
gudi padva
चैत्र नवरात्रि और गुड़ी पड़वा: हिंदू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व है, यह साल में चार बार (दो बार गुप्त नवरात्रि और शारदीय, चैत्र नवरात्रि) आता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार चैत्र नवरात्रि का प्रारंभ चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से होता है। इस दिन से ही नव संवत्सर यानी हिंदू धर्म के नव वर्ष का प्रारंभ भी होता है, जिसकी शुरुआत (विक्रम संवत 2080) 22 मार्च से हो रही है।
महाराष्ट्र में इस दिन गुड़ी पड़वा का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। महाराष्ट्रियन परिवार इस दिन अपने घर के बाहर गुड़ी बांधकर पूजा अर्चना करते हैं ऐसा माना जाता है कि इस पूजा को करने से नया साल सुख शांति और सौभाग्य लेकर आता है।
गुड़ी पड़वा का महत्व: शास्त्रों के अनुसार गुड़ी पड़वा को संसार का पहला दिन था, ऐसी मान्यता है कि इस दिन ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना की थी और इसी दिन संसार में सूर्य देव पहली बार उदित हुए थे। पौराणिक मान्यता है कि इस दिन भगवान राम ने बाली का वध करके उसके आतंक से मुक्ति दिलाई थी, जिसके चलते इस दिन को विजय दिवस के स्वरूप में भी मनाया जाता है। इसी दिन छत्रपति शिवाजी महाराज ने विदेशी घुसपैठियों को पराजित किया था और जीत का जश्न मनाया जाता था।
चैत्र नवरात्रि: नवरात्रि के 9 दिनों में मां दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा अर्चना की जाती है। इस बार चैत्र नवरात्रि 22 मार्च से प्रारंभ हो रही है, उसका समापन 30 मार्च को होगा। इस साल मां दुर्गा का धरती पर आगमन नौका पर हो रहा है। इस घटना को सुख शांति और समृद्धि का कारक माना जाता है। इस बार नवरात्रि पर विशेष महासंयोग बन रहे हैं, अरसे बाद इस साल संपूर्ण नौ दिवसीय नवरात्रि है।
इसलिए महिलाओं के लिए खास है गुड़ी पड़वाः इस साल चैत्र नवरात्रि और गुड़ी पड़वा बेहद खास हैं। क्योंकि 110 साल के बाद इस दिन चैत्र नवरात्रि पर दुर्लभ संयोग का निर्माण होने जा रहा है।
ज्योतिषाचार्य पं. अरविंद तिवारी के अनुसार नवरात्रि पर चार ग्रह मीन राशि में गोचर कर रहे हैं, यह संयोग लगभग 110 साल के बाद हो रहा है। इस बार का जो नव संवत्सर है, उसका राजा बुध और मंत्री शुक्र रहेंगे, जिसके चलते शिक्षा सामाजिक आर्थिक और विशेषकर महिलाओं के लिए विशेष उत्थान की प्राप्ति होगी।
चैत्र नवरात्रि शुभ मुहूर्त: 22 मार्च की प्रातः सूर्योदय से नवरात्रि की शुरुआत होगी, इस समय आप घटस्थापना और कलश स्थापना कर सकते हैं। आइये जानते हैं कि पहले दिन कलश स्थापना और पूजा के मुहूर्त क्या हैं।
घट स्थापना मुहूर्त:- प्रातः 6:30 से प्रातः 7:30 तक।
प्रातः 7:50 से 9:26 तक
प्रातः 10:57 से 12:27 तक
दोपहर 3:30 से 4:50 तक
प्रदोष काल 5:00 बजे से शाम 6:30 बजे तक
Updated on:
21 Mar 2023 11:26 am
Published on:
17 Mar 2023 08:13 pm
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