
saraswati puja sampurn vidhi vasant panchami avahan mantra ganesh mantra sankalp mantra how do Saraswati Puja all steps
vasant panchami avahan mantra: माघ शुक्ल पंचमी को मां सरस्वती का प्राकट्य दिवस मनाया जाता है। इस दिन भक्त, विशेष रूप से विद्यार्थी मां शारदा की पूजा कर विद्या और बुद्धि का आशीर्वाद मांगते हैं। कई विद्यार्थी और लोग व्रत भी रखते हैं। इसके अलावा इस समय गुप्त नवरात्रि का पांचवी शक्ति मां त्रिपुर भैरवी की पूजा अर्चना भी की जाएगी।
ऐसे लोग जो बसंत पंचमी पर मां शारदा की पूजा करने जा रहे हैं, यहां जानें संपूर्ण सरस्वती पूजा विधि ..
वाराणसी के पुरोहित पं. शिवम तिवारी के अनुसार बसंत पंचमी तिथि के दिन पूरा दिन शुभ और मंगलकारी होता है। यह अबूझ मुहूर्त है और किसी समय शुभ मंगल कार्य कर सकते हैं, लेकिन मां सरस्वती की पूजा का सर्वश्रेष्ठ समय प्रातःकाल ही है।
इसलिए सुबह स्नान ध्यान के बाद सबसे पहले मां सरस्वती की पूजा करें, इसके लिए सरस्वती माता के पूजन स्थल को गंगाजल से पवित्र करें। फिर सरस्वती माता की प्रतिमा या पिक्चर को सामने रखकर उनके सामने धूप-दीप, अगरबत्ती, गुगुल जलाएं। इससे वातावरण में सकारात्मकता का प्रवेश होगा और फिर इन स्टेप को फॉलो करते हुए पूजा आरंभ करें।
ऊं अपवित्र: पवित्रोवा सर्वावस्थां गतोऽपिवा य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तर: शुचि:॥
इन मंत्र से अपने ऊपर और आसन पर 3-3 बार कुश या पीले फूल से छींटें लगाएं फिर आचमन मंत्र बोलते हुए आचमन करें
ऊं केशवाय नम:, ऊं माधवाय नम:, ऊं नारायणाय नम:
ऊं पृथ्वी त्वयाधृता लोका देवि त्यवं विष्णुनाधृता त्वं च धारयमां देवि पवित्रं कुरु चासनम्॥
चन्दनस्य महत्पुण्यम् पवित्रं पापनाशनम्, आपदां हरते नित्यम् लक्ष्मी तिष्ठतु सर्वदा
हाथ में तिल, फूल, अक्षत मिठाई और फल लेकर इस मंत्र को बोलते हुए संकल्प लें फिर हाथ में रखी हुई सामग्री मां सरस्वती के सामने रखें
ॐ विष्णवे नमः, ॐ विष्णवे नमः, ॐ विष्णवे नमः । ॐ अद्य ब्रह्मणो द्वितीयपरार्धे श्रीश्वेतवाराहकल्पे वैवस्वतमन्वन्तरेऽष्टाविंशतितमे कलियुगे कलिप्रथमचरणे बौद्धावतारे भूर्लोके जम्बूद्वीपे भरतखण्डे भारतवर्षे - (अपने नगर/गांव का नाम लें) - नगरे/ ग्रामे विक्रम संवत 2081 पिंगल नाम संवत्सरे माघ मासे शुक्ल पक्षे पञ्चमी तिथौ … वासरे (दिन का नाम जैसे रविवार है तो "रवि वासरे ")..(अपने गोत्र का नाम लें) … गोत्रोत्पन्न … (अपना नाम लें)… शर्मा / वर्मा / गुप्तोऽहम् यथोपलब्धपूजनसामग्रीभिः माघ मासे बसंत पंचमी तिथौ भगवत्या: सरस्वत्या: पूजनमहं करिष्ये।
गजाननम्भूतगणादिसेवितं कपित्थ जम्बू फलचारुभक्षणम्. उमासुतं शोक विनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपंकजम्
