
Birth Of Goddess Lakshmi: हिंदू धर्म में माता लक्ष्मी को धन की देवी के नाम से भी जाना जाता है। क्योंकि ये मनुष्य को धन, वैभव, सुख-समृद्धि और सौभाग्य की दाता हैं। लकिन क्या आप जानते हैं कि देवी लक्ष्मी का प्राकट्य कैसे हुआ। आइए जानते हैं।
धार्मिक ग्रंथों के अनुसारमाता लक्ष्मी का प्राकट्यअत्यंत रहस्यमय और पवित्र घटना से जुड़ा हुआ है। इनकी उत्पत्ति का रहस्य मुख्य रूप से विष्णु पुराण मिलता है।
माता लक्ष्मी का जन्म समुद्र मंथन की प्रमुख घटना से जुड़ा है। धार्मिक मान्यता है कि समुद्र मंथन देवताओं और असुरों द्वारा अमृत प्राप्त करने के लिए किया गया था। यह समुद्र मंथन की सबसे महत्वपूर्ण घटना मानी जाती है। जिसमें सृष्टि की कई अद्भुत और दिव्य वस्तुएं निकली थीं।
मान्यता है कि जब देवता और असुरों को मंथन से अमृत की प्राप्ति होने लगी। इसी दौरान माता लक्ष्मी क्षीरसागर से एक कमल के फूल पर विराजमान होकर प्रकट हुईं। मान्यता है कि उनकी सुंदरता, तेजस्विता और दिव्यता ने देवता और असुरों को मोहित कर दिया।
माता लक्ष्मी के प्रकट होते ही देवता और असुर दोनों उनकी आराधना करने लगे। माता लक्ष्मी ने भगवान विष्णु को अपने स्वामी के रूप में चुना और उनके साथ विवाह किया। तभी से भगवान विष्णु की अनन्य संगिनी के रूप में माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है।
माता लक्ष्मी केवल भौतिक धन की देवी तो हैं ही। साथ ही वह आध्यात्मिक समृद्धि और संतोष का भी प्रतीक हैं। धार्मिक मान्यता है जिस जगह माता लक्ष्मी का वास होता है, वहां सुख-समृद्धि और शांति बनी रहती है। साथ ही ही भगवान विष्णु का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है।
धनलक्ष्मी- धन और समृद्धि की देवी।
धान्यलक्ष्मी- अन्न और पोषण की देवी।
गजलक्ष्मी- शक्ति और सौभाग्य की देवी।
विद्यालक्ष्मी- शिक्षा और ज्ञान की देवी।
संतानलक्ष्मी- संतान सुख की देवी।
हिंदू धर्म में माता लक्ष्मी की पूजा के लिए सबसे बड़ा पर्व दीवाली का होता है। इस सभी लोग अपने घरों की साफ-सफाई करते हैं साथ ही विधि विधान के साथ माता लक्ष्मी जी की पूजा-अर्चना करते हैं। क्योंकि यह दिन माता लक्ष्मी का दिन माना जाता है।
Published on:
08 Jan 2025 11:53 am
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