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Sharad purnima : रात को 11 से 1 बजे के बीच इन तीन वैदिक महामंत्रों का जप करके, चन्द्रमा को अर्घ्य देने से…

रात को 11 से 1 बजे के बीच इन तीन वैदिक महामंत्रों का जप करके, चन्द्रमा को अर्घ्य देने से...

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भोपाल

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Shyam Kishor

Oct 22, 2018

sharad purnima

रात को 11 से 1 बजे के बीच इन तीन वैदिक महामंत्रों का जप करके, चन्द्रमा को अर्घ्य देने से...

शरद पूर्णिमा की रात को 11 बजे से 1 बजे के बीच इन तीन वैदिक महामंत्रों का जप करके, चन्द्रमा को अर्घ्य देकर चंद्रमा की विशेष पूजा करने से चन्द्रमा की सोलह कलाओं से बरसने वाला संपूर्ण अमृत उक्त मंत्र का जप करने वाले को मिलता हैं । इसलिए इस दिन विधि-विधान चांद की पूजा करने पर वे प्रसन्न होकर जीवन को पूर्णता से परिपूर्ण कर देते हैं । आज के इस आपाधापी के समय में समय का अभाव होने के कारण बहुत से लोग चंद्रदेव की विधिवत पूजा नहीं कर पाते, अगर ऐसे लोग केवल शरद पूर्णिंमा की रात में केवल इन तीन महामंत्रों का जप करने से उनकी कृपा प्राप्त कर सकते हैं ।

इन मंत्रो का करे जप
शरद पूर्णिमा की रात को जब चन्द्रमा अपनी सोलह कलाओं का प्रकाश आकाश से धरती पर बिखेरता उसी दिव्य समय में जो भी इन मंत्रो का रात 11 बजे से लेकर रात 1 बजे के बीच गंगाजल मिलेजल से स्नान करने के बाद खुले आकाश के नीचे कुशा का पीला आसन बिछाकर बैठ उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठ जायें । अब शीतल चन्द्रमा का ध्यान, आवाहन करके तुलसी या कमल गट्टे की माला से नीचे दिये गये तीन वेद मंत्रों श्रद्धा पूर्वक जप करें । जप पूरा होने के बाद तांबे के लोटे भर शुद्ध जल का अर्घ्य ऊँ चंद्राय नमः बोलते हुए छोड़ें । ऐसा करने से सभी प्रकार की भौतिक एं आध्यात्मिक इच्छाओं को चन्द्रदेव पूर्णता प्रदान कर देते हैं ।

उपरोक्त बतायें गये समय में नीचे दिये गये सभी मंत्र या सुविधानुसार किसी भी एक मंत्र का जप किया जा सकता हैं ।

1- गायत्री महामंत्र का 1000 बार (दस माला) जप करें ।
मंत्रः
।। ॐ भूर्भुवः स्वः तत् सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात् ।।

2- चन्द्र मन्त्र- इस मंत्र का भी 1000 बार जप करना हैं ।
मंत्र
।। ॐ क्षीरपुत्राय विद्महे, अमृततत्वाय धीमहि। तन्नो चन्द्रः प्रचोदयात् ।।


मंत्र
3- महामृत्युंजय मन्त्र का 108 बार जप करना हैं ।
महामृत्युंजय मन्त्र-
।। ॐ त्र्यम्बकम् यजामहे सुगन्धिम् पुष्टि वर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ।।

मंत्र का जप पूरा होने के बाद चांदी के किसी बर्तन में गाय के कच्चे गाय का दूध अर्घ्य देवें । ऐसा करने से सुख सौभाग्य में निरंतर वृद्धि होती रहती है ।