
नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था तब मां कुछ्मांडा ने सृष्टि की रचना की थी। कहा जाता है कि मां कुष्मांडा ने मंद-मंद मुस्कान से सृष्टि को उत्पन्न कर दिया था।
कैसा है मां कुष्मांडा का स्वरूप
मां कुष्मांडा के आठ हाथ हैं इसलिए इनको अष्टभुजी देवी कहा जाता है। मां कुष्मांडा के हाथों में धनुष, बाण, गदा, चक्र, कमल का पूष्प, अमृत कलश, कमंडल और जपमाला है। मां कुष्मांडा का वाहन शेर है।
कैसे करें मां कुष्मांडा का पूजन
नवरात्रि में पूजन करते वक्त मां कुष्मांडा के स्वरूप का ध्यान करें। इसके बाद उन्हें रोली लगाएं और अक्षत पूष्प अर्पित करें और इस मंत्र का जप करें
या देवी सर्वभूतेषू मां कुष्मांडा रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमों नम:
इस मंत्र का जप करे बाद मां कुष्मांडा की आरती लगाएं, भोग लगाएं। भोग में मालपुए का भोग लगाएंगे तो मां कुष्मुांडा जल्द प्रसन्न होंगी। भोग लगाए गए मालपुए को किसी पंडित या गरीब को दे दें। ऐसा करने से आयु, यश और बल बढ़ता है।
मां कुष्मांडा के पूजन से क्या है लाभ
मान्यता के अनुसार, मां कुष्मांडा के पूजन से समस्त रोग दूर होते हैं। आयु, यश और बल बढ़ता है। कहा जाता है कि मां कुष्मांडा थोड़ी पूजा पाठ से ही प्रसन्न हो जाती हैं और भक्तों को सुख-समृद्धि प्रदान करती हैं। ज्योतिष के अनुसार, जिनकी कुंडली में बुध कमजोर हो, उन्हें मां कुष्मांडा की पूजा जरूर करना चाहिए।
Updated on:
02 Oct 2019 10:23 am
Published on:
01 Oct 2019 04:19 pm
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