script

रावण के ये सपने कभी नहीं हो सके पूरे, अगर पूरे हो जाते तो…

locationभोपालPublished: Oct 07, 2019 05:17:16 pm

Submitted by:

Devendra Kashyap

आज धरती पर जिस चीज के लिए हाहाकार मचा हुआ है, रावण उस वक्त ही उसका निदान करना चाहता था लेकिन वह कर नहीं सका…

ravan_3.jpg
हर साल दशहरे पर रावण के पुतले का दहन होता है। कहा जाता है कि रावण की अंत उसकी बुराइयों की वजह से हुआ था। ऐसा नहीं था। रावण में बराइयों के साथ-साथ कुछ खूबियां भी थी, जिसके कायल खुद भगवान राम भी थे। आज हम आपको रावण की कुछ कमियां और उसके छिपी हुई खूबियों के बारे में बताने जा रहे हैं…

रावण वीर योद्धा था। उसने युद्ध में बड़े-बड़े राजाओं को परास्त किया था। विजय के उन्माद में रावण यमपुरी तक चला गया और वहां उसने यमराज को भी परास्त कर दिया था। रावण ने नर्क में सजा भुगत रही दुष्ट आत्माओं को कैदखाने से मुक्त कर दिया और उन्हें अपनी सेना में शमिल कर लिया था। वह मृत्यु पर विजय चाहता था लेकिन ऐसा कर नहीं सका।

रावण ने कई युद्ध जीते लेकिन कई बार वह हारा भी था। बाली ने रावण को पराजित किया था और वह उसे अपने बाजू में दबाकर समुद्रों की परिक्रमा भी किया करता था। रावण के दुर्भाग्य ने यहीं उसका पीछा नहीं छोड़ा। पराजय के बाद उसे बच्चों ने पकड़कर अस्तबल में घोड़ों के साथ बांध भी दिया था। बाली को जीतने का ख्वाब अधूरा ही रहा।

रावण ने शिव से भी युद्ध किया था। शिव के सामने युद्ध में जीतना किसी के लिए भी संभव नहीं। यह बात रावण भी जानता था, लेकिन इस युद्ध का उसे फायदा हुआ। युद्ध में उसका हारना तय था। हारने के बाद उसने भगवान शिव को अपना गुरु बना लिया। रावण शिव का बहुत बड़ा भक्त था और उनकी कृपा से उसने कई शक्तियां प्राप्त की थी। शक्तियों के दम पर वह सृष्टि पर नियंत्रण चाहता था। उसने कभी अपनी शक्तियों का अच्छे कार्यों में उपयोग नहीं किया।

रावण को ऐसे लोग पसंद थे, जो सिर्फ उसकी तारीफ करते रहें। जब श्रीराम वानर सेना के साथ लंका तक आ गए थे। तब भी उसने स्थिति को गंभीरता से नहीं लिया। उसके दरबारी सदा उसकी प्रशंसा और वंदना करते रहते थे। जब उसने उनसे पूछा कि अब क्या किया जाए, तो दरबारियों ने जवाब दिया कि आप आराम से बैठे रहिए। अगर सेना यहां आ जाएगी तो लंका के राक्षसों को भोजन मिल जाएगा। वह चाहता था कि सब लोग उसकी तारीफ करें। आज रावण बुराइयों का प्रतीक माना जाता है।

विभीषण सत्यवादी थे। वे किसी की झूठी प्रशंसा और चापलूसी नहीं करते थे। रावण को उन्होंने कई बार चेतावनी दी लेकिन उस पर कोई असर नहीं हुआ। आखिरकार झूठी तारीफ करने के बजाय विभीषण ने रावण की लंका का त्याग करना उचित समझा। रावण के इस अवगुण से शिक्षा मिलती है कि जो मनुष्य सदैव चापलूसों और झूठी तारीफ करने वालों से घिरा रहता है, उसे बाद में गंभीर संकट का सामना करना पड़ता है।

रावण मदिरा प्रेमी था। उसका सपना था कि वह मदिरा की दुर्गंध मिटा देगा। वह उस जमाने के विज्ञान और तकनीक का जानकार था, लेकिन उसका यह ख्वाब कभी पूरा नहीं हो पाया।


रावण का एक और बड़ा सपना सोने को सुगंधित बनाना था। वह सोचता था कि अगर स्वर्ण में सुगंध हो जाए तो इस धातु का सौंदर्य और बढ़ सकता है। उसे स्वर्ण से प्रेम था। कहा जाता है कि उसकी लंका भी सोने की थी। उसकी यह इच्छा भी अधूरी ही रह गई।

रावण पूरी प्रकृति पर कब्जा जमाना चाहता था। उसकी एक इच्छा स्वर्ग तक सीढ़ियां लगाने की थी। इसके पीछे उसके खोटे इरादे थे। वह चाहता था कि लोग ईश्वर को पूजने और अच्छे कर्म करने के बजाय उसकी आराधना शुरू कर दें, ताकि उन्हें स्वर्ग की प्राप्ति हो सके।

प्राचीन योद्धाओं के रथों में घोड़े जुते होते थे लेकिन रावण इस मामले में अपवाद था। उसके रथ में गधे जुते होते थे। वे बहुत चुस्त थे और शीघ्रता से चलने में सक्षम थे। वह इसी रथ से विश्वविजय करना चाहता था, जो नहीं कर सका।

रावण की एक इच्छा खून का रंग बदलने की थी। वह चाहता था कि खून का रंग लाल के बजाय सफेद हो जाए। उसने युद्ध में अनेक निर्दोष लोगों का खून बहाया था। इससे धरती खून से लाल गई थी। वह चाहता था कि खून सफेद हो जाए ताकि वह पानी के साथ मिलकर उसके अत्याचारों को छुपा दे।

रावण समुद्र का पानी मीठा करना चाहता था। लेकिन वह ऐसा नहीं कर पाया। आप सोच सकते हैं तो रावण उस समय ही जान गया था कि आने वाले वक्त में पृथ्वी पर पीने की पानी की कमी होगी।

ट्रेंडिंग वीडियो