scriptSawan Mangalwar 2021: सावन का आखिरी मंगला गौरी व्रत 17 को, जानें पूर्ण आशीर्वाद के लिए कैसे करें मां पार्वती की पूजा | Last Mangla Gauri vrat of sawan with puja vidhi on 17 august 2021 | Patrika News

Sawan Mangalwar 2021: सावन का आखिरी मंगला गौरी व्रत 17 को, जानें पूर्ण आशीर्वाद के लिए कैसे करें मां पार्वती की पूजा

locationभोपालPublished: Aug 17, 2021 10:18:11 am

मंगला गौरी व्रत का महत्व, कथा व पूजा विधि

sawan mangalwar

maa mangla gauri last vrat of 2021

सावन माह में माता पार्वती को प्रसन्न करने के लिए सावन के मंगलवार में माता मंगला गौरी का व्रत रखा जाता है। ऐसे में इस बार सावन में कुल 4 मंगलवार का संयोग रहा, जिसमें से 3 मंगलवार निकल चुके हैं, वहीं सावन 2021 का आखिरी मंगलवार 17 अगस्त को है।

दरअसल भगवान शिव के प्रिय सावन मास में आने वाला मां मंगला गौरी का यह व्रत सुख व सौभाग्य से जुड़ा माना जाता है। ऐसे में सावन के हर मंगलवार को सुहागिन महिलाएं इसके साथ ही संतान को सुखी जीवन की कामना करना है। इस दिन सम्पूर्ण शिव परिवार की आराधना का विधान है।

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जानकारों के अनुसार देवी मां पार्वती को सावन के दौरान पड़ने वाले मंगलवार अत्‍यंत प्रिय हैं। इसी कारण इस दिन मां गौरी का पूजन किया जाता है और इसे मंगला गौरी व्रत कहा जाता है। मान्यता है कि मां मंगला गौरी मां पार्वती का ही एक रूप है।
चौथा यानि अंतिम मंगलवार- 17 अगस्त को : जानें कैसे करें ये व्रत?

: सावन माह के आखिरी मंगलवार को ब्रह्म मुहूर्त में उठकर, नित्य कर्मों से निवृत्त होने के पश्चात साफ वस्त्र पहन कर व्रत करना चाहिए।
: इसके तहत साफ वस्त्र पहनने के बाद मां मंगला गौरी (पार्वतीजी) की एक प्रतिमा या चित्र लेकर पूजा स्थान पर पहुंचने के बाद माता के मंत्र- ‘मम पुत्रा पौत्रा सौभाग्यवृद्धये श्रीमंगलागौरी प्रीत्यर्थं पंचवर्षपर्यन्तं मंगला गौरी व्रत महं करिष्ये।’का उच्चारण करते हुए व्रत का संकल्प लें। इसके बाद मां मंगला गौरी की प्रतिमा या चित्र को एक लाल या सफेद वस्त्र बिछी चौकी पर स्थापित किया जाता है। वहीं यहां माता के सामने 16 बत्तियों वाला एक घी का दीपक (आटे से बनाया हुआ) जलाएं।
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: फिर मंगला गौरी का षोडशोपचार पूजन- ‘कुंकुमागुरुलिप्तांगा सर्वाभरणभूषिताम्। नीलकण्ठप्रियां गौरीं वन्देहं मंगलाह्वयाम्…।।’ मंत्र बोलते हुए करें।

माता की पूजा के बाद उन्हें (16 की संख्या में सभी वस्तुएं होनी चाहिए) 16 मालाएं, लौंग, सुपारी, इलायची, फल, पान, लड्डू, सुहाग क‍ी सामग्री, 16 चूड़ियां और मिठाई अर्पित करें। इसके साथ ही 5 प्रकार के सूखे मेवे व 7 प्रकार के अनाज (जिसमें गेहूं, उड़द, मूंग, चना, जौ, चावल और मसूर) आदि भी चढ़ाएं।

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सावन मंगलवार के दिन की जाने वाली इस पूजा के बाद मंगला गौरी की कथा सुनना अति आवश्यक माना जाता है, मान्यता के अनुसार इसे सुनने के बाद ही पूर्ण फल की प्राप्ति होती है।

ध्यान रहे इस व्रत में पूरे दिन मां पार्वती की आराधना की जाती है। जबकि एक ही समय समय अन्न ग्रहण किया जा सकता है। जानकारों के अनुसार माता पार्वती को प्रसन्न करने वाला यह सरल व्रत करने से महिलाओं को अखंड सुहाग के साथ ही पुत्र प्राप्ति का सुख प्राप्त होता है।

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