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pitru moksha amavasya : पितृपक्ष समापन- 9 अक्टूबर 2018, अंतिम दिन ऐसे श्राद्ध करने से बदल जाती हैं श्राद्ध करने वाले की जिन्दगी

पितृपक्ष समापन- 9 अक्टूबर 2018, अंतिम दिन ऐसे श्राद्ध करने से बदल जाती हैं श्राद्ध करने वाले की जिन्दगी

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भोपाल

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Shyam Kishor

Oct 08, 2018

pitru moksha amavasya

पितृपक्ष समापन- 9 अक्टूबर 2018, अंतिम दिन ऐसे श्राद्ध करने से बदल जाती हैं श्राद्ध करने वाले की जिन्दगी

सोलह दिनों तक चले श्राद्ध पितृपक्ष का समापन आश्विन मास के कृष्णपक्ष की अमावस्या तिथि हो जायेगा । दो दिन अमावस्या तिथि होने के कारण पहले दिन यानी की 8 अक्टूबर सोमवार को स्नान अमावस्या है एवं पित्रों की बिदाई के लिए मूल सर्वपितृ श्राद्ध अमावस्या 9 अक्टूबर मंगलवार 2018 को हैं । अगर किसी ने इन सोलह दिनों में किसी कारण वश अपने पितरों का श्राद्ध कर्म नहीं किया हो तो इस दिन सर्व पितृ मोक्ष अमावस्या के दिन सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त के पूर्व तक घर में या किसी पवित्र तीर्थ स्थल में पितरों की तृप्ति के लिए तर्पण, पिण्डदान, पंचबलि, दान एवं ब्राह्मण भोज आदि कर्म करने से पूर्वज पितरों की आत्मा को तृप्ति व शांति मिलती हैं । इस दिन उन लोगों का श्राद्ध भी करने से अथाह पुण्य की प्राप्ति होती जिनकी तिथि की जानकारी नहीं होती । ऐसे करें इस दिन श्राद्ध कर्म ।


पितृ मोक्ष अमावस्या के दिन पूरे दिन किसी भी समय सूर्यास्त से पूर्व, किसी पवित्र पर स्थल पर कुशा, काली तिल, जौ, गाय का दुध थोड़ा सा गंगा जल, तुलसी दल एवं शुद्ध जल (अगर नदी या सरोवर में कर रहे हो तो प्रतिकात्मक रूप से उसी जल में गंगा जल मिलाया जा सकता हैं ) आदि लेकर दक्षिण दिशा की ओर मुह करके अपने ज्ञात अज्ञात पितृों का ध्यान करते हुए उक्त सामग्री को थोड़ा थोड़ा लेकर जल सहित छोड़े, किसी जानकार पंडित को माध्यम से भी करा सकते हैं या स्वयं भी ऊँ पित्राय नमः बोलते हुए कर सकते हैं । ऐसे करने से पित्रों की आत्मा को तृप्ति मिलती हैं । अमावास्या के दिन पितृ वायु रूप धारण कर घर के द्वार पर श्राद्ध एवं तर्पण की अभिलाषा से खड़े रहते हैं तथा सूर्यास्त होने तक उनके लिए कुछ भी कर्म नहीं किए जाते तो वे नाराज होकर चले जाते हैं । इसलिए अमावस्या के दिन तर्पण, श्राद्ध जैसे कर्म करना चाहिए ।


इस दिन तर्पण करने से वंश की वृद्धि के साथ-साथ जन्मकुंडली के पितृदोष का भी निवारण हो जाता है । शास्त्रों के अनुसार जिस हाथ से देव-पितर का तर्पण होता है उस हाथ की रेखाएं भी शुभ हो जाती हैं । अगर सोलह दिनों तक कुछ नियमों का पालन भी नहीं कर पायें तो अंतिम दिन तो अवश्य करना चाहिए-

1- पितृ पक्ष में श्राद्ध कर्म करने वाले अंतिम दिन पान नहीं खाना चाहिए ।
2- अपने शरीर पर सुंगधित तेल भी नहीं लगाना चाहिए ।
3- सर्व पितृ मोक्ष अमावस्या के दिन सतपथ ब्राह्मणों और गरीबों को भोजन का निमत्रंण देकर ही भोजन कराने से वंशजों के जीवन में आमूल चूल परिवर्तन पित्रों के आशीर्वाद से होने लगता हैं ।