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कुल इतने प्रकार के होते हैं कालसर्प दोष, जानें किसका किस पर क्या पड़ता है प्रभाव

locationभोपालPublished: Nov 23, 2019 12:04:46 pm

Submitted by:

Shyam

kaal sarp dosh in kundli : कुल इतने प्रकार के होते हैं कालसर्प दोष, जानें किसका किस पर क्या पड़ता है प्रभाव

कुल इतने प्रकार के होते हैं कालसर्प दोष, जानें किसका किस पर क्या पड़ता है प्रभाव

कुल इतने प्रकार के होते हैं कालसर्प दोष, जानें किसका किस पर क्या पड़ता है प्रभाव

ज्योतिष के अनुसार अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में कालसर्प दोष लगता है तो उसके जीवन में कई तरह की समस्याएं आती है। कालसर्प दोष वालों के बनते हुए भी कार्य बिगड़ जाते हैं। ज्योतिषाचार्य पं, प्रह्लाद कुमार पंड्या ने बताया कि कालसर्प दोष कुंडली के 12 भावों में राहू और केतू की उपस्थिति क्रम से कुल 12 प्रकार के काल सर्प योग होते हैं। जानें 12 कालसर्प योग एवं उनके कारण होने वाले प्रभाव।

कुल इतने प्रकार के होते हैं कालसर्प दोष, जानें किसका किस पर क्या पड़ता है प्रभाव

1- अनंत कालसर्प योग- यदि लग्न में राहु एवं सप्तम् में केतु हो, तो यह योग बनता है, इसके कारण जातक कभी शांत नहीं रहता, झूठ बोलना एवं षड़यंत्रों में फंस कर कोर्ट-कचहरी का चक्कर लगाता रहता है।

2- कुलिक कालसर्प योग- यदि राहु धन भाव में एवं केतु अष्टम हो, तो यह योग बनता है, इस योग में पुत्र एवं जीवन साथी सुख, गुर्दे की बीमारी, पिता सुख का अभाव एवं कदम कदम पर अपमान सहना पड़ सकता है।

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3- वासुकी कालसर्प योग- यदि कुंडली के तृतीय भाव में राहु एवं नवम भाव में केतु हो एवं इसके मध्य सारे ग्रह हों, तो यह योग बनता है, इस योग में भाई-बहन को कष्ट, पराक्रम में कमी, भाग्योदय में बाधा, नौकरी में कष्ट, विदेश प्रवास में कष्ट उठाने पड़ते हैं।

4- शंखपाल कालसर्प योग- यदि राहु नवम् में एवं केतु तृतीय में हो, तो यह योग बनता है, जातक भाग्यहीन हो अपमानित होता है, पिता का सुख नहीं मिलता एवं नौकरी में बार-बार निलंबित होता है।

कुल इतने प्रकार के होते हैं कालसर्प दोष, जानें किसका किस पर क्या पड़ता है प्रभाव

5- पद्म कालसर्प योग- अगर पंचम भाव में राहु एवं एकादश में केतु हो तो यह योग बनता है, इस योग में संतान सुख का अभाव एवं वृद्धा अवस्था में दुखद होता है, शत्रु बहुत होते हैं, सट्टे में भारी हानि होती है।

6- महापद्म कालसर्प योग- यदि राहु छठें भाव में एवं केतु व्यय भाव में हो, तो यह योग बनता है इसमें पत्नी विरह, आय में कमी, चरित्र हनन का कष्ट भोगना पड़ता है।

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7- तक्षक कालसर्प योग- यदि राहु सप्तम् में एवं केतु लग्न में हो तो यह योग बनता है, ऐसे जातक की पैतृक संपत्ति नष्ट होती है, पत्नी सुख नहीं मिलता, बार-बार जेल यात्र करनी पड़ती है।

8- कर्कोटक कालसर्प योग- यदि राहु अष्टम में एवं केतु धन भाव में हो, तो यह योग बनता है, इस योग में भाग्य को लेकर जातक को परेशानी होती है, नौकरी की संभावनाएं कम रहती है, व्यापार नहीं चलता, पैतृक संपत्ति नहीं मिलती और नाना प्रकार की बीमारियां घेर लेती है।

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9- शंखचूड़ कालसर्प योग- यदि राहु सुख भाव में एवं केतु कर्म भाव में हो, तो यह योग बनता है, ऐसे जातक के व्यवसाय में उतार-चढ़ाव एवं स्वास्थ्य खराब रहता है।

10- घातक कालसर्प योग- यदि राहु दशम् एवं केतु सुख भाव में हो तो यह योग बनता है, ऐसे जातक संतान के रोग से परेशान रहते हैं, माता या पिता का वियोग होता है।

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11- विषधर कालसर्प योग- यदि राहु लाभ में एवं केतु पुत्र भाव में हो तो यह योग बनता है, ऐसा जातक घर से दूर रहता है, भाईयों से विवाद रहता है, हृदय रोग होता है एवं शरीर जर्जर हो जाता है।

12- शेषनाग कालसर्प योग- यदि राहु व्यय में एवं केतु रोग में हो, तो यह योग बनता है, ऐसे जातक शत्रुओं से पीड़ित हो शरीर सुखित नहीं रहेगा, आंख खराब होगा एवं न्यायालय का चक्कर लगाता रहेगा।

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