7 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

Jaya Ekadashi 2025: कब है जया एकादशी, जानिए इसका महात्म्य

Jaya Ekadashi 2025: भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने के लिए एकादशी का दिन सबसे उत्तम होता है। इस दिन जो लोग विधिवत श्रीहरि की उपासना करते हैं। उनके जीवन में सुख शांति का वास होता है।

2 min read
Google source verification

जयपुर

image

Sachin Kumar

Feb 01, 2025

Jaya Ekadashi 2025

जया एकादशी 2025

Jaya Ekadashi 2025: हिंदू वर्ष के हर महीने में एकदशी तिथि दो बार पड़ती है। यह दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी को समर्पित है। एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा और व्रत का विधान है। धार्मिक मान्यता है कि जो उपासक श्रीहरि की विधि पूर्वक पूजा करते हैं उनको पुण्यफल की प्राप्ति होती है।

इसके साथ ही व्रत के पालन से व्यक्ति को भूत-प्रेत जैसी योनियों से मुक्ति मिलती है और वह सभी पापों से मुक्त होकर मोक्ष की प्राप्ति करता है। पद्म पुराण के अनुसार, इस व्रत के प्रभाव से व्यक्ति को बैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है।

कब है जया एकादशी

जया एकादशी हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण व्रतों में से एक है। जो माघ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। इस वर्ष जया एकादशी 8 फरवरी 2025 शनिवार को पड़ रही है।

हिंदू पंचांग के अनुसार एकादशी तिथि की शुरुआत 7 फरवरी शुक्रवार को रात 9 बजकर 27 मिनट पर होगी। वहीं अगले दिन 8 फरवरी दिन शनिवार को इसका समापन 8 बजकर 15 मिनट पर होगा। इसलिए 8 फरवरी को जया एकदशी का व्रत रखा जाएगा। व्रत का पारण अगले दिन 9 फरवरी 2025 को सुबह किया जाएगा।

जया एकादशी व्रत कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, स्वर्ग में इंद्र की सभा में गंधर्व माल्यवान और अप्सरा पुष्पवती ने नृत्य और संगीत प्रस्तुत करते समय एक-दूसरे के प्रति आकर्षित होकर लय-ताल में गलती की, जिससे इंद्रदेव क्रोधित हो गए और उन्हें पिशाच योनि का श्राप दिया। श्राप के प्रभाव से वे पृथ्वी पर कष्ट भोगने लगे। संयोगवश, उन्होंने माघ शुक्ल एकादशी के दिन व्रत रखा और भगवान विष्णु की आराधना की, जिसके फलस्वरूप उन्हें पिशाच योनि से मुक्ति मिली और वे पुनः स्वर्ग लौट गए।

जया एकादशी व्रत की पूजा विधि

जया एकादशी के दिन सुबह जल्दी स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें। घर के पूजा स्थल में भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। भगवान को पीले फूल, तुलसी दल, धूप, दीप, फल, मिष्ठान आदि अर्पित करें।

मंत्र और पाठ

एकादशी की पूजा के दौरान इस मंत्र ॐ नमो भगवते वासुदेवाय का जाप करें। जया एकादशी की कथा का पाठ या श्रवण करें। भगवान विष्णु की आरती और प्रसाद वितरण करें। संभव हो तो रात्रि में जागरण करते हुए भगवान का स्मरण करें। जरूरतमंदों को दान दें और सेवा कार्य करें। जया एकादशी का व्रत श्रद्धा और नियमपूर्वक करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि का वास होता है।

यह भी पढ़ें: गुप्त नवरात्रि के चौथे दिन इस विधि से करें मां भुवनेश्वरी की पूजा, ऐश्वर्य और महाविद्या का मिल सकता है आशीर्वाद

डिस्क्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारियां पूर्णतया सत्य हैं या सटीक हैं, इसका www.patrika.com दावा नहीं करता है। इन्हें अपनाने या इसको लेकर किसी नतीजे पर पहुंचने से पहले इस क्षेत्र के किसी विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।