scriptशारदीय नवरात्र 2021 : मां कात्यायनी की नवरात्र की षष्ठी तिथि पर ऐसे करें पूजा और पाएं देवी मां का आशीर्वाद | Sharadiya Navratri 2021 maa katyayani is worship on 6th day of navrata | Patrika News

शारदीय नवरात्र 2021 : मां कात्यायनी की नवरात्र की षष्ठी तिथि पर ऐसे करें पूजा और पाएं देवी मां का आशीर्वाद

locationभोपालPublished: Oct 10, 2021 07:29:17 pm

सोमवार को है नवरात्र की षष्ठी तिथि

6th goddess of navratri is maa katyayani

Goddess katyayani

सनातन संस्कृति में देवी मां दुर्गा को शक्ति की देवी माना गया है। वहीं साल में शक्ति की देवी में चार पर्व आते हैं, जिन्हें नवरात्रि के नाम से जाना जाता है। इन में से दो नवरात्र क्रमश: चैत्र व आश्विन मास में आते हैं, जिन्हें चैत्र नवरात्रि व शारदीय नवरात्र के नाम से जाना जाता है।

नौ दिनों तक चलने वाले इस शक्ति की पूजा के पर्व नवरात्रि में देवी के 9 रूपों की पूजा की जाती है। ऐसे में नवरात्र की षष्ठी तिथि को मां कात्यायनी की पूजा का विधान है। वहीं इस बार वर्तमान में चल रहे शारदीय नवरात्र में षष्ठी तिथि सोमवार 11 अक्टूबर को पड़ रही है। ऐसे में इस दिन भक्त देवी मां कात्यायनी की आराधना करेंगे।

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पंडित सुनील शर्मा के अनुसार देवी दुर्गा के अधिकांश भक्त उनके कात्यायनी रूप की पूजा शक्ति प्राप्ति के लिए करते हैं। वहीं देवी मां के इस रूप की तेजोमयी छवि भक्तों को सुख और शांति प्रदान करती है। चार भुजाओं वाली मां कात्ययनी के एक हाथ में खड्ग है तो वहीं दूसरे हाथ में कमल पुष्प है। इनके अतिरिक्त अपने अन्य दो हाथों से देवी मां अपने भक्तों को वर मुद्रा और अभय मुद्रा में आशीर्वाद दे रही हैं।

महिषासुर का वध
मां कात्यायनी की पूजा का नवरात्रि के पर्व में विशेष महत्व बताया गया है। पौराणिक मान्यता के अनुसार महिषासुर का वध मां कात्यायनी ने ही किया था।

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महिषासुर रूपी असुर ने सारे संसार में अपने अत्याचार के कारण सभी को परेशान कर रखा था, ऐसे में मां कात्यायनी ने इसका वध किया था। इस कारण देवी मां के इस रूप को असुरों,राक्षसों, दानवों और पापियों का नाश करने वाली देवी कहा जाता है।

एक पौराणिक कथा के अनुसार मां आदिशक्ति की महर्षि कात्यायन ने घोर तपस्या की। देवी दुर्गा ने उनकी इस तपस्या से प्रसन्न होकर स्वयं उनकी पुत्री के रूप में जन्म लेने का वरदान महर्षि कात्यायन को दिया। महर्षि कात्यायन के आश्रम में ही देवी दुर्गा का जन्म हुआ। उन्होंने ही मां का पालन पोषण भी किया। कुछ समय बाद जब महिषासुर राक्षस का अत्याचार बढ़ने पर मां कात्यायनी ने ही उसका वध कर देवताओं को उसके अत्याचारों से मुक्ति दिलाई थी।

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विवाह की दिक्कतों को करतीं हैं दूर
माना जाता है कि विवाह में आने वाली बाधाओं को भी मां कात्यायनी दूर करती हैं। नवरात्रि से एक निश्चित अवधि तक विधि पूर्वक पूजा करने से विवाह संबंधी दिक्कत दूर होती हैं। एक कथा के अनुसार बृज की गोपियों ने भी भगवान श्रीकृष्ण को पति रूप में प्राप्त करने के लिए माता कात्यायनी की पूजा की थी। माता कात्यायनी की पूजा के संबंध में माना जाता है कि इससे देवगुरु बृहस्पति काफी प्रसन्न होते हैं और कन्याओं को उचित पति का वरदान देते हैं।

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कात्यायनी माता का मंत्र : या देवी सर्वभूतेषु मां कात्यायनी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥

मां कात्यायनी की पूजा में गंगाजल, धूप, दीप,कलावा, रोली, चुन्‍नी, नारियल, कलश, चावल, अगरबत्ती, शहद और घी का प्रयोग करना चाहिए। माता की पूजा के बाद पद्मासन में ध्यान पूर्वक बैठकर देवी के मंत्र (कात्यायनी माता का मंत्र) का मनोयोग से यथा संभव जाप करना चाहिए। देवी माता की इस तरहपूजा करना बड़ा ही फलदायी माना गया है।

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मां कात्यायनी पूजा
नवरात्रि की षष्ठी तिथि को गोधुलि बेला यानि शाम के समय में मां कात्यायनी की पूजा करना उत्तम माना गया है। मानाज ता है कि मां कात्यायनी की पूजा पूर्ण विश्वास और विधि पूर्वक करने से सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होने के साथ ही शत्रुओं का नाश होता है। इसके अलावा इसे करने से रोगों से भी मुक्ति मिलती है।

पूजा की विधि
देवी मां कत्यायनी की पूजा में नियमों का विशेष ध्यान रखना होता है। इसके तहत देवी मां की पूजा शुरु करने से पहले एक लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर मां को स्थापित करना चाहिए। साथ ही इस पूजा में पांच प्रकार के फल, पुष्प, मिष्ठान आदि का प्रयोग करना चाहिए। नवरात्र की षष्ठी के दिन मां कत्यायनी की पूजा में शहद का प्रयोग विशेष माना गया है। वहीं इस दिन माता कात्यायनी को पीले रंग के वस्त्र पहनाने के अलावा इस दिन उनका पीले रंग के गहनों से ही श्रृंगार करना चाहिए।

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