scriptललिता पंचमी व्रत 2020: संपत्ति, योग, संतान के अलावा मिलता है विशेष आशीर्वाद | Lalita panchami 2020 : 21 October 2020, Vrat puja vidhi of goddess | Patrika News

ललिता पंचमी व्रत 2020: संपत्ति, योग, संतान के अलावा मिलता है विशेष आशीर्वाद

locationभोपालPublished: Oct 19, 2020 02:26:02 am

: माता ललिता कौन हैं? Who is Mata Lalita?: माता ललिता की उत्पत्ति कैसे हुई? How Mata Lalita was born?: नवरात्र में माता ललिता का कौन सा दिन है? Which day is Mother Lalita in Navratri?: माता ललिता कौन से आशीर्वाद देती हैं? What blessings does goddess Lalita give?: देवी ललिता की व्रत विधि क्या है? What is the fasting method of Goddess Lalita?

Lalita panchami 2020 : 21 October 2020, Vrat puja vidhi of goddess

Lalita panchami 2020 : 21 October 2020, Vrat puja vidhi of goddess

आश्विन शुक्‍ल पंचमी यानि शारदीय नवरात्रि की पंचमी को ललिता पंचमी पर्व मनाया जाता है। इस वर्ष ललिता पंचमी/उपांग ललिता व्रत 21 अक्टूबर, बुधवार को मनाया जाएगा। ललिता देवी माता सती पार्वती का ही एक रूप हैं। ललिता देवी को ‘त्रिपुर सुंदरी’ के नाम से भी जाना जाता है,ये दस महाविद्याओं में से एक है। यह पर्व पूरे भारतभर में कई जगह मनाया जाता है। इसे ‘उपांग ललिता व्रत’ के नाम से भी जाना जाता है।

ललिता पंचमी का व्रत बहुत फलदायी माना जाता है। मान्यता के अनुसार इस दिन ललिता देवी की पूजा जो व्यक्ति पूर्ण भक्तिभाव से करता है, उसे देवी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। इस व्रत के बारे में स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है कि यह व्रत सुख, संपत्ति, योग, संतान प्रदान करने वाला व्रत है। संतान के सुख एवं उसकी लंबी आयु की कामना के लिए इस व्रत को किया जाता है।

पुराणों के अनुसार माता सती अपने पिता दक्ष द्वारा भगवान शिव का अपमान किए जाने पर यज्ञ अग्नि में अपने प्राण त्‍याग देती हैं। जिसके बाद भगवान शिव उनके शरीर को उठाए घूमने लगते हैं, ऐसे में पूरी धरती पर हाहाकार मच जाता है। जब विष्‍णु भगवान अपने सुदर्शन चक्र से माता सती की देह को विभाजित करते हैं, तब भगवान शंकर को हृदय में धारण करने पर इन्हें ‘ललिता’ के नाम से पुकारा जाने लगा।

देवी का स्वरूप : कालिका पुराण के अनुसार देवी ललिता की दो भुजाएं हैं। यह माता गौर वर्ण होकर रक्तिम कमल पर विराजित हैं। दक्षिणमार्गी शाक्तों के मतानुसार देवी ललिता को ‘चण्डी’ का स्थान प्राप्त है। इनकी पूजा पद्धति देवी चण्डी के समान ही है। देवी ललिता का ध्यान रूप बहुत ही उज्ज्वल व प्रकाशवान है।


ललिता व्रत की पूजा विधि : What is the fasting method of Goddess Lalita?

