
Daanveer Karna
Daanveer Karna: बिहार के मुंगेर जिले में स्थित चंडिका देवी मंदिर की विशेष मान्यता है। यह मंदिर धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से भी काफी महत्वपूर्ण है। क्योंकि यह मंदिर देश के 52 शक्तिपीठों में से एक है। यहां जानिए इस मंदिर से जुड़ी दानी कर्ण की सवा मन सोना दान करने की पूरी कहानी।
चंडिका देवी मंदिर का उल्लेख महाभारत काल से जुड़ा हुआ है। माना जाता है कि यहां दानवीर कर्ण हर दिन सवा मन (50 किलो) सोना दान किया करते थे। धार्मिक काथों के अनुसार माना जाता है कि दानी कर्ण अपनी दानशीलता और परोपकार के कारण देवताओं और आम जनमानस के प्रिय थे।
चंडिका देवी मंदिर को लेकर मान्यता है कि राजा दक्ष की पुत्री सती के जलते हुए शरीर को लेकर जब देवों के देव महादेव क्रोध में आकर तांडव कर रहे थे। तब माता सती की बांई आंख इस स्थान पर गिरी थी। यही वजह है कि यह 52 शक्तिपीठों में एक है। यहां मां की आंख की पिंडी रूप में पूजा होती है। मान्यता है कि यहां दर्शन से सभी दुख दूर होते हैं।
चंडिका देवी मंदिर को लेकर मान्यता है कि यहीं दानी कर्ण हर दिन सवा मन सोना दान करते थे। अंगराज कर्ण ब्रह्म मुहूर्त में उठकर गंगा स्नान करने के बाद खौलते तेल की कढ़ाई में कूद जाते थे। जिसके बाद चौंसठ योगिनियां उनके मांस का भक्षण कर लेती थी। माता कर्ण की पूजा से खुश हो जाती और उनकी अस्थियों पर अमृत छिड़कर फिर से जिंदा कर देती थी। जब कर्ण फिर से अपने शरीर को धारण कर लेते तब मां उनको प्रसन्न होकर सवा मन सोना देतीं। जिसे कर्ण दान कर देते थे।
चंडिका देवी मंदिर में आज भी कर्ण से जुड़ी कई कहानियां प्रचलित हैं। ऐसा माना जाता है कि दानी कर्ण के दान और चंडिका देवी की कृपा से यह स्थान बेहद पवित्र और ऊर्जा से भरपूर है। भक्तजन यहां आकर अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए देवी से प्रार्थना करते हैं।
Published on:
27 Nov 2024 01:58 pm
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