
द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तोत्रम्
dwadash jyotirlinga stotram: धरती पर लोगों के कल्याण के लिए भगवान शिव 12 स्थानों पर ज्योतिर्लिंग रूप में विराजते हैं। मान्यता है इन द्वादश ज्योतिर्लिंग में भगवान शिव की ज्योति बसती है। ये देश के अलग-अलग स्थानों पर हैं, और इनकी आराधना से अलग-अलग फल मिलते हैं।
साथ ही इनका ध्यान भगवान शिव तक आसानी से पहुंच जाता है और वो भक्त के सारे कष्ट हर लेते हैं। वैसे तो जीवन में एक बार इन ज्योतिर्लिंग का दर्शन जरूर करना चाहिए और किसी कारण ऐसा न कर सकें तो इन द्वादश ज्योतिर्लिंग का ध्यान करना चाहिए। इससे सभी पापों का नाश हो जाता है।
इन द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तोत्र की महिमा इतनी निराली है कि इसका पाठ करने वाले व्यक्ति को सभी ग्रह और यमराज भी आशीर्वाद देते हैं। विशेष रूप से धरती पर विराजमान महाकाल के ज्योति स्वरूप इन केंद्रों का सोमवार को जरूर ध्यान करना चाहिए। सावन में इसका महत्व और बढ़ जाता है।
मान्यता है कि द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तोत्रम् भक्त की भव बाधा भी दूर कर देता है। सावन सोमवार को पढ़ें द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तोत्रम् ..
सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रिशैले मल्लिकार्जुनम्।
उज्जयिन्यां महाकालमोमकारममलेश्वरम्॥
परल्यां वैद्यनाथं च डाकिन्यां भीमशंकरम्।
सेतुबन्धे तु रामेशं नागेशं दारूकावने॥
वाराणस्यां तु विश्वेशं त्र्यंबकं गौतमी तटे।
हिमालये तु केदारं घुश्मेशं च शिवालये॥
एतानि ज्योतिर्लिंगानि सायं प्रात: पठेन्नर:।
सप्तजन्मकृतं पापं स्मरणेन विनश्यति॥
अन्यथा शरणम् नाऽस्ति, त्वमेव शरणम् मम्।
तस्मात्कारूण भावेन्, रक्ष माम् महेश्वर:॥
Updated on:
02 Aug 2024 07:46 pm
Published on:
02 Aug 2024 07:44 pm
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