
जानें माँ दुर्गा भवानी की सवारी शेर कैसे बन गया, अद्भूत रहस्य
शत्रुओं का संहार करने वाली जगत जननी आद्यशक्ति माँ दुर्गा अपनी शरण में आने हर भक्त की रक्षा करती है, उनकी कामना पूरी करती है। माँ दुर्गा भवानी शेर की सवारी करती है। वैसे तो नवरात्र के नौ दिनों तक माँ दुर्गा के विभिन्न नौ रूपों की अलग-अलग पूजा आरधना की जाती है और शास्त्रों में सभी नौ रूपों के वाहन भी अलग-अलग बताएं गए है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि जंगल का राजा कहा जाने वाला शेर आखिर माँ दुर्गा का वाहव कैसे और क्यों बना, नहीं तो जानें शेर की माँ दुर्गा का वाहव बनने की अद्भूत कथा।
हिंदू धर्म ग्रंथों में अनेक देवी-देवताओं का उल्लेख मिलता है और उन सभी देवी-देवताओं का एक-एक वाहन भी बताया गया है। जगत माता आद्यशक्ति माँ दुर्गा भवानी का वाहन भी जंगल के राजा शेर की सवारी करती हुई बताया गया है। शास्त्रोंक्त कथानुसार माना जाता है कि एक बार माँ दुर्गा भवानी कैलाश पर्वत को छोड़कर एकांत वन में तपस्या करने के लिए चली गई। वन में माता दुर्गा घोर तप कर रही थीं, तभी वहां एक बहुत भूखा शेर आ गया। उस शेर ने माता पार्वती को देखा औऱ सोचने लगा की मैं इसे खाकर अपने पेट की भूख मिला लूंगा। इस आशा के साथ वह वहीं बैठ गया। उधर माता पार्वती तपस्या में लीन थीं। उनकी तपस्या से शिवजी प्रकट होकर उन्हें लेने आ गए। जब पार्वती ने देखा कि शेर भी उनकी काफी समय से प्रतीक्षा कर रहा था तो वे उस पर अति प्रसन्न हो गई।
माता पार्वती ने शेर की इस प्रतीक्षा को तपस्या के समान ही माना और शेर को प्रसन्न होकर सदैव अपने वाहन के रूप में अपने साथ रहने का आशीर्वाद दे दिया। तभी से शेर माँ दुर्गा का वाहन बन गया। शास्त्रों में शेर को शक्ति, भव्यता, विजय का प्रतीक माना जाता है। इसलिए कहा जाता है कि जो भी भक्त माता की शरण में जाता है, माँ दुर्गा भवानी उसकी सदैव रक्षा करती है और मनोकामना पूरी कर देती है।
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Published on:
04 Jan 2020 12:49 pm
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