scriptगुरु गोरक्षनाथ जयंती 18 मई : तंत्राधिपति भगवान शिव के साक्षात योगावतार गुरु गोरक्षनाथ | guru gorakhnath jayanti 18 may 2019 | Patrika News

गुरु गोरक्षनाथ जयंती 18 मई : तंत्राधिपति भगवान शिव के साक्षात योगावतार गुरु गोरक्षनाथ

locationभोपालPublished: May 17, 2019 05:35:36 pm

Submitted by:

Shyam

बिना गुरू दीक्षा लिए किये गये जप पूजन दान शुभ कर्म, पत्थर में बीज डाले अन्न की तरह निष्फल हो जाते हैं

guru gorakhnath jayanti

गुरु गोरक्षनाथ जयंती 18 मई : तंत्राधिपति भगवान शिव के साक्षात योगावतार गुरु गोरक्षनाथ

गुरु का जीवन में बहुत ही अधिक महत्व है चाहे वो लोग सांसारिक हो चाहे सन्यासी गुरु सबको बनाना चाहिए। गुरु का महत्व इसी बात से लगाया जा सकता है कि भगवान ने जितने भी अवतार लिए उन्होंने भी गुरु का रूप ही धारण किया है। गुरु के बिना जीवन उसी प्रकार है जैसे पानी बिना घड़ा। ऐसे भगवान शिव ने साक्षात योगावतार परम गुरु भगवान गोरक्षनाथ के रूप में जन्म लिया था। गुरु गोरक्षनाथ की अक्षय जयंती 18 मई 2019 दिन शनिवार को मनाई जायेगी। पूरे देश में भगवान गुरु गोरक्षनाथ की जयंती पर दिव्य झांकी, शोभा यात्रा, पुष्पार्चन, दीप ज्योति, पूजा, प्रार्थना, चालीसा एवं भव्य आरती करके एक बहुत बड़े त्यौहार के रूप में भी अनुयायी मनाते हैं।

 

अदीक्षिता य कुर्वन्ति,जप पूजा दिका क्रिया।
निष्फलं तत प्रिये तेषां,शिलायाम मुप्त बीजवत्।
अर्थात- बिना गुरू दीक्षा लिए हम जो भी जप पूजन दान और कर्म करते हैं वह निष्फल हो जाता है जैसे पत्थर में बीज डालने से अन्न की प्राप्ति नहीं होती ।

 

गर्गसंहिता के अनुसार भगवान महादेव शिव ने देवताओं के प्रश्न का उत्तर देते हुये कहा कि-
अहमेवास्मि गोरक्षो, मदरूपं तन्निबोधत।
योग मार्ग प्रचाराय मया रूपमिदं धृतम।।

अर्थात:- मैं ही गोरक्षनाथ हूं, मेरा ही रूप गोरक्षनाथ को जानों, लोककल्याणकारी योग मार्ग का प्रचार करने के लिये मैंने ही गोरक्षनाथ के रूप में अवतार लिया है।

 

जिस दिन भगवानन शिव का गोरक्षनाथ रूप में प्राकटय हुआ, उसको गोरक्षनाथावतार कथा ग्रन्थ के श्लोक में इस प्रकार प्रस्तुत किया गया है-
वैशाखी-शिव-पूर्णिमा-तिथिवरे वारे शिवे मंगले ।
लोकानुग्रह-विग्रह: शिवगुरुर्गोरक्षनाथो भवत ।।

 

योगी प्रवर नरहरिनाथ जी के अनुसार, महायोगी गोरक्षनाथ का प्रकटीकरण वैशाख मास की पूर्णिमा तिथि मंगलवार को हुआ था। यह वैशाख पूर्णिमा किस युग, कल्प, काल, वर्ष की है, यह अज्ञात होने से भगवान गोरक्षनाथ जी की यह अक्षय – जयंती ही मानी जाती है। गुरु गोरक्षनाथ ने नाथ पंथ के योग दर्शन में भारतीय धर्म साधना का एक ऐसा मिला जुला साधनामार्ग प्रस्तुत किया। गुरु गोरखनाथ द्वारा स्थापित चारों दिशाओं के सुदूर विदेशों तक अनेकानेक देवालय, मठ-मंदिर, धुनी-गुफाए, चरण पादुकाये, तप:स्थली आदि सर्वत्र मिलते है। लेकिन उनका समाधी मंदिर कही पर भी नहीं है, इनके प्रादुर्भाव और अवसान का कोई लेख अब तक प्राप्त नही हुआ।

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