24 सितंबर 2018 से शुरू हो रहे पितृ पक्ष में पितरों के सम्मान में इन कार्यों को करने से बचना चाहिए ।
1- पितृ पक्ष श्राद्ध में कोई मांगलिक कार्य न करें, शुभ कार्य नहीं करें ।
2- इन दिनों दाढ़ी मूंछें भी नहीं काटी जाती हैं । इसका संबंध भी शोक व्यक्त करने से ही है ।
3- पितृपक्ष में स्वर्ण और नए वस्त्रों की खरीदारी नहीं करनी चाहिए, क्योंकि जो हमारे बीच में नहीं रहे उन पूर्वजों के प्रति शोक व्यक्त करने का समय होता है पितृपक्ष ।
4- पितृपक्ष में 16 दिनों तक ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए ।
5- अगर पितृपक्ष के दौरान आपके घर कोई अतिथि या याचक आयें तो उन्हें बिना भोजन पानी दिए घर से जाने नहीं देना चाहिए । क्योंकि ऐसी मान्यता है कि हमारे पितर किसी भी रुप में श्राद्ध मांगने आ सकते हैं ।
6- पितृपक्ष में नया घर नहीं खरीदना या बदलना चाहिए । माना जाता है कि जहां पितरों की मृत्यु हुई होती है वह अपने उसी स्थान पर लौटते हैं, और अगर उनकी संताने उस स्थान पर नहीं मिलती तो उन्हें तकलीफ होती है ।
7- पितृपक्ष में नए वाहन नहीं खरीदने चाहिए । इसे भौतिक सुख से जोड़कर देखा जाता है, क्योंकि जब व्यक्ति शोक में होते हैं या किसी के प्रति दुख प्रकट करते है तो जश्न नहीं मनाया जाता । इसलिए इन दिनों वाहन की खरीदारी नहीं करनी चाहिए ।
8- पितृपक्ष में बिना पितरों को भोजन दिए स्वयं भोजन नहीं करना चाहिए अर्थात आप जो भी भोजन बनाये उसमें एक हिस्सा गाय, कुत्ता, बिल्ली या कौए को खिला दें । इससे पुण्य मिलने के साथ-साथ पूर्वजों का आशीर्वाद भी मिलता है ।
9- श्राद्ध पक्ष के दिनों में किसी अन्य व्यक्ति के घर का भोजन नहीं करना चाहिए ।
10- पितृपक्ष के दिनों में लाल मसूर की दाल, चना, लहसुन, प्याज, काला जीरा, काले उड़द, काला नमक, राई, सरसों आदि का प्रयोग भोजन या अन्य खाद्य सामग्री में नहीं करना चाहिए ।