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तुलसीकृत रामायण में लिखी है कोरोना वायरस की भविष्यवाणी!

Published: Apr 20, 2020 03:42:26 pm

Submitted by:

Shyam

रामायण में कोरोना वायरस की भविष्यवाणी

तुलसीकृत रामायण में लिखी है कोरोना वायरस की भविष्यवाणी!

तुलसीकृत रामायण में लिखी है कोरोना वायरस की भविष्यवाणी!

इन दिनों हिंदुस्तान सहित पूरी दुनिया COVID-19 (कोरोना वायरस) महामारी से जूझ रही है। दुनिया के हजारों लोगों को कोरोना महामारी ने असमय ही अपना ग्रास बना लिया। इस कोरोना वायरस के बारे में सदियों पहले ही गोस्वामी तुलसीदास जी ने परम पवित्र ग्रंथ रामायण में लिख दिया था। रामचरित मानस में कोरोना महामारी का कारण और बीमारी के लक्ष्णों के बारे में बताया गया है।

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श्रीरामचरित्रमानस रामायण में गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामायण में कोरोना नामक महामारी का मूल स्रोत चमगादड पक्षी रहेगा, के विषय में पहले ही लिख दिया था। साथ ही लिखा है कि इस बीमारी को पहचाने का लक्ष्ण क्या है। तुलसीदास जी लिखते हैं-

सब कै निंदा जे जड़ करहीं। ते चमगादुर होइ अवतरहीं॥

सुनहु तात अब मानस रोगा। जिन्ह ते दु:ख पावहिं सब लोगा॥

कोरोना महामारी के लक्षणों के बारे में वे अगले दोहे में लिखते हैं कि इस बीमारी में कफ़ और खांसी बढ़ जायेगी और फेफड़ों में एक जाल या आवरण उत्पन्न होगा या कहें lungs congestion जैसे लक्षण उत्पन्न हो जायेंगे।

“मोह सकल ब्याधिन्ह कर मूला। तिन्ह ते पुनि उपजहिं बहु सूला।।

काम बात कफ लोभ अपारा। क्रोध पित्त नित छाती जारा।।

तुलसीकृत रामायण में लिखी है कोरोना वायरस की भविष्यवाणी!

गोस्वामी जी आगे ये भी लिखते हैं कि इनसब के मिलने से “सन्निपात” या टाइफाइड रोग होगा जिससे लोग बहुत दुःख पायेंगे-

प्रीति करहिं जौं तीनिउ भाई। उपजइ सन्यपात दुखदाई।।

बिषय मनोरथ दुर्गम नाना। ते सब सूल नाम को जाना।।

जुग बिधि ज्वर मत्सर अबिबेका।

कहँ लागि कहौं कुरोग अनेका।।

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आगे तुलसीदास जी लिखते हैं-

“एक ब्याधि बस नर मरहिं ए असाधि बहु ब्याधि।

पीड़हिं संतत जीव कहुँ सो किमि लहै समाधि॥

जब ऐसी एक बीमारी की वजह से लोग मरने लगेंगे, भविष्य में ऐसी अनेकों बिमारियां आने को हैं ऐसे में आपको कैसे शान्ति मिल पाएगी। आगे लिखते हैं

“नेम धर्म आचार तप ग्यान जग्य जप दान।

भेषज पुनि कोटिन्ह नहिं रोग जाहिं हरिजान॥

तुलसीकृत रामायण में लिखी है कोरोना वायरस की भविष्यवाणी!

इन सब के परिणाम स्वरुप क्या होगा गोस्वामी जी लिखते हैं :-

एहि बिधि सकल जीव जग रोगी। सोक हरष भय प्रीति बियोगी॥

मानस रोग कछुक मैं गाए। हहिं सब कें लखि बिरलेन्ह पाए॥1॥

इस प्रकार सम्पूर्ण विश्व के जीव जीव रोग ग्रस्त हो जायेंगे, जो शोक, हर्ष, भय, प्रीति और अपनों के वियोग के कारण और दुखी होते जायेंगे।

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इस महामारी से मुक्ति कैसे मिलेगी- इस विषय पर गोस्वामी जी लिखते हैं-

“राम कृपाँ नासहिं सब रोगा। जौं एहि भाँति बनै संजोगा॥

सदगुर बैद बचन बिस्वासा। संजम यह न बिषय कै आसा॥

रघुपति भगति सजीवन मूरी। अनूपान श्रद्धा मति पूरी॥

एहि बिधि भलेहिं सो रोग नसाहीं। नाहिं त जतन कोटि नहिं जाहीं॥

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