ऊं गं गणपतये इहागच्छ इह तिष्ठ
एतानि पाद्याद्याचमनीय-स्नानीयं, पुनराचमनीयम् ऊं गं गणपतये नम:
इदम रक्त चंदनम् लेपनम् ऊं गं गणपतये नम:
इदं सिन्दूराभरणं लेपनम् ऊं गं गणपतये नम:
इदं पीत वस्त्रं ऊं गं गणपतये समर्पयामि
इदं नानाविधि नैवेद्यानि ऊं गं गणपतये समर्पयामि:
इदं शर्करा घृत युक्त नैवेद्यं ऊं गं गणपतये समर्पयामि:
इदं आचमनयं ऊं गं गणपतये नम:
इदं ताम्बूल पुगीफल समायुक्तं ऊं गं गणपतये समर्पयामि:
एष: पुष्पान्जलि ऊं गं गणपतये नम:
घड़े या लोटे पर मौली बांधकर कलश के ऊपर आम का पल्लव रखें। कलश के अंदर सुपारी, दूर्वा, अक्षत, मुद्रा रखें। कलश में मौली लपेटें। नारियल पर वस्त्र लपेट कर कलश पर रखें। हाथ में अक्षत और पुष्प लेकर वरुण देवता का कलश में आवाहन करें
ओ३म् त्तत्वायामि ब्रह्मणा वन्दमानस्तदाशास्ते यजमानो हविभि:
अहेडमानो वरुणेह बोध्युरुशंस मान आयु: प्रमोषी:।
अस्मिन कलशे वरुणं सांगं सपरिवारं सायुध सशक्तिकमावाहयामि, ओ३म्भूर्भुव:
स्व:भो वरुण इहागच्छ इहतिष्ठ. स्थापयामि पूजयामि॥
या कुन्देन्दु तुषारहार धवला या शुभ्रवस्त्रावृता।
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना॥
या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता।
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥
शुक्लां ब्रह्मविचारसारपरमांद्यां जगद्व्यापनीं।
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यांधकारपहाम्॥
हस्ते स्फाटिक मालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्।
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्॥
ॐ भूर्भुवः स्वः सरस्वती देव्यै इहागच्छ इह तिष्ठ
एतानि पाद्याद्याचमनीय-स्नानीयं, पुनराचमनीयम्
ॐ मन्दाकिन्या समानीतैः, हेमाम्भोरुह-वासितैः स्नानं कुरुष्व देवेशि, सलिलं च सुगन्धिभिः, ॐ श्री सरस्वतयै नमः।
इदं रक्त चंदनम् लेपनम्।
इदं सिन्दूराभरणं।
ॐ मन्दार-पारिजाताद्यैः, अनेकैः कुसुमैः शुभैः. पूजयामि शिवे, भक्तया, सरस्वतयै नमो नमः.. ॐ सरस्वतयै नमः, पुष्पाणि समर्पयामि।
देवी सरस्वती को इदं पीत वस्त्रं समर्पयामि।
इदं नानाविधि नैवेद्यानि ऊं सरस्वतयै समर्पयामि।
इदं शर्करा घृत समायुक्तं नैवेद्यं ऊं सरस्वतयै समर्पयामि।
इदं आचमनयं ऊं सरस्वतयै नम:।
इदं ताम्बूल पुगीफल समायुक्तं ऊं सरस्वतयै समर्पयामि।
एष: पुष्पान्जलि ऊं सरस्वतयै नम:।
इसके बाद एक फूल लेकर उसमें चंदन और अक्षत लगाकर किताब कॉपी पर रखें।
आरती की थाल सजाकर देवी सरस्वती की आरती करें और प्रसाद वितरण करें।
Published on:
03 Feb 2025 10:18 am
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