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Gita Jayanti 2024: कब है गीता जयंती, जानें मार्गशीर्ष में इस दिन का महत्व

Gita Jayanti 2024: भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत युद्ध के दौरान कुरुक्षेत्र की धरती पर अर्जुन को गीता उपदेश दिया था।

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जयपुर

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Sachin Kumar

Nov 16, 2024

Gita Jayanti 2024

आज के ही दिन भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता उपदेश दिया था ।

Gita Jayanti 2024: गीता जयंती का पर्व हर वर्ष मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है। इसे मोक्षदा एकादशी भी कहा जाता है। इस वर्ष गीता जयंती 11 दिसंबर 2024 दिन बुधवार को मनाई जाएगी। मान्यता है कि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। जिसकी स्मृति में यह पर्व मनाया जाता है। आइए जानते हैं इसका महत्व।

गीता जयंती का महत्व (Gita Jayanti ka Mahtva)

हिंदू धर्म मेंन गीता जयंती का विशेष महत्व है। इस दिन को पवित्र भगवद् गीता के ज्ञान का उत्सव माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन श्रीकृष्ण ने अर्जुन को कर्म, धर्म और भक्ति का मार्ग दिखाया था। जो कि हर व्यक्ति के जीवन जीने की कला का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। गीता के 18 अध्यायों में भगवान ने मानव जीवन की समस्याओं का समाधान बताया है। जिनमें कर्म योग, भक्ति योग, और ज्ञान योग का वर्णन किया है।

गीता जयंती पर श्रीकृष्ण पूजा का शुभ समय (Krishna Puja Ka Shubh Samay)

अमृत काल प्रात: 09 बजकर 34 मिनट से 11 बजकर 03 मिनट तक रहेगा।
गोधुलि मुहूर्त: शाम के 5:22 से 05:50 तक रहेगा। इसके बाद 06:47 तक पूजा कर सकते हैं।

गीता उपदेश (Gita Upadesh)

भगवद् गीता का संवाद महाभारत के युद्ध के दौरान हुआ था। जब अर्जुन ने युद्ध में भाग लेने से इंकार कर दिया था। तब श्रीकृष्ण ने अर्जुन को कर्तव्य का बोध कराते हुए गीता का उपदेश दिया था। गीता के उपदेश न केवल अर्जुन के लिए बल्कि पूरे मानव समाज के लिए एक अमूल्य धरोहर हैं।

गीता जयंती का उत्सव (Gita Jayanti Ka Utsav)

गीता जयंती के दिन भक्त विशेष रूप से भगवद् गीता पाठ का आयोजन करते हैं। साथ ही मंदिरों में भगवान श्रीकृष्ण की पूजा, प्रवचन, और कीर्तन का आयोजन किया जाता है। इस दिन व्रत रखने का भी प्रचलन है। कई जगहों पर इस पवित्र दिन पर गीता के श्लोकों का पाठ किया जाता है और उनके अर्थ को समझने का प्रयास किया जाता है।

गीता जयंती का संदेश (Gita Jayanti ka Sandesh)

गीता का संदेश है कि हमें अपने कर्तव्यों का पालन निष्ठा और समर्पण के साथ करना चाहिए। भगवद् गीता जीवन के हर क्षेत्र में मार्गदर्शन करती है। चाहे वह पारिवारिक जीवन हो, सामाजिक जीवन हो, या आध्यात्मिक जीवन। हमें बिना किसी फल की चिंता के कर्म करना चाहिए।

गीता जयंती के माध्यम से भगवान श्रीकृष्ण ने यह संदेश दिया कि धर्म और सत्य के मार्ग पर चलना ही जीवन का उद्देश्य है। इस दिन गीता के उपदेशों को आत्मसात कर जीवन में सकारात्मकता और आत्मविश्वास लाने का संकल्प लिया जा सकता है।

गीता जयंती का पर्व केवल धार्मिक दृष्टिकोण से ही महत्वपूर्ण नहीं है। यह हमें अपने जीवन में सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। इस पावन दिन का उत्सव हमें गीता के अमूल्य उपदेशों का स्मरण कराता है और हमें हमारे कर्तव्यों का सही मार्ग दिखाता है।

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डिस्क्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारियां पूर्णतया सत्य हैं या सटीक हैं, इसका www.patrika.com दावा नहीं करता है। इन्हें अपनाने या इसको लेकर किसी नतीजे पर पहुंचने से पहले इस क्षेत्र के किसी विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।