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Gayatri Jayanti 2024: गायत्री जयंती पर भद्रा का साया, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि

Gayatri Jayanti 2024 Sawan Month: हिंदू धर्म में गायत्री जयंती का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इसी दिन आदि शक्ति का महान कल्याणकारी मंत्र महान गायत्री मंत्र लोगों को मिला था। मान्यता है यह मंत्र वेदों का सार है और इस मंत्र में सृष्टि की शक्ति निहित है। इसलिए इस दिन गायत्री जयंती मनाई जाती है। लेकिन इस बार गायत्री जयंती पर भद्रा का साया है। आइये जानते हैं कब है गायत्री जयंती और क्या है पूजा विधि (Gayatri Jayanti Puja Vidhi Bhadra Kal) ...

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Gayatri Jayanti 2024 Sawan Month

भद्राकाल में गायत्री जयंती

साल में दो बार मनती है गायत्री जयंती

Gayatri Jayanti 2024 Sawan Month: अलग-अलग मान्यताओं के कारण साल में दो बार गायत्री जयंती मनाई जाती है। पहला ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी को और दूसरा श्रावण पूर्णिमा को। मान्यता है कि इस दिन गायत्री मंत्र का जाप करने और माता गायत्री की पूजा अर्चना से जीवन में सकारात्मक बदलाव आएंगे। इस साल श्रावण पूर्णिमा तिथि सोमवार 19 अगस्त 2024 को है। आइये जानते हैं श्रावण पूर्णिमा तिथि, मुहूर्त और गायत्री मंत्र का महत्व..


गायत्री जयंती 2024 तिथि: सोमवार 19 अगस्त 2024
श्रावण पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: रविवार 18 अगस्त 2024 सुबह 03.04 बजे तक
श्रावण पूर्णिमा तिथि समापन: सोमवार 19 अगस्त 2024 सुबह 11.55 बजे तका

गायत्री जयंती का सर्वोत्तम मुहूर्त

अभिजित मुहूर्त: सुबह 11.48 बजे से दोपहर 12.36 बजे तक
विजय मुहूर्त: दोपहर 2.39 बजे से दोपहर 3.31 बजे तक
अमृत योग: सुबह 06.11 बजे से दोपहर 02.26 बजे तक

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भद्रा काल

भद्रा पूर्वा: रविवार 18 अगस्त 2024 सुबह 06.56 बजे से सुबह 09.10 बजे तक
भद्रा मुख: सोमवार 19 अगस्त 2024 सुबह 10.53 बजे से दोपहर 12.37 बजे तक

गायत्री मंत्र

ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेणियम्
भर्गो देवस्य धीमहि, धियो यो नः प्रचोदयात् ॥

गायत्री मंत्र का अर्थ

हम सभी लोग उस दिव्य प्रकाश की प्रार्थना करते हैं, जो सभी जगहों को प्रकाशित करता है, जो सब दोषों को नष्ट करता है, जो सबका उत्तम अधिकारी है, हम उस देवता की स्तुति करते हैं और उसका ध्यान करते हैं जो हमें सही दिशा में ले जाए।

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क्या भद्रा में कर सकते हैं गायत्री मंत्र का जाप

कुछ ग्रंथों के अनुसार भद्रा काल में गायत्री मंत्र का जाप करना शुभ नहीं माना जाता है। लेकिन कुछ मान्यताएं कहती हैं कि भद्रा पूर्वा के दौरान गायत्री मंत्र का जाप कर सकते हैं। भद्रा मुख को अशुभ माना जाता है, इसलिए इस दौरान इस समय जाप करने से बचना चाहिए।

गायत्री जयंती और गायत्री मंत्र का महत्व

गायत्री मंत्र का उल्लेख ऋग्वेद में है, गायत्री मंत्र हिंदू धर्म के सबसे पवित्र मंत्रों में से एक माना जाता है। इस मंत्र में 24 अक्षर हैं जो ब्रह्मांड की उत्पत्ति और जीवन के सार का प्रतिनिधित्व करते हैं। माना जाता है कि इस मंत्र का नियमित जाप करने से आध्यात्मिक विकास, बुद्धि का विकास, शुभ स्वास्थ्य और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इससे मन को शांति मिलती है, तनाव कम होता है। सकारात्मक ऊर्जा और सकारात्मक सोच का विकास होता है। शारीरिक मानसिक स्वास्थ्य अच्छा रहता है।


वहीं गायत्री जयंती का उद्देश्य गायत्री मंत्र के महत्व को उजागर करना है। इस दिन लोग मंदिरों में पूजा-पाठ करते हैं और गायत्री मंत्र का जाप कर हवन करते हैं। स्तोत्र पाठ, प्रवचन और सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं।

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गायत्री जयंती पूजा विधि

  1. सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ-सुथरे वस्त्र पहनकर पूजा स्थल को साफ करें और दीप जलाएं।
  2. पूजा स्थान पर बैठकर शांतचित्त होकर कम से कम 108 बार गायत्री मंत्र का जाप करें। आप पूरे दिन जितना हो सके उतना मंत्र का जाप कर सकते हैं।
  3. आप चाहें तो घर पर या मंदिर में हवन कर सकते हैं। हवन में शुद्ध घी, आहुतियां और मंत्रों का उच्चारण किया जाता है।
  4. गायत्री जयंती के दिन दान-पुण्य करना शुभ माना जाता है। गरीबों की मदद करें, भोजन दान करें या जरूरतमंद संस्थाओं को दान दें।
  5. गायत्री जयंती के अवसर पर आयोजित होने वाले सत्संगों और प्रवचनों में शामिल होकर आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करें।