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Devotthan Ekadashi: कब है देवोत्थान एकादशी, जानिए कैसे करते हैं तुलसी विवाह

Devotthan Ekadashi 2023 कार्तिक शुक्ल एकादशी यानी देवउठनी एकादशी पर चार माह से सोये देव जाग जाएंगे। इसके बाद से हिंदू धर्म मानने वालों के यहां मांगलिक कार्य शुरू हो जाएंगे। इस अबूझ मुहूर्त में शादी विवाह की भी परंपरा है, जिसकी शुरुआत तुलसी शालिग्राम विवाह से होती है तो आइये जानते हैं देवउठनी एकादशी पर कैसे करें तुलसी विवाह का आयोजन..

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Pravin Pandey

Nov 20, 2023

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देवोत्थान एकादशी 23 को, जानिए कैसे करेंगे तुलसी विवाह

कब है देवोत्थान एकादशी
एकादशी तिथि आरंभः 22 नवंबर 2023 को देर रात 02:33 बजे (23 नवंबर सुबह)
एकादशी तिथि समाप्तः 23 नवंबर 2023 को देर रात 12:31 बजे (24 नवंबर सुबह)
देवोत्थान एकादशीः बृहस्पतिवार 23 नवंबर 2023
पारण (व्रत तोड़ने का) समयः 24 नवंबर सुबह 06:45 बजे से सुबह 08:47 बजे के बीच
पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समयः रात 10:36 बजे तक

इस दिन शुभ योग
सर्वार्थ सिद्धि योगः 23 नवंबर रात 8.46 बजे से 24 नवंबर सुबह 06:45 बजे तक
रवि योगः 23 नवंबर को सुबह 06:44 बजे से रात 08:46 बजे तक

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तुलसी विवाह का आयोजन
1. इस दिन ऐसे लोग जो कन्यादान करना चाहते हैं, वे व्रत रखते हैं और शालिग्राम की ओर से पुरुष एकत्रित होते हैं।
2. देवोत्थान एकादशी पर अभिजीत मुहूर्त या गोधुली वेला में तुलसी विवाह का आयोजन किया जाता है।
3. इसके लिए जो लोग तुलसी विवाह का आयोजन करते हैं, वे स्नान आदि से निवृत्त होकर तैयार होते हैं और विवाह पूजा की तैयारी करते हैं।
4. इसके बाद आंगन में चौक सजाया जाता है, यहीं पर चौकी स्थापित करते हैं। आंगन नहीं है तो मंदिर या छत पर भी तुलसी विवाह करा सकते हैं।
5. इसके बाद अष्टदल कमल बनाकर चौकी पर शालिग्राम को स्थापित करें और उनका श्रृंगार करें।
6. अष्टदल कमल पर कलश स्थापित करने के बाद कलश में जल भरें, कलश पर सातीया बनाएं, कलश पर आम के पांच पत्ते वृत्ताकार रखें, नारियल लपेटकर आम के पत्तों के ऊपर रख दें।
7. अब लाल या पीला कपड़ा पहनकर तुलसी के गमले को गेरू से सजाएं और इससे शालिग्राम की चौकी के दाएं ओर रख दें।
8. गमले और चौकी के आसपास रंगोली या मांडना बनाएं, घी का दीपक जलाएं।


9. इसके बाद गंगाजल में फूल डुबाकर ॐ तुलसाय नमः मंत्र का जाप करते हुए माता तुलसी और शालिग्राम पर गंगाजल का छिड़काव करें।
10. अब माता तुलसी को रोली और शालिग्राम को चंदन का तिलक लगाएं।
11. तुलसी और शालिग्राम के आसपास गन्ने से मंडप बनाएं। मंडब पर लाल चुनरी ओढ़ा दें।
12. तुलसी माता को सुहाग के प्रतीक साड़ी से लपेट दें और उनका वधू (दुल्हन) की तरह श्रृंगार करें।
13. शालिग्रामजी को पंचामृत से स्नान कराने के बाद उन्हें पीला वस्त्र पहनाएं।
14. तुलसी माता, शालिग्राम और मंडप को दूध में भिगोकर हल्दी का लेप लगाएं।
15. पूजन की सभी सामग्री अर्पित करें जैसे फूल, फल इत्यादि।
16. अब कोई पुरुष शालिग्राम को चौकी सहित गोद में उठाकर तुलसी की 7 बार परिक्रमा कराए।


17. इसके बाद तुलसी और शालिग्राम को खीर और पूड़ी का भोग लगाएं।
18. विवाह के दौरान मंगल गीत गाएं।
19. इसके बाद दोनों की आरती करें और प्रसाद बांटें।
20. प्रसाद बांटने के बाद सभी सदस्य एकत्रित होकर भोजन करते हैं।
21. तुलसीजी का विवाह विशेष मंत्रोच्चारण के साथ करना चाहिए।

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