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सर्वार्थ सिद्धि योग में ज्येष्ठ पूर्णिमा का स्नान दान, ये मंत्र और अचूक उपाय करेंगे सौभाग्य में वृद्धि, तिजोरी नहीं होगी खाली

Published: Jun 02, 2023 10:00:17 am

Submitted by:

Pravin Pandey

jyeshtha purnima 2023: इस साल ज्येष्ठ पूर्णिमा दो दिन मनेगी, तीन को लोग व्रत रखेंगे और चार को स्नान दान करेंगे। इसलिए इसका महत्व बढ़ गया है। चार जून को ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा का स्नान दान होगा। हालांकि वट सावित्री व्रत यानी वट पूर्णिमा व्रत तीन जून को ही हो जाएगा. चार जून को कबीर जयंती भी है। खास बात है कि ज्येष्ठ पूर्णिमा का स्नान दान सर्वार्थ सिद्धि योग में होगा। इस समय किए जाने वाले दान पुण्य का महत्व बढ़ गया है। इस दिन खास मंत्र का जाप और ज्येष्ठ पूर्णिमा उपाय से सौभाग्य में वृद्धि होगी।

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ज्येष्ठ पूर्णिमा 4 जून को इस दिन करें ये उपाय

कब है ज्येष्ठ पूर्णिमा, क्या है इसका महत्व
jyeshtha purnima 2023:ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत तीन जून को 11.18 बजे से हो रही है और यह तिथि अगले दिन चार जून को रात 9.12 बजे संपन्न हो रही है। पूर्णिमा व्रत में चंद्र की पूजा आवश्यक होती है, और पूर्णिमा की अवधि में चंद्रोदय तीन जून को पड़ रहा है, इसलिए व्रत रखने वाले लोग तीन जून को ही व्रत रखेंगे. इसी दिन वट पूर्णिमा का व्रत होगा. इस दिन सुहागिनें पति की दीर्घायु के लिए वट सावित्री व्रत यानी वट पूर्णिमा व्रत भी रखेंगी। लेकिन स्नान दान उदयातिथि में पूर्णिमा पर होता है और यह चार जून को पड़ रही है। इसलिए ऐसे लोग जो स्नान दान पूजा करेंगे। वे चार जून को पूर्णिमा मनाएंगे।

ज्येष्ठ पूर्णिमा का महत्व
ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन पवित्र नदी में स्नान दान से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। व्यक्ति के पाप कटते हैं। इस दिन पितरों के तर्पण आदि का भी विधान है। इससे पितर खुश होकर आशीर्वाद देते हैं। पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और भगवान शंकर की पूजा की जाती है। इससे व्यक्ति को सभी सुख मिलते हैं और मृत्यु के बाद भगवान के लोक की प्राप्ति होती है। इस बार एक सर्वार्थ सिद्धि योग में ज्येष्ठ पूर्णिमा के स्नान दान से सभी मनोवांछित फल प्राप्त होंगे। इधर तीन जून को ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत को श्रद्धा पूर्वक रखने से साधक के जीवन में सुख, समृद्धि और सौभाग्य में वृद्धि होती है।

ज्येष्ठ पूर्णिमा पर शुभ मुहूर्त और शुभ योग


ब्रह्म मुहूर्त : चार जून सुबह 04:34 बजे से 05:17 बजे तक
अभिजित मुहूर्त : दोपहर 12:10 बजे से 01:03 बजे तक
विजय मुहूर्त : दोपहर 02:49 बजे से 03:42 बजे तक


गोधूलि मुहूर्त : शाम 07:12 बजे से 07:34 बजे तक
अमृत काल मुहूर्त : शाम 07:12 बजे से रात 08:41 बजे तक
सर्वार्थ सिद्धि योग : चार जून सुबह 03:23 बजे से 05 जून को सुबह 06:00 बज तक।

