
भद्राकाल में गायत्री जयंती
Gayatri Jayanti 2024 Sawan Month: अलग-अलग मान्यताओं के कारण साल में दो बार गायत्री जयंती मनाई जाती है। पहला ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी को और दूसरा श्रावण पूर्णिमा को। मान्यता है कि इस दिन गायत्री मंत्र का जाप करने और माता गायत्री की पूजा अर्चना से जीवन में सकारात्मक बदलाव आएंगे। इस साल श्रावण पूर्णिमा तिथि सोमवार 19 अगस्त 2024 को है। आइये जानते हैं श्रावण पूर्णिमा तिथि, मुहूर्त और गायत्री मंत्र का महत्व..
गायत्री जयंती 2024 तिथि: सोमवार 19 अगस्त 2024
श्रावण पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: रविवार 18 अगस्त 2024 सुबह 03.04 बजे तक
श्रावण पूर्णिमा तिथि समापन: सोमवार 19 अगस्त 2024 सुबह 11.55 बजे तका
अभिजित मुहूर्त: सुबह 11.48 बजे से दोपहर 12.36 बजे तक
विजय मुहूर्त: दोपहर 2.39 बजे से दोपहर 3.31 बजे तक
अमृत योग: सुबह 06.11 बजे से दोपहर 02.26 बजे तक
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भद्रा पूर्वा: रविवार 18 अगस्त 2024 सुबह 06.56 बजे से सुबह 09.10 बजे तक
भद्रा मुख: सोमवार 19 अगस्त 2024 सुबह 10.53 बजे से दोपहर 12.37 बजे तक
ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेणियम्
भर्गो देवस्य धीमहि, धियो यो नः प्रचोदयात् ॥
हम सभी लोग उस दिव्य प्रकाश की प्रार्थना करते हैं, जो सभी जगहों को प्रकाशित करता है, जो सब दोषों को नष्ट करता है, जो सबका उत्तम अधिकारी है, हम उस देवता की स्तुति करते हैं और उसका ध्यान करते हैं जो हमें सही दिशा में ले जाए।
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कुछ ग्रंथों के अनुसार भद्रा काल में गायत्री मंत्र का जाप करना शुभ नहीं माना जाता है। लेकिन कुछ मान्यताएं कहती हैं कि भद्रा पूर्वा के दौरान गायत्री मंत्र का जाप कर सकते हैं। भद्रा मुख को अशुभ माना जाता है, इसलिए इस दौरान इस समय जाप करने से बचना चाहिए।
गायत्री मंत्र का उल्लेख ऋग्वेद में है, गायत्री मंत्र हिंदू धर्म के सबसे पवित्र मंत्रों में से एक माना जाता है। इस मंत्र में 24 अक्षर हैं जो ब्रह्मांड की उत्पत्ति और जीवन के सार का प्रतिनिधित्व करते हैं। माना जाता है कि इस मंत्र का नियमित जाप करने से आध्यात्मिक विकास, बुद्धि का विकास, शुभ स्वास्थ्य और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इससे मन को शांति मिलती है, तनाव कम होता है। सकारात्मक ऊर्जा और सकारात्मक सोच का विकास होता है। शारीरिक मानसिक स्वास्थ्य अच्छा रहता है।
वहीं गायत्री जयंती का उद्देश्य गायत्री मंत्र के महत्व को उजागर करना है। इस दिन लोग मंदिरों में पूजा-पाठ करते हैं और गायत्री मंत्र का जाप कर हवन करते हैं। स्तोत्र पाठ, प्रवचन और सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं।
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Updated on:
13 Jul 2024 06:02 pm
Published on:
13 Jul 2024 06:01 pm
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