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शनिश्चरी अमावस्या कब है? पौष की रात भूलकर भी न करें ये काम, वर्ना पितरों का क्रोध पड़ेगा झेलना!

आज पौष अमावस्या है। इस दिन शाम और रात के वक्त कुछ गलतियों को करने से बचना चाहिए, वरना हानि हो सकती है। इस लेख में पढ़िए, अमावस्या के नियम और शनिश्चरी अमावस्या कब है?

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Paush Amavasya Shanishchari Amavasya

Paush Amavasya Shanishchari Amavasya: अमावस्या के दिन क्या करें, क्या न करें? इस लेख से समझिए। (Pic Source: Gemini)

Paush Amavasya Shanischari Amavasya: अमावस्या का दिन सनातन धर्म में बहुत पवित्र होता है। इस लेकर यदि आप भी ये जानना चाहते हैं, कि अमावस्या कब है और इस दिन किन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए, तो यह लेख आपके लिए है। इसमें हम आपको दिसम्बर महीने की पौष अमावस्या और शनिश्चरी अमावस्या के बारे में जरूरी बातें बताने जा रहे हैं।

पितरों की कृपा मिलेगी

गरुड़ पुराण के अनुसार, पौष मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को पौष अमावस्या कहते हैं। अमावस्या तिथि पर तर्पण और दान करने से पितरों को शांति मिलती है और पितृ दोष का नाश होता है, इसीलिए पौष अमावस्या को 'छोटा पितृपक्ष' भी कहा जाता है। निम्नलिखित बातों का ध्यान रख और पितरों की सेवा कर आप उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। जिनके पितृ और पूर्वज प्रसन्न होते हैं, उसे धन-धान्य, सुख-संपत्ति और मनोवांछित कामना सिद्ध होने का आशीर्वाद मिलता है। शांति पाठ, विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्र पाठ, श्रीमद्भागवत गीता पाठ, हरिवंश पुराण, गरुड़ पुराण आदि कर्मकांड कराएं। इससे अक्षय पुण्य (कभी समाप्त न होने वाला पुण्य) मिलता है। हमारे सभी पूर्वजों और पितरों को भी शांति मिलती है।

अमावस्या के दिन क्या करें?

  • ब्रह्ममुहुर्त में स्नान करें।
  • सूर्योदय के समय तांबे के लौटे गंध, गंगाजल, पुष्प आदि से भगवान श्री सूर्यनारायण को अर्घ्य दें।
  • पितरों की शांति हेतु प्रार्थना करें।
  • श्रद्धा भक्ति पूर्वक पितरों की आराधना करें
  • दिन भर व्रत-उपवास रखें।
  • दिन में पीपल के वृक्ष की पूजा करें। शासत्रानुसार, 71 परिक्रमा करने से, 71 पीढ़ियों तक के पितरों को सद्गति मिलती है।
  • दिन-दुखियों और ब्राह्मणों को वस्त्र, भोजन, दक्षिणा देने से पितरों को पुण्य मिलता है।
  • पक्षियों को दाना डालें और गौ माता को हरा चारा अवश्य खिलाएं।
  • शाम को, दक्षिण दिशा में घी का दीपक जलाकर पितरों का ध्यान करें।
  • कुल देवता और पितृ देवता का पूजन कर शांति पाठ कराएं।

इन मंत्रों का जाप करें

ओम घृणि सूर्याय नमः
ओम आर्यमा पित्रेश्वराय नमः

पौष अमावस्या को क्या ना करें?

सूर्योदय के बाद न सोएं। इससे पितृ दोष होता है। आपकी और घर की तरक्की में बाधा बनता है।

बड़े बुजुर्गों से वाद-विवाद करना, श्राद्ध तर्पण आदि कर्म में श्रद्धा ना रखना और पितरों को दिए दान आदि को व्यर्थ समझना और दान देने वाले को रोकना पाप के समान होता है। इससे पितृ नाराज हो सकते हैं, और आपके कार्य में रुकावट, सरकारी बाधाएं, पदोन्नति में रुकावट आदि गंभीर समस्याएं आने लगती हैं।

गाली देना, निंदा करना, झगड़ा करना, क्रोध में आकर किसी को खोटे वचन कहना, गरीबों का मजाक उड़ाना, दिन-दुखी को सताने से हानि होती है।

काले रंग के कपड़े पहनना, अत्यधिक चमकीले और फूहड़ रंगों को पहनना भी पितृ दोष को बढ़ा सकता है।

भूमि, भवन खरीदना-बेचना, आर्थिक गतिविधि जैसे लेनदेन करना और उधार देना, किसी काम का मुहूर्त करना आदि कामों से बचना चाहिए।

शाम और रात के समय सुनसान जगह पर घूमना, तांत्रिक या दूसरों को हानि पहुंचाने के लिए किए गए अत्यंत निषिद्ध आचरणों के कारण आपको भयंकर पितृ या प्रेत दोष लग सकता है।

बिना पितरों को भोग लगाए भोजन करना, भोजन ,अग्नि आदि का अपमान आपको भारी पड़ सकता है।

(अस्वीकरणः उपरोक्त जानकारी शास्त्र और ज्योतिष से बात कर दी गई है। हम इसकी सटीकता की पुष्टि नहीं करते। ज्यादा जानकारी के लिए संबंधित विशेषज्ञ से मिलें।)