16 दिसंबर 2025,

मंगलवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

गीता जयंती : पानी है सफलता तो अपनाएं श्रीमदभगवत गीता के ये सूत्र

गीता जयंती : पानी है सफलता तो अपनाएं श्रीमदभगवत गीता के ये सूत्र

3 min read
Google source verification

भोपाल

image

Shyam Kishor

Nov 30, 2019

गीता जयंती : पाना है सफलता तो अपनाएं श्रीमदभगवत गीता के ये सूत्र

गीता जयंती : पाना है सफलता तो अपनाएं श्रीमदभगवत गीता के ये सूत्र

8 दिसंबर को श्रीमदभगवत गीता जयंती मनाई जाएगी। इसी दिन भगवान श्री कृष्ण के श्रीमुख से गीता का जन्मी हुआ था। इसमें समस्त वेदों का सार-सार समाहित है। अगर किसी को जीवन में सच्ची सफलता का कामना हो तो हर रोज श्रीमदभगवत गीता के इन सूत्रों का पाठ अवश्य करें। जैसे श्रीभगवान की कृपा से अर्जुन को महाविजय प्राप्त हुई थी, उसी तरह आज भी इन सूत्रों को अपनाकर जो चाहे प्राप्त कर सकता है।

दिसंबर 2019 के प्रमुख व्रत, त्यौहार एवं जयंती

व्यक्ति जो चाहे बन सकता है यदि वह विश्वास के साथ इच्छित वस्तु पर ध्यान लगातार चिंतन करे। जन्म लेने वाले के लिए मृत्यु उतनी ही निश्चित है जितना कि मृत होने वाले के लिए जन्म लेना इसलिए जो अपरिहार्य है उस पर शोक मत करों। कर्म मुझे बांधता नहीं क्योंकि मुझे कर्म के प्रतिफल की कोई इच्छा नहीं। जो मन को नियंत्रित नहीं करते, उनके लिए वह शत्रु के समान कार्य करता है। इन्द्रियां शरीर से श्रेष्ठ कही जाती हैं इन्द्रियों से परे मन है और मन से परे बुद्धि है और आत्मा बुद्धि से भी अत्यंत श्रेष्ठ है। मैं धरती की मधुर सुगंध हूँ, मैं अग्नि की ऊष्मा हूँ सभी जीवित प्राणियों का जीवन और सन्यासियों का आत्मसंयम हूँ। जो कार्य में निष्क्रियता और निष्क्रियता में कार्य देखता है वह एक बुद्धिमान व्यक्ति है।

मोक्षदा एकादशी : व्रत, पूजा विधि एवं मुहूर्त 8 दिसंबर 2018

अपने अनिवार्य कार्य करो क्योंकि वास्तव में कार्य करना निष्क्रियता से बेहतर हैं । जब यह मनुष्य सत्त्वगुण की वृद्धि में मृत्यु को प्राप्त होता है, तब तो उत्तम कर्म करने वालों के निर्मल दिव्य स्वर्गादि लोकों को प्राप्त होता हैं । सन्निहित आत्मा का अस्तित्व अविनाशी और अनन्त हैं, केवल भौतिक शरीर तथ्यात्मक रूप से खराब हैं, इसलिए डटे रहो । किसी और का काम पूर्णता से करने से कहीं अच्छा है कि अपना काम करें भले ही उसे अपूर्णता से करना पड़े । मैं एकादश रुद्रों में शंकर हूँ और यक्ष तथा राक्षसों में धन का स्वामी कुबेर हूं । मैं आठ वसुओं में अग्नि हूं और शिखरवाले पर्वतों में सुमेरु पर्वत हूं । कभी ऐसा समय नहीं था जब मैं, तुम,या ये राजा-महाराजा अस्तित्व में नहीं थे ना ही भविष्य में कभी ऐसा होगा कि हमारा अस्तित्व समाप्त हो जाये ।

बेहद खास है इन राशियों के लिए 2019 का अंतिम महीना, जानें दिसंबर का पूरा राशिफल

तुम्हारा क्या गया, जो तुम रोते हो ? तुम क्या लाए थे, जो तुमने खो दिया ? तुमने क्या पैदा किया था, जो नाश हो गया ? न तुम कुछ लेकर आये, जो लिया यहीं से लिया । जो दिया, यहीं पर दिया, जो लिया, इसी भगवान से लिया, जो दिया, इसी को दिया । स्वर्ग प्राप्त करने और वहां कई वर्षों तक वास करने के पश्चात एक असफल योगी का पुन: एक पवित्र और समृद्ध कुटुंब में जन्म होता हैं । चिंता से ही दुःख उत्पन्न होते हैं किसी अन्य कारण से नहीं, ऐसा निश्चित रूप से जानने वाला, चिंता से रहित होकर सुखी, शांत और सभी इच्छाओं से मुक्त हो जाता हैं । संयम का प्रयत्न करते हुए ज्ञानी मनुष्य के मन को भी चंचल इन्द्रियां बलपूर्वक हर लेती हैं । तुम सदा मेरा स्मरण करो और अपना कर्तव्य करो, तुम्हे सफलता मिलकर रहेगी।

************