scriptHariyali Amavasya 2021: हरियाली अमावस्या पर कब क्या करें, जानें शुभ मुहूर्त के साथ ही महत्व | Hariyali Amavasya Importance and Shubh muhurat of 2021 | Patrika News

Hariyali Amavasya 2021: हरियाली अमावस्या पर कब क्या करें, जानें शुभ मुहूर्त के साथ ही महत्व

locationभोपालPublished: Aug 01, 2021 03:40:42 pm

Sawan Amavasya 2021: अमावस्या तिथि की शुरुआत शनिवार,07 अगस्त 2021 से

Hariyali Amavasya 2021

Hariyali Amavasya

Hariyali Amavasya 2021: हिंदू पंचांग में सावन के प्रमुख पर्वों में एक श्रावण अमावस्या भी है। जिसे हरियाली अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। ऐसे में साल 2021 में यह पर्व रविवार, 8 अगस्त को है। मान्यता है कि इस दिन पवित्र नदी में स्नान के अतिरिक्त अमावस्या तिथि पर पितरों की आत्मा की शांति के कर्म किए जाने चाहिए।
पंडित सुनील शर्मा के अनुसार हिंदू कैलेंडर में इस साल सावन पर अमावस्या तिथि की शुरुआत शनिवार,7 अगस्त 2021 को 07:12 PM मिनट पर होगी और यह इसके अगले दिन रविवार,08 अगस्त को 07:20 PM तक रहेगी।
Must Read : सावन प्रदोष में इस बार क्या करें खास?

sawan pradosh 2021

ऐसे में उदया तिथि के चलते श्रावण अमावस्या का व्रत यानि हरियाली अमावस्या का पर्व रविवार,08 अगस्त को मनाया जाएगा। सावन मास की इस अमावस्या को सावन अमावस्या और श्रावणी अमावस्या भी कहते हैं।

मान्यता है कि श्रावणी अमावस्या के दिन पितृ पूजा, पिंडदान, तर्पण और श्राद्ध कर्म करना उत्तम होता है। इसके अलावा इस दिन अमावस्या के पूजन के बाद नए पौधों भी लगाए जाते हैं।

ऐसे में लोगों द्वारा इस दौरान पीपल, बरगद, केला, तुलसी आदि का पौधा लगाना शुभ माना जाता है। कहा जाता है कि इस दिन लगाए पौधे जैसे जैसे बढ़ते जाते हैं, उसी तरह से पौधा लगाने वाले जातक की भी वृद्धि होती जाती है।

Must Read : सावन 2021 के ये दो दिन भगवान शिव की पूजा के लिए अति विशेष

shiv puja
श्रावणी अमावस्या 2021 के शुभ मुहूर्त

श्रावणी अमावस्या तिथि:- रविवार, 08 अगस्त 2021
सावन अमावस्या तिथि शुरु:- 07 अगस्त 2021, शनिवार 07:12 PM से
सावन अमावस्या तिथि की समाप्ति:- 08 अगस्त 2021, रविवार 07:20 PM तक
ऐसे समझें इस तिथि का धार्मिक महत्व
सनातन संस्कृति में यूं तो हर अमावस्या तिथि का महत्व माना गया है, लेकिन धार्मिक कार्यों के लिए सावन अत्यधिक महत्वपूर्ण होने के कारण इस अमावस्या का महत्व अधिक होता है। इस तिथि पर पिंड दान के माध्यम से पितरों की शांति के अलावा पितृ पूजा के साथ ही तर्पण और श्राद्ध कर्म काफी उत्तम माने गए हैं।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो