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इस नवरात्रि करें दुर्गा जी के इन 6 अवतारों के नामों का जप- सारे संकटों को हर लेंगी माँ भवानी

इस नवरात्रि करें दुर्गा जी के इन 6 अवतारों के नामों का जप- सारे संकटों को हर लेंगी माँ भवानी

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भोपाल

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Shyam Kishor

Sep 28, 2018

navratri sadhana

इस नवरात्र में करें दुर्गा जी के इन 6 अवतारों के नामों का जप- सारे संकटों को हर लेंगी माँ भवानी

दुर्गा सप्तशती के 11वे अध्याय में देवताओं की स्तुति से प्रसन्न होकर माँ भवानी ने यह वरदान दिया की जब जब त्रिलोक में संकट आएगा तब संकटो को दूर करने के लिए वे स्वमं अवतार लेंगी । वैसे तो नवरात्रि में माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की ही जाती है लेकिन इसके अलावा भी भगवती माता भवानी ने भक्तों के संकटों को हरने के लिए विशेष रूप से 6 अवतार लिए थे, शास्त्रों के अनुसार नवरात्र के नौ दिनों तक इन अवतारों के केवल नामों का ही 108 बार जप किया जाये तो सभी भक्तों के दुखों को मां हर लेती हैं ।

दुर्गा माँ के इन अवतारों के नामों का करें जप
1- रक्तदंतिका
माँ दुर्गा भवानी ने देवताओं की रक्षा के लिए नंदगोप की पत्नी यशोदा के पेट से जन्म लिया, और विन्ध्याचल पर्वत पर निवास करने लगी, एवं वैप्रचित्त दानव के नाश करने के लिए एक अत्यंत भयंकर रूप में पृथ्वी पर अवतार लिया था । इस अवतार में माता ने अपने दांतों से दैत्यों को चबाया था, जिससे माता के समस्त दन्त अनार के दानों के रंग की तरह लाल दिखाई देने लगे । तभी से इस अवतार के रूप में माँ दुर्गा को भक्त रक्तदंतिका के नाम से पुकारने लगे ।

2- शताक्षी
अगला अवतार माँ ने तब लिया जब इस धरा पर 100 वर्षो तक वर्षा नही हुई, तब माँ ऋषि-मुनियों की स्तुति आवाहन करुण पुकार सुनकर प्रकट हुई । इस अवतार में माता अपने सौ नेत्रों के माध्यम से अपने भक्तों को देखा और उनके इस संकट को दूर किया । तभी से इनका नाम 'शताक्षी' माता हुआ, अर्थात सौ आँखों से देखने वाली ।

3- शाकम्बरी देवी
इस अवतार में माता ने 100 वर्षों तक बारिश नही होने पर इस धरती पर जीवन बचाने के लिए माँ शाकम्बरी देवी के रूप में अवतरित हुई, और अपनी अनेकों शाखाओं से भरण पोषण करने लगी जब तक वर्षा नही हो हुई ।

4- दुर्गा
इसी अवतार में मां दुर्गा ने दुर्गम नाम के एक दैत्य का संहार कर भक्तों की रक्षा की थी, तभी से माता का नाम दुर्गा पड़ा ।

5- भीमा देवी
मां भवानी ने 'भीमा देवी' के रूप में अवतार लेकर उन राक्षसों का वध किया जो हिमालय में रहने वाले ऋषि - मुनियों को परेशान करते थे, उनकी पूजा में विघ्न डालते थे । राक्षसों का वध कर माता ने ऋषि - मुनियों को सभी संकटों को हर लिया था ।

6- भ्रामरी माता
जब तीनों लोकों में अरुण नाम के दैत्य का अत्याचार बढ़ने लगे, और जगत में त्राहिमाम होने लगा, ऋषि - मुनियों और देवताओं आवाहन पर उनकी रक्षा करने के लिए माता ने छह पैरों वाले असंख्य भ्रमरों का रूप धारण करके अरुण दैत्य का नाश किया, तभी से मां आद्यशक्ति दुर्गा 'भ्रामरी माता' के नाम से पूजी जाने लगी ।

आज भी नवरात्र या अन्य दिनों में माँ दुर्गा के - रक्तदंतिका, शताक्षी, शाकम्बरी देवी, दुर्गा, भीमा देवी, और भ्रामरी माता के नामों या मंत्रों का श्रद्धा पूर्वक जप करते हैं तो माता उनके सभी संकटों को हर लेती है ।