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Shanidev Murti At Home: घर में शनिदेव की मूर्ति क्यों नहीं रखी जाती? जानिए ज्योतिष से जुड़े रहस्य

Shanidev Murti:शनिदेव की मूर्ति घर में न रखने का कारण डर नहीं, बल्कि शास्त्रीय संतुलन है। शनिदेव कर्म, न्याय और वैराग्य के देव हैं, जिन्हें खुले स्थान और सेवा-भाव से पूजा जाना चाहिए। सही उपाय और अच्छे कर्मों से शनि की कृपा स्वतः प्राप्त होती है।

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Shanidev Puja Vidhi

Shanidev Murti: अक्सर लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि शनिदेव की मूर्ति घर में क्यों नहीं रखी जाती, जबकि वे न्याय और कर्म के देवता माने जाते हैं। ज्योतिष और शास्त्रों में इसके पीछे गहरे कारण बताए गए हैं, जिन्हें जानना हर श्रद्धालु के लिए जरूरी है।

शनिदेव की दृष्टि क्यों मानी जाती है प्रभावशाली?

शनिदेव को कर्मों का न्यायाधीश कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि जहां शनिदेव की दृष्टि पड़ती है, वहां का प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है।

  • अच्छी चीजें हों तो उनका भार बढ़ता है
  • गलत कर्म हों तो कष्ट भी बढ़ जाते हैं

इसी कारण शनिदेव की दृष्टि को बहुत तीव्र और कठोर माना गया है।

घर में शनिदेव की मूर्ति क्यों नहीं रखी जाती?

शास्त्रों के अनुसार इसके मुख्य कारण हैं:

  1. शनिदेव गृहस्थ देवता नहीं हैं

शनिदेव वैराग्य के प्रतीक हैं। वे व्यक्ति को त्याग और कर्म की राह पर ले जाते हैं। गृहस्थ जीवन में वैराग्य आने से पारिवारिक संतुलन बिगड़ सकता है।

  1. शनिदेव खुले स्थान में वास करते हैं

आपने देखा होगा कि शनि शिंगणापुर या अन्य शनि मंदिरों में उनकी मूर्ति के ऊपर छत नहीं होती।
शनिदेव को कैद या बंद स्थान में रखना उचित नहीं माना जाता।

3. घर में उनकी दृष्टि अशांति ला सकती है

ऐसी मान्यता है कि घर के अंदर शनिदेव की मूर्ति होने से मानसिक दबाव, तनाव और बाधाएं बढ़ सकती हैं।

शनिदेव को कैसे प्रसन्न करें?

शनिदेव को मूर्ति से नहीं, कर्मों से प्रसन्न किया जाता है।

शुभ कर्म जो शनिदेव को प्रिय हैं:

  • गरीब, वृद्ध, विधवा और अनाथों की मदद
  • अपाहिज और बीमार लोगों की सहायता
  • ईमानदारी से अपना काम करना
  • दान और सेवा
  • शनिदेव को सरसों का तेल, काला तिल और लोहे का दान अत्यंत प्रिय है।

शनिदेव की पूजा कहां करें?

  • पीपल के वृक्ष के नीचे
  • शनिवार के दिन
  • मंत्र जाप और दान के साथ

सरल उपाय:

शनिवार को 13 पीपल के पत्तों पर उबले चावल, काला तिल रखें, जल छिड़कें और पीपल के चारों ओर 7 परिक्रमा करें। इससे शनि बाधाएं दूर होती हैं।