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सनातन धर्म में कृष्ण जन्माष्टमी का बहुत अधिक महत्व माना जाता है। इस पर्व पर सभी लोग अपने घरों में कृष्ण के बाल रुप की पूजा करते हैं और उनका जन्मोत्सव मनाते हैं। पूजा में कृष्ण के पसंद की सभी चीज़ें उपयोग की जाती है। इस बार जन्माष्टमी ( janmashtami 2019 ) दो दिन मनाई जा रही है। चारों तरफ माहौल कृष्णमई हो गई है। इस दिन कई लोग व्रत उपवास रखते हैं और रात 12 बजे कृष्ण पूजा के बाद व्रत खोलते हैं।
मान्यता है कि द्वापरयुग में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भादो माह की अष्टमी को आधी रात में हुआ था। यही कारण है कि हर साल जन्माष्टमी के दिन भगवान कृष्ण के बाल रूप की पूजा आधी रात को की जाती है। कृष्ण के जन्म के बाद उनका सुंदर श्रृंगार किया जाता है, लोग उन्हें झूला झुलाते हैं और विधिवत पूजा की जाती है। लेकिन एक बात हमेशा ध्यान रखें की कृष्ण की पूजा के बाद आरती ( krishna aarti ) जरूर करें, तभी पूजा पूरी मानी जाएगी...
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ग्वालिनी संग-अतुल रति गोपकुमारी की। आरती...।
हरै अघ-कीच चरण छवि श्री बनवारी की। आरती...।
कटत भवफन्द टेर सुनु दीन भिखारी की। आरती...।
Updated on:
24 Aug 2019 01:57 pm
Published on:
24 Aug 2019 01:49 pm
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