
Narada Jayanti : नारद जी द्वारा रचित इस स्तुति का पाठ करने से प्रसन्न हो जाते हैं, भगवान श्री गणेश
आज शुक्रवार 8 मई को ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि है। इस दिन देवर्षि नारद जी का जन्मोत्सव “नारद जयंती” मनाई जाती है। कहा जाता है कि इस दन देवर्षि जी द्वारा रचित इस गणेश स्तुति का पाठ करने से बुद्धि, ज्ञान के देवता श्रीगणेश जी प्रसन्न होकर इच्छा पूर्ति का आशीर्वाद देते हैं।
देवर्षि नारद जी द्वारा रचित इस वंदना का पाठ करने एवं इसे भोजपत्र पर लिखकर किसी वेदपाठी ब्राह्मण को दान करने से इच्छित कामना की पूर्ति होती है। देवर्षि नारद जी के श्रीमुख से निकली अष्टविनायक श्रीगणेश जी कामना पूर्ति स्तुति-
।। अथ नारद उवाच ।।
प्रणम्य शिरसा देवं गौरीपुत्रं विनायकम्।
भक्तावासं स्मरेन्नित्यमायुःकामार्थसिद्धये।।
प्रथमं वक्रतुण्डं च एकदन्तं द्वितीयकम्।
तृतीयं कृष्णपिंगाक्षं गजवक्त्रं चतुर्थकम्।।
लम्बोदरं पञ्चमं च षष्ठं विकटमेव च।
सप्तमं विघ्नराजेन्द्रं धूम्रवर्णं तथाष्टमम्।।
नवमं भालचन्द्रं च दशमं तु विनायकम्।
एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजाननम्।।
द्वादशैतानि नामानि त्रिसंध्यं यः पठेन्नरः।
न च विघ्नभयं तस्य सर्वसिद्धिकरं परम्।।
विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम्।
पुत्रार्थी लभते पुत्रान् मोक्षार्थी लभते गतिम्।।
जपेद्गणपतिस्तोत्रं षड्भिर्मासैः फलं लभते।
संवत्सरेण सिद्धि च लभते नात्र संशयः।।
अष्टभ्यो ब्राह्मणेभ्यश्च लिखित्वा यः समर्पयेत्।
तस्य विद्या भवेत् सर्वा गणेशस्य प्रसादतः।।
अर्थात- नारदजी कहते हैं सबसे पहले मस्तक झुकाकर गौरीपुत्र विनायक देव अष्टविनायक श्रीगणेश जी को प्रणाम करके प्रतिदिन आयु, अभीष्ट मनोरथ और धन आदि प्रयोजनों की सिद्धि के लिये गणेशजी का स्मरण करते हुए इन 12 नामों का पाठ करना चाहिए।
इन नामों के जप से विद्यार्थी विद्या, धनार्थी धन, पुत्रार्थी अनेक पुत्र और मोक्षार्थी मोक्ष पाता है। इस गणपतिस्तोत्रका नित्य जप करें। जपकर्ता को छः महीने में अभीष्ट फलकी प्राप्ति होती है। एक वर्ष तक जप करने से मनुष्य सिद्धि को प्राप्त कर लेता है, इसमें संशय नहीं है। जो इस स्तोत्र को भोजपत्र पर लिखकर आठ ब्राह्मणों को दान करता है, गणेशजी की कृपा से उसे सम्पूर्ण विद्या की प्राप्ति होती है।
इन नामों का करें जप उच्चारण
पहला नाम- ‘वक्रतुण्ड’ है, दूसरा- ‘एकदन्त’ है, तीसरा- ‘कृष्णपिंगाक्ष’ है, चौथा- ‘गजवक्त्र’ है, पांचवां- ‘लम्बोदर’, छठा- ‘विकट’, सातवां- ‘विघ्नराजेन्द्र’, आठवां- ‘घूम्रवर्ण’, नवां- ‘भालचन्द्र’, दसवा- ‘विनायक, ग्यारहवा- ‘गणपति’ और बारहवा- नाम ‘गजानन’ है। जो भी मनुष्य सबेरे, दोपहर और सायं तीनों संध्याओं के समय प्रतिदिन इन बारह नामों का पाठ करता है, उसे विघ्न का भय नहीं होता। यह नाम-स्मरण उसके लिये सभी सिद्धियों का उत्तम साधक है।
***************
Published on:
08 May 2020 11:03 am
बड़ी खबरें
View Allधर्म-कर्म
धर्म/ज्योतिष
ट्रेंडिंग
