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Ramayana: कौन थी भगवान राम की बहन, जानिए क्या था नाम

Ramayana: शांता भगवान राम की बड़ी बहन थीं। वह राजा दशरथ और माता कौशल्या के परिवार का एक अभिन्न हिस्सा थीं। शांता की कहानी धार्मिक और पारिवारिक मूल्यों का प्रतीक है। जो भारतीय संस्कृति में हमेशा के लिए अमर रहेगी।

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जयपुर

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Sachin Kumar

Nov 22, 2024

Ramayana

यहां जानिए भगवान श्री राम की बहन का नाम।

Ramayana: हिंदू धर्म में रामायण को विशेष महत्व दिया गया है। लोग इस धार्मिक ग्रंथ को बड़े श्रद्धाभाव के साथ पढ़ते और पूजते हैं। इस ग्रंथ के माध्य से कई मुख्य चरित्र और रिश्तों को दर्शाया गया है। लेकिन खासतौर पर इसमें भगवान राम की जीवन गाथा और उनके परिवार के बारे में विस्तार से चर्चा की गई है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भगवान श्रीराम की बहन कौन थी और उनका क्या नाम था? आइए यहां विस्तार से जानते हैं पूरी कहानी।

भगवान राम से शांता का संबंध (Shanta's relation with Lord Ram)

धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक शांता भगवान श्री राम की बड़ी बहन थीं। हालांकि शांता का नाम प्रमुख रूप से रामायण में नहीं आता है। लेकिन फिर भी उनकी उपस्थिति महत्वपूर्ण मानी जाती है। ऐसे तो रामायण में शांता के जीवन के बारे में बहुत कम चर्चा की गई है। लेकिन उनके जन्म और परिवार के बारे में कुछ विवरण जरूर मिलते हैं। शांता का भगवान राम से भाई-बहन का रिश्ता था। शांता अयोध्यापति राजा दशरथ की पुत्री के रूम में जानी जाती थीं। शांता का विवाह राजा जबालि से हुआ था। वे उनके साथ धार्मिक कार्यों में रत रहीं।

शांता का जन्म और परिवार (Shanta's birth and family)

शांता अयोध्या के राजा दशरथ और महारानी कौशल्या की पुत्री थीं। उनका जन्म एक विशेष घटना के रूप में हुआ था। कुछ धार्मिक किवदंतियों के अनुसार शांता को राजा दशरथ ने महर्षि वशिष्ठ की सलाह पर गोद लिया था। महर्षि वशिष्ठ ने उन्हें एक धार्मिक अनुष्ठान के दौरान प्राप्त किया और फिर राजा दशरथ को शांता को गोद लेने का सुझाव दिया। शांता का जन्म एक विशेष उद्देश्य के लिए हुआ था। ताकि वह भविष्य में समाज की भलाई के लिए कार्य कर सकें।

शांता का योगदान (Shanta's contribution)

रामायण का हर एक किरदार समाजिक प्राणि के जीवन में अहम भूमिका निभात है। लेकिन शांता का धार्मिक जीवन और उनका परिवार के प्रति समर्पण यह दर्शाता है कि शांता समाज की भलाई और परिवार की मान्यताओं का पालन करने वाली महिला थीं। शांता की कहानी भले ही रामायण में विस्तार से नहीं बताई गई। लेकिन फिर भी भारतीय संस्कृति में उनका योगदान को सम्मानित है।

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