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Rishi Panchami 2025: पापों का प्रायश्चित और पुण्य प्राप्ति का दिन, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि की पूरी जानकारी

Rishi Panchami 2025: ऋषि पंचमी 2025 का व्रत 28 अगस्त को मनाया जाएगा। जानें तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, व्रत पारण, महत्व और सावधानियां। सप्त ऋषियों की कृपा पाने और पाप निवारण का दिन।

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भारत

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Dimple Yadav

Aug 26, 2025

Rishi Panchami 2025

Rishi Panchami 2025 (photo- grok ai)

Rishi Panchami Puja Vidhi: हिंदू धर्म में ऋषि पंचमी व्रत का विशेष महत्व माना गया है। यह पर्व हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी के अगले दिन आने वाला यह व्रत पापों से मुक्ति और सप्त ऋषियों की कृपा पाने का अवसर माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन पूजा और व्रत करने से जीवन में जाने-अनजाने हुए पापों का प्रायश्चित हो जाता है। खासकर महिलाओं के लिए यह दिन अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है, क्योंकि यह व्रत रजस्वला काल में हुए धार्मिक दोषों को दूर करने वाला होता है। इस दिन गंगा स्नान, व्रत, पूजा और दान करने का विशेष महत्व है।

ऋषि पंचमी 2025 तिथि और शुभ मुहूर्त

तारीख: 28 अगस्त 2025, गुरुवार

पंचमी तिथि प्रारंभ: 27 अगस्त दोपहर 3:44 बजे

पंचमी तिथि समाप्त: 28 अगस्त शाम 5:56 बजे

पूजन का शुभ समय: सुबह 11:05 बजे से दोपहर 1:39 बजे तक (कुल अवधि – 2 घंटे 34 मिनट)

पूजा विधि

प्रातःकाल स्नान करके हल्के पीले या साफ वस्त्र पहनें। लकड़ी की चौकी पर सप्त ऋषियों (कश्यप, अत्रि, भारद्वाज, विश्वामित्र, गौतम, जमदग्नि और वशिष्ठ) की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। चौकी के पास जल से भरा हुआ कलश रखें। सप्त ऋषियों की धूप, दीप, फूल, फल और नैवेद्य से पूजा करें। अपनी गलतियों के लिए क्षमा याचना करें और अच्छे कर्म करने का संकल्प लें।सप्त ऋषियों की आरती करें और व्रत कथा का श्रवण करें। पूजा के बाद प्रसाद का वितरण करें और बड़ों का आशीर्वाद लें।

व्रत पारण विधि

अगले दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र पहनें। सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करें और घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें। सप्त ऋषियों की पुनः आरती करके सात्विक भोजन बनाएं, उसे अर्पित करें और बाद में ज़रूरतमंदों को अन्न, वस्त्र और धन का दान दें। मान्यता है कि इस विधि से जीवन की कठिनाइयाँ दूर होती हैं और घर में सुख-शांति बनी रहती है।

व्रत का महत्व

इस दिन गंगा स्नान करने से पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है। महिलाओं के लिए यह व्रत खास है, क्योंकि यह धार्मिक दोषों से मुक्ति दिलाता है। ऋषि पंचमी अनुशासन, सेवा और आभार की भावना को जीवन में स्थापित करता है।

जरूरी सावधानियां

  • व्रत कथा का पाठ अवश्य करें।
  • इस दिन विवाद और झगड़े से बचें।
  • साधु-संत और बड़ों का अपमान न करें।
  • मन में किसी के प्रति नकारात्मक भाव न रखें।