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Sarva Pitru Amavasya 2025: सभी पितृ को तृप्त करने वाला ये है दिन, पूर्वजों की तिथि नहीं पता तो इन दिन करें पितृपक्ष में पिंडदान

इसके साथ ही सर्वपितृ अमावस्या पर संन्यास ग्रहण करने वाले पूर्वजों का श्राद्ध भी किया जाता है। इसके अलावा वे लोग, जिनके वंशज किसी कारणवश दूर रहते हैं और पूरे पितृपक्ष में श्राद्ध नहीं कर पाते, वे भी इस दिन अपने पितरों का तर्पण कर सकते हैं।

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भारत

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Anurag Animesh

Sep 15, 2025

Sarva Pitru Amavasya 2025

Sarva Pitru Amavasya 2025(AI Image-Gemini)

Sarva Pitru Amavasya 2025: हिंदू धर्म और सनातन परंपरा में पितृ पक्ष का विशेष और खास महत्त्व है। पितृ पक्ष में लोग अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध करते हैं। इस काल को पितरों को स्मरण किया जाता है। पितृपक्ष का अंतिम दिन "सर्वपितृ अमावस्या(Sarvapitri Amavasya)" कहलाता है। इस दिन परिवार के लोग अपने पूर्वजों का श्रद्धा करते हैं और उन्हें जल अर्पित करते हैं और तर्पण करते हैं। मान्यता है कि जिन पूर्वजों की मृत्यु तिथि ज्ञात नहीं होती, उनका श्राद्ध भी इसी दिन किया जाता है। इसलिए इसे पितरों को विदा देने का दिन भी कहा जाता है। इसलिए जिनको भी अपने पितरों की मृत्यु की तिथि नहीं पता वे इस दिन उनका श्राद्ध कर सकते हैं। इस साल सर्वपितृ अमावस्या 21 सितंबर 2025 को मानी जाएगी।

Sarva Pitru Amavasya 2025: इनका भी हो सकता है श्राद्ध


इसके साथ ही सर्वपितृ अमावस्या पर संन्यास ग्रहण करने वाले पूर्वजों का श्राद्ध भी किया जाता है। इसके अलावा वे लोग, जिनके वंशज किसी कारणवश दूर रहते हैं और पूरे पितृपक्ष में श्राद्ध नहीं कर पाते, वे भी इस दिन अपने पितरों का तर्पण कर सकते हैं। इस बार यह अमावस्या विशेष संयोग के साथ आ रही है, जिसमें पूर्वाफाल्गुनी और उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र के साथ शुभ योग भी बन रहे हैं। मान्यता है कि इस दिन किया गया दान और पुण्य कार्य कई गुना फल देता है।

Pitru Amavasya 2025: इस दिन का धार्मिक महत्व और पूजा विधि

मान्यता है कि इस दिन पितर धरती पर आकर अपने वंशजों के तर्पण का इंतजार करते हैं। श्राद्ध और पिंडदान से वे तृप्त होकर आशीर्वाद प्रदान करते हैं। इससे घर-परिवार में सुख-शांति, संतान सुख, समृद्धि और उन्नति आती है। पितृदोष से मुक्ति मिलने की भी बात कही गई है। इस दिन प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करके पवित्र जल, तिल और कुश का उपयोग करके पितरों को तर्पण दें। पिंडदान करते समय जौ, चावल और तिल का प्रयोग करें। श्राद्ध के बाद ब्राह्मणों को भोजन कराना और दक्षिणा देना अनिवार्य माना गया है। परिवार के सदस्य इस दिन सात्विक भोजन करें और पितरों का स्मरण करते हुए उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।

Sarva Pitru Amavasya 2025: सर्वपितृ अमावस्या 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त


अमावस्या तिथि प्रारंभ- 21 सितंबर 2025, रात 12:16 बजे से
अमावस्या तिथि समाप्त- 22 सितंबर 2025, रात 1:23 बजे तक
कुतुप मुहूर्त- सुबह 11:50 से दोपहर 12:38 बजे तक
रौहिण मुहूर्त- दोपहर 12:38 से 1:27 बजे तक
अपराह्न काल- दोपहर 1:27 से 3:53 बजे तक