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शनिवार : इस स्तुति से तुरंत प्रसन्न हो जाते हैं महावीर हनुमान, करते हैं हर मनोकामना पूरी

locationभोपालPublished: Jun 29, 2019 10:49:57 am

Submitted by:

Shyam Shyam Kishor

is hanuman stuti से प्रसन्न हो जाते हैं भगवान हनुमान जी, करते हैं कृपा की वर्षा

hanuman ji ki aarti

शनिवार : इस स्तुति से तुरंत प्रसन्न हो जाते हैं महावीर हनुमान, करते हैं हर मनोकामना पूरी

परम भक्त शिरोमणि श्री हनुमान ( Hanuman ji ) जी का स्मरण, वंदन आराधना करने मात्र से व्यक्ति के सभी डर और दुःख दूर हो जाते हैं। श्री हनुमान जी महाराज की पूजा-अर्चना में हनुमान चालीसा , मंत्र और आरती का पाठ श्रद्धा पूर्वक करने का विधान है। शनिवार, मंगलवार या प्रतिदिन हनुमान जी इस वंदना के साथ आरती करने से प्रसन्न होकर सभी मनोकामनाओं की पूर्ति कर देते हैं।

 

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हिंदू धर्म शास्त्रों में श्री हनुमान जी को भगवान शिवजी का 11वां रुद्र अवतार बाताया गया है। भगवान श्री राम के परम भक्त माने जाने वाले हनुमान जी का स्मरण करने से सभी डर दूर हो जाते हैं। रुद्र अवतार श्रीराम भक्त महाबली श्री हनुमान जी की आरती नित्य करने से व्यक्ति के जीवन के सभी संकट दूर हो जाते है।


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आरती से पूर्व इन मंत्रों से हनुमान जी की वंदना करें एवं आरती के बाद हनुमान जी की परिक्रमा भी करें।

1- ऊँ मनोजवं मारुत तुल्यवेगं, जितेन्द्रियं, बुद्धिमतां वरिष्ठम्।।
वातात्मजं वानरयुथ मुख्यं, श्रीरामदुतं शरणम प्रपद्धे।।
2- ऊँ अतुलितबलधामं हेम शैलाभदेहं दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम्‌।
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि॥

 

।। अथ श्री हनुमान भगवान की आरती ।।

आरती किजे हनुमान लला की, दुष्ट दलन रघुनाथ कला की॥
जाके बल से गिरवर कांपे, रोग दोष जाके निकट ना झांके॥
अंजनी पुत्र महा बलदाई, संतन के प्रभु सदा सहाई॥
दे वीरा रघुनाथ पठाये, लंका जाये सिया सुधी लाये॥

लंका सी कोट संमदर सी खाई, जात पवनसुत बार न लाई॥
लंका जारि असुर संहारे, सियाराम जी के काज संवारे॥
लक्ष्मण मुर्छित पड़े सकारे, आनि संजिवन प्राण उबारे॥
पैठि पताल तोरि जम कारे, अहिरावन की भुजा उखारे॥

 

जप लें इन में से कोई भी एक नारायण बीज मंत्र और लें ये काम, हो जायेगी हर इच्छा पूरी

 

बायें भुजा असुर दल मारे, दाहीने भुजा सब संत जन उबारे॥
सुर नर मुनि जन आरती उतारे, जै जै जै हनुमान उचारे॥
कचंन थाल कपूर लौ छाई, आरती करत अंजनी माई॥
जो हनुमान जी की आरती गाये, बसहिं बैकुंठ परम पद पायै॥

लंका विध्वंश किये रघुराई, तुलसीदास स्वामी किर्ती गाई॥
आरती किजै हनुमान लला की, दुष्ट दलन रघुनाथ कला की॥
आरती किजै हनुमान लला की, दुष्ट दलन रघुनाथ कला की॥
जाके बल से गिरवर कांपे, रोग दोष जाके निकट ना झांके॥

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