: इस दिन सबसे पहले प्रात:काल में उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर स्वच्छ व्रस्त्र धारण करें।

: घर के ईशान कोण में, पूर्व या उत्तर दिशा की ओर बैठे और मातारानी का पूजन करें।

: सबसे पहले शालिग्राम जी का विग्रह, कार्तिकेय जी का चित्र, माता गौरी और भगवान शिव की मूर्तियों समेत सभी पूजन सामग्री को एक जगह एकत्रित कर लें।

: पूजन सामग्री : तांबे का लोटा, नारियल, कुमकुम, अक्षत, हल्दी, चंदन, अबीर, गुलाल, दीपक, घी, इत्र, पुष्प, दूध, जल, फल, मेवा, मौली, आसन इत्यादि हैं।

: पूजा के दौरान माता के मंत्रों का जाप करें, अंत में जो भी आपकी मनोकामना हो उसकी प्रार्थना करें।

: यदि आपके संतान नहीं है तो आप अपने लिए संतान सुख की प्रार्थना कर सकते हैं।

: इसके बाद मेवा-मिष्ठान और मालपूए और खीर इत्यादि का प्रसाद वितरित किया जाता है।

: कई स्थानों पर इस दिन चंदन से भगवान विष्णु की पूजा और गौरी-पार्वती की पूजा तथा भगवान महादेव जी की पूजा का भी चलन है।

: इस दिन मां ललिता के साथ-साथ स्कंद माता और भोलेनाथ की पूजा भी की जाती है।

: माता ललिता को त्रिपुरसुन्दरी के नाम से भी जाना जाता है।

नवरात्रि में दुर्गा देवी के 9 रूपों की पूजा की जाती है और शारदीय नवरात्रि के 5वें दिन स्कंदमाता के पूजन के साथ-साथ ललिता पंचमी व्रत और शिवशंकर की पूजा भी की जाती है। इस संबंध में ऐसी मान्‍यता है कि मां ललिता 10 महाविद्याओं में से ही एक हैं, अत: पंचमी के दिन यह व्रत रखने से भक्त के सभी कष्‍ट दूर होकर उन्हें मां ललिता का विशेष आशीर्वाद मिलता है।

देवी त्रिपुर सुंदरी 10 महाविद्याओं में से एक हैं। इनके तीन स्वरूप बताए गए हैं। 8 वर्ष की बालिका के रूप में त्रिपुर सुंदरी, 16 वर्षीय अवस्था में षोडशी और मां का युवा स्वरूप ललिता त्रिपुर सुंदरी के नाम से प्रसिद्ध हैं। मां त्रिपुर सुंदरी 16 कलाओं में निपुण हैं, इसलिए भी इनको षोडशी कहा जाता है।

त्रिपुर सुंदरी की उत्पत्ति : Origin of Tripura Sundari
माता पार्वती ने एक बार भगवान शिव से गर्भावस्था और मरण के अपार दुख एवं कष्ट से छुटकारा पाने और मोक्ष की प्राप्ति के लिए एक उपाय पूछा। तब भगवान शिव ने त्रिपुर सुंदरी महाविद्या को प्रकट किया।

एक पौराणिक मान्यता के अनुसार इस दिन माता ललिता कामदेव के शरीर की राख से उत्पन्न हुए ‘भांडा’ नामक राक्षस को मारने के लिए प्रकट हुई थीं। इस दिन देवी मंदिरों पर भक्तों का तांता लगता है। यह व्रत समस्त सुखों को प्रदान करने वाला होता है अत: इस दिन मां ललिता की पूजा-आराधना का विशेष महत्व है। इस दिन ललितासहस्रनाम, ललितात्रिशती का पाठ विशेष तौर पर किया किया जाता है।

ललिता माता का मंत्र : mantra of goddess lalita
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं सौ: ॐ ह्रीं श्रीं क ए ई ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं सकल ह्रीं सौ: ऐं क्लीं ह्रीं श्रीं नमः।

माना जाता है कि पंचमी के दिन इस ध्यान मंत्र से मां को लाल रंग के पुष्प, लाल वस्त्र आदि भेंट कर इस मंत्र का अधिकाधिक जाप करने से जीवन की आर्थिक समस्याएं दूर होकर धन की प्राप्ति के सुगम मार्ग मिलता है।

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