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जन्माष्टमी के दिन अर्थ सहित इन 13 वंदना मंत्रों का करें ध्यान, श्री कृष्ण पूरी करेंगे हर मनोकामना

Krishna siddha mantra for janmashtami : कृष्ण जी की वंदना इन मंत्रों से करने और इनका अर्थ पढ़कर भावपूर्ण स्मरण करने से भक्त की हर मनोकामना योगेश्वर कृष्ण पूरा करते हैं, वह व्यक्ति खुद को जीवन में असहाय नहीं पाता है।

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Krishna Mantra Janmashtami

कृष्ण जन्माष्टमी

Krishna siddha mantra for janmashtami : भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव (अवतरण दिवस) भाद्रपद कृष्ण पक्ष अष्टमी को मनाया जाता है। इस साल कृष्ण जन्माष्टमी 26 अगस्त 2024 को है। शास्त्रों के मुताबिक जन्माष्टमी के शुभ दिन कृष्ण जी के मंत्रों से उनकी वंदना करने और इनके अर्थ का ध्यान कर भगवान को स्मरण करने से वो प्रसन्न होते हैं और हर मनोकामना पूरी करते हैं। आइये कृष्ण जन्माष्टमी पर जपें श्रीकृष्ण वंदना मंत्र, साथ ही पढ़ें उनका अर्थ ..

जन्माष्टमी श्रीकृष्ण मंत्र


श्रीकृष्ण गोविंद हे राम नारायण, श्रीपते वासुदेवाजित श्रीनिधे।
अच्युतानन्त हे माधवाधोक्षज, द्वारकानायक द्रौपदीरक्षक।।
भावार्थः हे कृष्ण, हे गोविंद, हे राम, हे नारायण, हे रमानाथ, हे वासुदेव, हे अजेय, हे शोभाधाम, हे अच्युत, हे अनंत, हे माधव, हे अधोक्षज (इंद्रियातीत), हे द्वारकानाथ, हे द्रौपदीरक्षक मुझ पर कृपा कीजिये।

अधरं मधुरं वदनं मधुरं नयनं मधुरं हसितं मधुरं।
हृदयं मधुरं गमनं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्।।
भावार्थः श्री मधुरापधिपति का सभी कुछ मधुर है। उनके अधर मधुर हैं। मुख मधुर है, नेत्र मधुर हैं, हास्य मधुर है और गति भी अति मधुर है।


वसुदेवसुतं देवं कंसचाणूरमर्दनम्।
देवकी परमानन्दं कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम।।
भावार्थः कंस और चाणूर का वध करने वाले देवकी के आनंदवर्धन, वासुदेवनन्दन जगद्गुरु श्रीकृष्ण चंद्र की मैं वंदना करता हूं।

वृन्दावनेश्वरी राधा कृष्णो वृन्दावनेश्वर:।
जीवनेन धने नित्यं राधाकृष्णगतिर्मम।।
भावार्थः श्री राधारानी वृंदावन की स्वामिनी हैं और भगवान श्रीकृष्ण वृंदावन के स्वामी हैं, इसलिए मेरे जीवन का प्रत्येक क्षण श्रीराधा-कृष्ण के आश्रय में व्यतीत हो।

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महामायाजालं विमलवनमालं मलहरं, सुभालं गोपालं निहतशिशुपालं शशिमुखम। कलातीतं कालं गतिहतमरालं मुररिपुं ।।
भावार्थः जिसका मायारूपी महाजाल है जिसने निर्मल वनमाला धारण किया है, जो मलका अपहरण करने वाला है, जिसका सुंदरभाल है, जो गोपाल है, शिशुवधकारी हैं, जिसका चांद सा मुखड़ा है, जो संपूर्ण कलातीत हैं, काल हैं, अपनी सुन्दर गति से हंस का भी विजय करने वाला है, मूर दैत्य का शत्रु है, अरे, उस परमानन्दकन्द गोविंद का सदैव भजन कर।।

ऊँ कृं कृष्णाय नम: ।।
भावार्थः मैं भगवान कृष्ण को नमस्कार करता हूं। भगवान श्रीकृष्ण के इस बीज मंत्र का एक माला जप करने से जपकर्ता के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं।

ऊँ श्रीं नम: श्रीकृष्णाय परिपूर्णतमाय स्वाहा।।
भावार्थः पांच लाख बार जपने से यह मंत्र सिद्ध हो जाता है। इसका अर्थ है परब्रह्म की पूर्णतम अभिव्यक्ति भगवान श्रीकृष्ण को नमस्कार करता हूं। इस सप्तदशाक्षर महामंत्र का जप करने से आर्थिक संकट समाप्त होने लगते हैं।

ऊँ गोवल्लभाय स्वाहा ।।
भावार्थः यह दो शब्दों का मंत्र अत्यंत चमत्कारी है। इस मंत्र के जप से सारे कष्ट दूर होते हैं। वाणी मधुर होती है। सभी कार्यों में सफलता प्राप्त होती है। इस मंत्र को जपने से व्यक्ति समस्त सिद्धियों का स्वामी बन सकता है। कहा जाता है कि जो व्यक्ति इस मंत्र का सवा लाख जाप पूर्ण कर लेता है उसके पास धन-धान्य की कोई कमी नहीं रहती।

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ऊँ श्री कृष्णाय नम:।।
भावार्थः भगवान श्रीकृष्ण को नमस्कार है। इस बीज मंत्र का जप करने से जीवन की सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं और व्यक्ति का जीवन सुखमय बन जाता है।

ऊँ क्लीं ग्लौं क्लीं श्यामलांगाय नम:।।
भावार्थः इस मंत्र के जप से सभी आर्थिक संकट दूर होने लगते हैं।

ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय नम:।।
व्याख्याः इस मंत्र के जप से हर प्रकार के कार्यो की सिद्धि होने लगती है।

ऊँ नारायणाय विद्महे, वासुदेवाय धीमहि, तन्नो कृष्ण: प्रचोदयात
व्याख्याः इस श्रीकृष्ण गायत्री मंत्र के जप करने से जपकर्ता के एक साथ सैकड़ों कार्य सिद्धि होने लगते हैं।

ऊँ गोकुलनाथाय नम:।।
व्याख्याः इस आठ अक्षरों वाले मंत्र के जप से सभी इच्छाओं की पूर्ति होने लगती है