
नारायण-नारायण जपने वाले देवर्षि नारद ब्रह्मांड के पहले पत्रकार हैं
पौराणिक कथाओं मेंं देवर्षि नारद को देवताओं के मुख्य दूत के तौर पर बताया गया है। माना गया है कि देवर्षि नारद का मुख्य कार्य देवताओं के बीच सूचना पहुंचाना है। कथाओं के अनुसार, देवर्षि नारद तीनों लोक से (पृथ्वी, आकाश और पाताल) हर प्रकार की खबरों का आदान-प्रदान देवताओं को करते हैं। यही कारण है कि उन्हें ब्रह्मांड का प्रथम पत्रकार कहा गया है। माना जाता है कि ब्रह्मांड की बेहतरी के लिए तीनों लोक का भ्रमण करते रहते हैं।
नारायण-नारायण उच्चारण करते पहुंचते हैं देवर्षि नारद
कहा जाता है कि देवर्षि नारद वीणा वादन करते हुए और नारायण-नारायण का उच्चारण करते हुए जब भी किसी सभा में पहुंचते हैं तो उनको देखते ही अर्थ लगा लिया जाता है कि देवर्षि नारद जरूर कोई संदेश लेकर आए हैं।
तीनों लोक में कहीं भी, कभी भी प्रकट हो सकते हैं नारद
भगवान विष्णु के परम भक्त देवर्षि नारद को अमरत्व का वरदान प्राप्त है। कहा ये भी जाता है कि देवर्षि नारद तीनों लोक में कहीं भी, कभी भी और किसी भी वक्त प्रकट होने का भी वरदान प्राप्त है।
देवर्षि नारद के नाम का अर्थ
माना जाता है कि देवर्षि नारद भगवान विष्णु के परम भक्त हैं। कहा जाता है कि उनका मुख्य उद्देश्य भक्तों की पुकार भगवान विष्णु तक पहुंचाना है। दरअसल, देवर्षि नारद के नाम के पीछे भी अर्थ छिपा हुआ है। नार का अर्थ होता है जल और द का मतलब दान। कहा जाता है कि ये सभी को जलदान, ज्ञानदान और तर्पण करने में मदद करते थे। यही कारण है कि वे नारद कहलाए।
वीणा दान करना श्रेष्ठ माना गया है
हम उन्हें हर वक्त वीणा बजाते देखते हैं। हमारे शास्त्रों में वीणा का बजना शुभता का प्रतिक माना गया है। कहा जाता है कि नारद जयंती पर वीणा का दान अन्य किसी दान से श्रेष्ठ है। यही कारण है कि नारद जी के जयंती पर वीणा दान ही करना चाहिए। इससे शुभ लाभ की प्राप्ति होती है। गौरतलब है कि 20 मई को नारद जयंती है।
Published on:
19 May 2019 10:59 am
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