Kartik Purnima 2020: कार्तिक पूर्णिमा पर अक्षय पुण्यफल के लिए अवश्य करें दीपदान
इस बार बन रहे हैं दो खास योग के अलावा चंद्रग्रहण : Kartik Purnima 2020

इस संवत्सर 2077 यानि साल 2020 में भगवान विष्णु की आराधना, भक्ति, पूजा, जप, दान के पवित्र माह कार्तिक माह का समापन 30 नवंबर 2020, सोमवार को कार्तिक पूर्णिमा के साथ होगा। कार्तिक माह को सनातन धर्म में विशेष माना जाता है, जिसके चलते इस पूरे माह में लोग ब्रह्ममुहूर्त में जागकर तारों की छाया में स्नान, पूजन आदि करते हैं, लेकिन यदि जो लोग पूरे माह जल्दी उठकर स्नान आदि ना कर पाएं उनके लिए कार्तिक पूर्णिमा का दिन पूरे माह का फल प्राप्त कर लेने का दिन है।
मान्यता के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा पर सूर्योदय से पूर्व उठकर तारों की छाया में स्नान करके भगवान विष्णु और तुलसी का विधि-विधान से पूजन कर लेने से पूरे कार्तिक स्नान का फल मिल जाता है। इस दिन गंगा, यमुना, नर्मदा आदि पवित्र नदियों में स्नान करके लोग दान-पुण्य करते हैं। इसीलिए इस दिन को देव दीवाली भी कहा जाता है। इस दिन पवित्र नदियों, सरोवरों में दीपदान करने से अक्षय पुण्य फलों की प्राप्ति होती है।
इस बार ये बन रहे हैं खास योग:
वहीं इस बार कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। इस बार कार्तिक पूर्णिमा पर सर्वार्थसिद्धि योग व वर्धमान योग बन रहे हैं। इस योग के कारण कार्तिक पूर्णिमा का महत्व और भी बढ़ जाता है। ऐसी मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा में या तुलसी के पास दीप जलाने से महालक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।
इस बार ग्रहण की छाया
वहीं इस बार इस विशेष पूर्णिमा यानि 30 नवंबर 2020 को ही उपच्छाया ग्रहण भी लग रहा है। उपच्छाया ग्रहण होने के चलते भले ही इस ग्रहण का सूतक मान्य नहीं है, लेकिन इस ग्रहण का राशियों पर अत्यधिक प्रभाव पड़ने की संभावना है।
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कार्तिक माह की पूर्णिमा सबसे बड़ी पूर्णिमा
शास्त्रों में कार्तिक माह की पूर्णिमा को सबसे बड़ी पूर्णिमा बताया गया है। इस दिन को त्रिपुरी पूर्णिमा या त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहा जाता है और यह भगवान शंकर के विजय दिवस के रूप में भी मनाया जाता है क्योंकि इसी दिन भगवान शंकर ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था। इसलिए कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु के साथ भगवान शिव का विधि-विधान से पूजन करने से समस्त मनोरथ पूर्ण होते हैं।
ऐसे करें कार्तिक पूर्णिमा पूजन
कार्तिक पूर्णिमा का पूजन सायंकाल प्रदोषकाल में करने का विधान है। कार्तिक पूर्णिमा पर पवित्र नदियों में स्नान का बड़ा महत्व है। इस दिन हरिद्वार, इलाहाबाद, उज्जैन, ओंकारेश्वर, गंगासागर आदि में स्नान करने के लिए लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं। इस दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु का पूजन किया जाता है। कार्तिक पूर्णिमा की संध्या के समय भगवान विष्णु का मत्स्यावतार भी हुआ था, इसलिए इस दिन गंगा स्नान के बाद दीप-दान करना चाहिए। इससे दस यज्ञों के समान मिलता है। पूर्णिमा के दिन प्रात: काल उठकर व्रत का संकल्प लेकर व्रती पवित्र नदी या तालाब पर स्नान करते हैं। स्नान के बाद यथाशक्ति दान-पुण्य किए जाते हैं। इस दिन बनारस में विशेष धार्मिक अनुष्ठान होता है।
भीष्म पंचक व्रत का समापन
कार्तिक पूर्णिमा के दिन भीष्म पंचक व्रत का समापन होता है। कार्तिक एकादशी से कार्तिक पूर्णिमा तक यह व्रत किया जाता है। पांच दिन व्रत का समापन इस दिन होता है। इस दिन भगवान सत्यनारायण की कथा-पूजन भी करना चाहिए।
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