ऐसे हुआ था माँ दुर्गा का अवतार
देवताओं की करूण पुकार सुनकर एवं त्रिदेवों और सभी देवताओं के तेज के अंश से ही माता भगवती देवी दुर्गा का अवतार हुआ था । दुर्गा सप्तशती के दुसरे अध्याय में असुर राज महिषासुर ने अपनी राक्षसी सेना के साथ देवताओं पर सैकड़ों आक्रमण कर दिया जिसमें असुरों की विजय हुई और उन्होंने स्वर्ग पर अधिकार कर लिया, जिससे सृष्टि का संतुलन बिगड़ने लगा, तब सारे देवता त्रिदेव (बह्रमा विष्णु और महेश) के पास सहायता के लिए गए । पूरी बात सुनकर त्रिदेव बहुत क्रोधित हुए.. और उनके मुख मंडल से एक तेज निकलता है जो एक सुन्दर देवी में परिवर्तित हो गया, और वही माण दुर्गा का आवतार मानी गई ।
असुर महिषासुर और उसकी सारी सेना का वध करके माँ दुर्गा ने देवताओं को फिर से स्वर्ग पर बैठा दिया । तभी से जो भी व्यक्ति सच्चे मन से माँ दुर्गा की आराधना करता है उसे सभी देवताओं का आशीष स्वतः ही मिल जाता है । माँ दुर्गा के इस नव रूप की पूजा आराधना के लिए ही तब से नवरात्रि का पर्व – त्यौहार मनाया जाने लगे ।