
नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा की जाएगी
माता कूष्मांडा की पूजा का मुहूर्त
पंचांग के अनुसार शारदीय नवरात्रि यानी अश्विन शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 18 अक्टूबर से देर रात 01.12 बजे तक है। इससे पहले माता की पूजा अर्चना कर लेनी चाहिए। इसके बाद पंचमी तिथि शुरू हो जाएगी। मां कूष्मांडा की पूजा के दिन आयुष्मान और सौभाग्य जैसे शुभ योग बन रहे हैं। इन योग में मां कुष्मांडा की पूजा करने वाले साधक को अक्षय फल प्राप्त होंगे।
मां कूष्मांडा की पूजा विधि
1. नवरात्र के चौथे दिन रोज की तरह सबसे पहले कलश की पूजा कर माता कूष्मांडा को नमन करें।
2. पूजा में बैठने के लिए हरे रंग के आसन का प्रयोग करें और पीला वस्त्र पहनें।
3. इस निवेदन के साथ जल पुष्प, कुमकुम, पीला चंदन मौली, अक्षत, पान का पत्ता , केसर श्रृंगार के सामान अर्पित करें कि उनके आशीर्वाद से आपका और आपके स्वजनों का स्वास्थ्य अच्छा रहे। पान का पत्ता अर्पित करते समय उस पर थोड़ा सा केसर लेकर ऊं बृं बृहस्पते नमः मंत्र का जाप करें। (अर्पित करने वाली सामग्री पीले रंग की हो)
4. सफेद कुम्हड़ा माता रानी को अर्पित करें, देवी को पूरे मन से फूल, धूप, गंध, भोग चढ़ाएं। इसमें हलवा, मीठा दही, मालपुआ जरूर रहे। वहीं मां को प्रसन्न करने के लिए फूलों में पीला कमल, लाल गुलाब और गुड़हल अर्पित करें।
5. दुर्गा चालीसा, दुर्गा सप्तशती या कुंजिका स्रोत का पाठ करें। ऊँ कूष्माण्डायै नमः मंत्र का एक माला जाप करें और अंत में घी के दीप या कपूर से मां कूष्मांडा की आरती करें। इस दीपक को पूरे घर में घुमा दें, इससे नकारात्मकता दूर होगी और सुख समृद्धि मिलेगी, संकट से रक्षा होगी।
6. अगर आपके घर में कोई लंबे समय से बीमार है तो इस दिन मां से खास निवेदन कर उसके अच्छे स्वास्थ्य की कामना करें।
7. पूजा के बाद अपने से बड़ों को प्रणाम कर प्रसाद वितरित करें।
मां कूष्माण्डा के उपाय
1. मां कूष्मांडा की आरती के बाद दीपक को पूरे घर में घुमा देना चाहिए, इससे घर की नकारात्मकता दूर होती है और मां कूष्मांडा सुख-समृद्धि प्रदान करती हैं और संकट से रक्षा करती हैं।
2. देवी कुष्मांडा की पूजा अविवाहित लड़कियां करती हैं, तो उन्हें मनचाहे वर की प्राप्ती होती है। सुहागिन स्त्रियां को अखंड सौभाग्य मिलता है।
3. मां कूष्मांडा को प्रसन्न करने के लिए चौथे दिन लाल गुलाब, गुड़हल चढ़ाएं और हलवा, मीठा दही-मालुआ अर्पित करें।
4. ब्राह्मण को मालपुआ दान करने से हर विघ्न दूर होता है।
मां कूष्मांडा का महत्व
मान्यता है कि जब संपूर्ण संसार में अंधकार का छा गया था, तब मां कुष्मांडा ने अपनी मधुर मुस्कान से ब्रह्मांड की रचना की थी। मान्यता है कि इन्हें कुम्हड़े की बलि प्रिय है, इसलिए भी यह कूष्मांडा कहलाती हैंं। मान्यता है कि मां कूष्माण्डा भक्तों को रोग,शोक से मुक्त कर आयु, यश, बल और बुद्धि प्रदान करती हैं। जिस व्यक्ति को संसार में प्रसिद्धि की चाह रहती है, उसे मां कूष्मांडा की पूजा जरूर करनी चाहिए।
श्लोक
सुरासंपूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे ॥
मां कूष्मांडा की पूजा का सरल मंत्र
'ॐ कूष्माण्डायै नम:।।'
मां कूष्मांडा की उपासना का मंत्र
देवी कूष्मांडा की उपासना इस बीज मंत्र के उच्चारण से की जाती हैः कूष्मांडा: ऐं ह्री देव्यै नम:
1. वन्दे वांछित कामार्थे चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
सिंहरूढ़ा अष्टभुजा कूष्माण्डा यशस्विनीम्॥
स्तुति मंत्र
2. या देवि सर्वभूतेषू सृष्टि रूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
प्रार्थना
सुरासम्पूर्ण कलशं रुधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्तपद्माभ्यां कुष्माण्डा शुभदास्तु मे॥
ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।
अन्य मंत्र
- ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै’
Updated on:
17 Oct 2023 08:53 pm
Published on:
17 Oct 2023 08:47 pm
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