाला एक महत्वपूर्ण पर्व त्यौहार का दिन भी था । पहले इस पर्व को इतना महत्व नहीं दिया जाता था, लेकिन शिवजी और पार्वती जी का तिलक इस दिन होने के कारण इस पर्व को एक बड़े हर्षोल्लास के साथ उत्सव के रूप में मनाया जाने लगा ।
धार्मिक परमपरा के अनुसार जब भगवान शिवजी एवं माता पार्वती जी के विवाह से पूर्व जब उनकी सगाई अर्थात तिलक समारोह का आयोजन देवताओं द्वारा किया गया था उस दिन माघ मास के शुक्ल पक्ष की बसंत पंचमी तिथि यानी की हर्षोल्लास का पर्व बसंत पंचमी का पर्व था । तभी से इस पर्व को एक बड़े उत्सव के रूप में मनाया जाने लगा ।
ऐसी मान्यता हैं कि बसंत पंचमी के दिन विधि विधान पूर्वक भगवान शिवजी एवं माता पार्वती जी की पूजा आराधना करने से अविवाहितों को मनचाहे जीवन साथी की प्राप्ति होती हैं । इस दिन इच्छा पूर्ति के लिए दोपहर के समय शंकर जी एवं पार्वती जी का षोडशोपचार विधि से पूजन करना चाहिए । पूजन में दोनों को पीले फूलों की माला, पीले फूल, पीले चावल, पीले दुपट्टे अर्पित कर पीले प्रसाद का भोग लगाने से मां पार्वती और भगवान शिवजी की कृपा से मनचाहा जीवन साथी मिलने के योग बन जाते हैं ।
अगर इस दिन शिव मंदिर में जाकर भगवान शिवजी का ताजे गन्ने के रस से अभिषेक किया जाय तो धन संबंधित अनेक मनोकामनाएं पूरी होने लगती हैं । अभिषेक करते समय 108 या फिर 501 बार ऊँ नमः शिवाय इस पंचाक्षरी मंत्र का जप करते रहना चाहिए ।
Published on:
07 Feb 2019 02:21 pm
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