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दो श्राप और डूब गई भगवान श्रीकृष्ण की द्वारका!

Dwarka : Krishna Janmashtami 2019 के मौके पर हम आपको महाभारत काल की एक ऐसी नगरी के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे भगवान श्रीकृष्ण ने बसाया था।

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Krishna Janmashtami 2019

दो श्राप और डूब गई भगवान श्रीकृष्ण की द्वारका!

23-24 अगस्त को देशभर में Krishna Janmashtami 2019 धूमधाम से मनाई जाएगी। इस मौके पर हम आपको महाभारत काल की एक ऐसी नगरी के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे भगवान श्रीकृष्ण ने बसाया था। दावा तो ये भी किया जाता है कि आज भी यह नगरी अरब सागर में है, जिस पर आज भी शोध चल रहा है।

जरासंध के डर से यहां आये थे भगवान कृष्ण

पौराणिक कथाओं के अनुसार, कंस के मरने के बाद उसके ससुर जरासंध ने भगवान श्रीकृष्ण को युद्ध को ललकारा लेकिन भगवान कृष्ण जानते थे कि मथुरा में उसका मुकाबला करने में समझदारी नहीं है! इसके बाद वे भाई बलराम और प्रजाजनों के साथ मथुरा छोड़ देने का निर्णय लिया और द्वारका की ओर बढ़ गए और यहां पर एक नगरी को बसाया, जिसे द्वारका ( Dwarka ) के नाम से जाना जाता है। कथाओं के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण ( Lord Krishna ) ने यहां पर लगभग 36 वर्षों तक राज किया। इसके बाद उन्होंने प्राण त्याग दिया। कहा जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण के विदा होते ही द्वारका नगरी समुद्र में डूब गई और इसी के साथ यादव कुल का नष्ट हो गया।

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इन दो श्रापों के कारण डूब गई द्वारका!

पहला श्राप : पौराणिक कथाओं के अनुसार, महाभारत युद्ध के बाद कौरवों की माता गांधारी ने महाभारत युद्ध के लिए श्रीकृष्ण को दोषी ठहराया। गांधारी ने श्रीकृष्ण को श्राप दिया कि जिस तरह कौरवों के वंश का नाश हुआ है, ठीक उसी प्रकार यदुवंश का भी नाश होगा।

दूसरा श्राप : पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार यादव कुल के कुछ युवकों ने दुर्वासा ऋषि का अपमान कर दिया। अपमान से दुर्वासा ऋषि क्रोधित हो उठे और श्राप दिया कि एक दिन यदुवंशियों का नाश हो जाएगा।

स्वधाम जाने से पहले क्या बोले थे कृष्ण?

पौराणिक कथाओं के अनुसार, बलराम जी के देह त्यागने के बाद जब एक दिन श्रीकृष्ण जी पीपल के नीचे ध्यान की मुद्रा में बैठे हुए थे, तब उस क्षेत्र में एक जरा नाम का बहेलिया आया हुआ था। जरा एक शिकारी था और वह हिरण का शिकार करना चाहता था। जरा को दूर से हिरण के मुख के समान श्रीकृष्ण का पेर का तलवा दिखाई दिया। बहेलिए ने बिना कोई विचार किए वहीं से एक तीर छोड़ दिया जो कि श्रीकृष्ण के तलवे में जाकर लग गया और इस प्रकार कृष्ण भी स्वधाम पहुंच गए और यदुवंश का पूरी तरह नाश हो गया!