भगवान विष्णु और चंद्र देव की पूजा के मंत्र
प्रयागराज के आचार्य प्रदीप पाण्डेय का कहना है कि पूर्णिमा के दिन रात में चंद्र देव को अर्घ्य देकर माता लक्ष्मी की पूजा करना परम सौभाग्यशाली बनाता है। चंद्र दोष कटता है और घर में धन वैभव में वृद्धि होती है। उनके अनुसार तीन जून को चंद्र व्यापिनी तिथि में पूर्णिमा पर चंद्रमा को अर्घ्य देते समय ऊँ सों सोमाय नम: मंत्र का जाप करना चाहिए। इसके अलावा जो व्रत नहीं रख रहे हैं, पूर्णिमा के दिन चार जून को भगवान श्रीराम के नाम का जप या ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का 108 बार जाप करें, यह सभी कष्टों को दूर करने वाला होता है।
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ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन पूजा
1. ऐसे लोग जो ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत रख रहे हैं उन्हें सुबह उठकर पूजा स्थल को स्वच्छ करना चाहिए।
2. गंगा नदी में स्नान कर सकें तो अच्छा वर्ना पानी में गंगाजल डालकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें।
3. तांबे के लोटे में अक्षत, कुमकुम, फूल आदि डालकर भगवान सूर्य को अर्घ्य दें।

4. इसके बाद भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और भगवान शंकर की विधि विधान से पूजा करें।
5. सभी के लिए धूप, दीप जलाएं, उनके प्रिय फूल और भोग लगाएं।
6. भगवान के मंत्रों का जाप, चालीसा आदि का पाठ करें।

7. आरती करें, उपयुक्त दान पुण्य करें।
8. गलती के लिए क्षमा मांगें।

वट पूर्णिमा व्रत की पूजा
ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन ही वट पूर्णिमा व्रत है, इस दिन पति की लंबी आयु के लिए सुहागिनें बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं।

1. इसके लिए सुहागिनों को सुबह जल्दी उठकर स्नान ध्यान के बाद व्रत का संकल्प लेना चाहिए।
2. वट सावित्री व्रत की तरह ही इस दिन भी 16 श्रृंगार करें और वट वृक्ष की पूजा करें।
3. पूजा के दौरान व्रती महिलाओं को बरगद के पेड़ को जल अर्पित कर पुष्प, अक्षत, फूल और मिठाई चढ़ानी चाहिए।

4. इसके बाद वट वृक्ष की परिक्रमा करते हुए सूत बांधें और ईश्वर से अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद मांगें।
5. वट सावित्री व्रत की कथा पढ़ें और घर के बुजुर्गों से आशीर्वाद लें।

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वट पूर्णिमा व्रत पूजा के दिन क्या करना चाहिए
1. वट पूर्णिमा के दिन पूजा के बाद श्रृंगार का सामान किसी अन्य सुहागन महिला को दे दें।
2. बरगद के पेड़ को कच्चा दूध चढ़ाएं। मान्यता है कि इससे सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
3. वट पूर्णिमा व्रत के दिन फलाहर का सेवन करना चाहिए और मीठी चीजों से व्रत का पारण करना चाहिए।

4. भीगे चने पर रुपये रखकर सास के चरण स्पर्श करना चाहिए।
5. व्रत के बाद फल आदि वस्तुएं बांस के पात्र में रखकर दान करना चाहिए।

ज्येष्ठ पूर्णिमा के अचूक उपाय


1. चंद्र दोष दूर करने का उपाय
ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन स्नान के बाद चंद्रमा से जुड़ी चीजों के दान करने का विधान है। इस दिन किसी ब्राह्मण को चंद्रमा से जुड़ी चीजें सफेद वस्त्र, शक्कर, चावल, दही, चांदी, सफेद फूल, मोती आदि का दान करने से कुंडली में चंद्रमा की स्थिति मजबूत होती है। इससे साधक के जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
2. तिजोरी नहीं होती खाली
ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी को 11 कौड़ियां चढ़ाएं और उनका हल्दी से तिलक करें। अगले दिन इन कौड़ियों को लाल कपड़े में बांधकर तिजोरी में रख दें। इससे मां लक्ष्मी की कृपा मिलेगी और धन की कमी नहीं रहेगी।
3. लक्ष्मी जी की कृपा
मान्यता है कि ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन पीपल के वृक्ष में मां लक्ष्मी का वास होता है। इसके चलते इस दिन सुबह स्नान के बाद पीपल के पेड़ को मीठी चीजें और जल अर्पित करना चाहिए। इससे मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होगी।
4. स्नान और दान
मान्यता है कि ज्येष्ठ पूर्णिमा पर स्नान और दान करने से शुभफल की प्राप्ति होती है। इस दिन स्नान और पूजा के बाद जरूरतमंदों को दान अवश्य करना चाहिए।

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