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नव दुर्गा में इन नौ बीज मंत्रों का जप करने से सोया हुआ भाग्य जाग जाता हैं

नव दुर्गा में इन नौ बीज मंत्रों का जप करने से सोया हुआ भाग्य जाग जाता हैं

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भोपाल

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Shyam Kishor

Sep 29, 2018

Durga Beej mantra

नव दुर्गा में इन नौ बीज मंत्रों का जप करने से सोया हुआ भाग्य जाग जाग जाता हैं

साल में चार नवरात्रि पर्व आते हैं, चार में से दो गुप्त नवरात्र होते है और दो में से एक चैत्र माह में और एक आश्विन माह में । मुख्य रूप में चैत्र व आश्विन नवरात्रि को ही मनाया जाता हैं । आगामी 10 अक्टूबर से 19 अक्टूबर तक मनाया जायेगा । शास्त्रों में ऐसा उल्लेख मिलता हैं कि नवरात्रि के इन नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ शक्ति रुपी देवियों की विशेष पूजा की जाती हैं, और अगर कोई भक्त सच्ची श्रद्धा के साथ माता के बीज मंत्रों का जप करता है तो उसकी सभी मनोकामनाएं माता रानी पूरी कर देती हैं ।

यह सभी नौ देवी रूप अपने आप में शक्ति और भक्ति के भंडार कहे गये । संसार में अच्छाई के लिए माँ का कल्याणकारी रूप सिद्धिदात्री, महागौरी आदि है, और इसी के साथ संसार में बढ़ रही अनैतिकता को समाप्त करने के लिए माँ कालरात्रि, चन्द्रघंटा रूप धारण कर लेती है । नवरात्रि के नौ दिनों तक देवी दुर्गा की पूजा-आराधना का विधान हैं । नवदुर्गा के इन बीज मंत्रों की प्रतिदिन की नौ देवी के दिनों के अनुसार मंत्र जप किया जाए तो सारे मनोरथ सिद्धि हो जाते है ।


मां दुर्गा के सिद्ध बीज मंत्र


इन मंत्रों का जप करने का विधान-


- ब्राह्म मुहूर्त में 4 बजे से लेकर प्रातः 7 बजे तक इन मंत्रों की जप साधना करने पर ये मंत्र पूर्ण सिद्ध हो जाते हैं । इन मंत्रों को प्रतिदिन 1100 बार तुलसी या लाल चंदन की माला से ही जप करना चाहिए । नौ दिनों कुल 9 हजार मंत्रों के जप का विधान हैं ।


- आखरी दिन नवमी तिथि को 251 मंत्रों की आहुति का यज्ञ करने चाहिए । यज्ञ करने से जप का फल शीघ्र मिलने लगता हैं, और कुछ ही समय में माता रानी भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी भी कर देती हैं ।



जप मंत्र


1- शैलपुत्री - ह्रीं शिवायै नम: ।।

2- ब्रह्मचारिणी - ह्रीं श्री अम्बिकायै नम: ।।

3- चन्द्रघंटा - ऐं श्रीं शक्तयै नम: ।।

4- कूष्मांडा ऐं ह्री देव्यै नम: ।।

5- स्कंदमाता - ह्रीं क्लीं स्वमिन्यै नम: ।।

6- कात्यायनी - क्लीं श्री त्रिनेत्रायै नम: ।।

7- कालरात्रि - क्लीं ऐं श्री कालिकायै नम: ।।

8- महागौरी - श्री क्लीं ह्रीं वरदायै नम: ।।

9- सिद्धिदात्री - ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम: ।।