
शनि अमावस्या : ऐसे शुरू हुई शनिदेव पर तेल चढ़ाने की परम्परा, जानें अद्भूत रहस्य
शनिवार के दिन सूर्य पुत्र, नौ ग्रहों में से एक जिन्हें न्याय का देवता माना जाता है। जो व्यक्ति न्याय के मार्ग पर चलता है, उस पर अपनी कृपा दृष्टि बनाएं रखते हैं और रंक से उसे राजा बना देते हैं, लेकिन दूसरी ओर जो असत के मार्ग पर चलता है उस उसका दंड भी देते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि दोष होता है तो भी उसे अनेक समस्याओं का सामना पल-पल पर करना पड़ता है। शनि अमावस्या के दिन तेल से शनि देव का अभिषेक करने पर शनि के सारे दोष समाप्त हो जाते हैं। शनि अमावस्या 28 सितंबर 2019 को है।
ज्योतिष में शनि दोष के कारण होने वाली परेशानियों से बचने के लिए अनेक उपाय बताएं गए है। अगर कोई इन उपायों को कर लें तो कुछ हद तक राहत मिलती भी है। लेकिन कहा जाता है कि शनि दोष से शीघ्र लाभ के लिए शनि देव का तेल से अभिषेक करने से शनि देव प्रसन्न होकर अपनी शरण में आने वाले भक्तों के जीवन से सारे कष्टों का अंत कर देते हैं। जानें आखिर शनि देव को क्यो चढ़ाया जाता है तेल।
ऐसा कहा जाता है कि श्री वाल्मीकि जी ने वाल्मीकि रामायण के अलावा आनंद रामायण की भी रचना की थी और उसी रामायण में एक कथा आती है कि लंका पर चढ़ाई के लिए समुद्र पर जिस सेतु पुल का निर्माण किया गया था उसकी सुरक्षा का दायित्यव राम जी ने अपने प्रिय भक्त हनुमानजी को सौंपा था। एक दिन हनुमानजी रात में भगवान श्रीराम का ध्यान करते हुए सेतु पुल की रक्षा कर रहे थे कि वहां अचानक शनि देव आ पहुंचे और हनुमान जी को व्यंग्यबाणों से परेशान करने लगे।
श्री हनुमानजी ने शनि देव के सारे आरापों को स्वीकार करते हुए कहा कि कृपया वह वे उन्हें सेतु की रक्षा करने दें, लेकिन शनि देव नहीं माने और हनुमान जी को परेशान करने लगे। शनि देव के नहीं मानने पर क्रोधित होकर हनुमानजी ने शनिदेव को अपनी पूंछ में जकड़ कर इधर-उधर पटकना शुरू कर दिया। हनुमान जी के द्वारा पटकने से शनि देव को बहुत पीड़ा हुई और पीड़ा से बचने के लिए शनि देव ने अपने शरीर पर तेल का लेप लगाया, जिससे उनकी पीड़ा तुरंत दूर हो गई। तभी से शनि देव को तेल चढ़ाने की परम्परा शुरू हुई।
Published on:
27 Sept 2019 11:01 am
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