
गुरु पूर्णिमा 2024 का महत्व, और बौद्ध, हिंदू धर्म दोनों से कनेक्शन
काल गणना के अनुसार गुरु पूजा और श्री व्यास पूजा के लिए आषाढ़ पूर्णिमा तिथि को सूर्योदय के बाद तीन मुहूर्त तक व्याप्त होना आवश्यक है। पूर्णिमा तिथि पर तीन मुहूर्त से कम समय हो तो यह पर्व पहले दिन मना लिया जाता है। इसके अलावा पूर्णिमा के निर्धारण के लिए उदयातिथि का भी ध्यान रखा जाता है। इस कारण गुरु पूर्णिमा 2024 रविवार 21 जुलाई को है।
आषाढ़ पूर्णिमा तिथि प्रारंभः शनिवार 20 जुलाई 2024 को शाम 05:59 बजे
आषाढ़ पूर्णिमा तिथि समापनः रविवार 21 जुलाई 2024 को दोपहर 03:46 बजे
गुरु पूर्णिमा (उदया तिथि): रविवार 21 जुलाई 2024 को
प्रीतिः पूरे दिन (अधिकांश कामों के लिए शुभ माना जाता है)
सर्वार्थ सिद्धि योगः 21 जुलाई सुबह 05:46 बजे से 22 जुलाई रात 12:14 बजे तक
विष्कम्भः रात 09:11 बजे तक (यह योग पहले 3 घटी तक अशुभ है तो 3 घटी तक शुभ रहता है)
आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा और व्यास पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि इसी दिन महाभारत, 18 पुराण, श्रीमद्भागवत, ब्रह्मसूत्र के रचयिता कृष्णद्वैपायन वेदव्यास का जन्म हुआ था। इस दिन लोग व्यासजी की जयंती मनाते हैं। इसके अलावा बौद्ध धर्म के अनुयायियों का मानना है कि गुरु पूर्णिमा के दिन ही गौतम बुद्ध ने वाराणसी के सारनाथ में अपना पहला उपदेश दिया था। इसी कारण गुरु पूर्णिमा के अवसर पर शिष्य अपने गुरुओं की पूजा-अर्चना करते हैं। इसलिए इस दिन को गुरु पूजन दिवस के रूप में सेलिब्रेट किया जाता है।
(डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई सूचनाएं सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित हैं।patrika.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ की सलाह लें।)
Updated on:
24 Jun 2024 09:00 pm
Published on:
24 Jun 2024 08:59 pm
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