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शवयात्रा में जानें के बाद क्या आप करते हैं इन नियमों का पालन

locationभोपालPublished: Mar 05, 2020 02:08:04 pm

Submitted by:

Shyam Shyam Kishor

शवयात्रा में जानें, मुर्दा को छूने और कंधा देने वाले इतने दिन रहते हैं अशुद्ध

शवयात्रा में जानें के बाद क्या आप करते हैं इन नियमों का पालन

शवयात्रा में जानें के बाद क्या आप करते हैं इन नियमों का पालन

क्या आप किसी अपने या पराएं की शवयात्रा में जाते हैं और अगर जाते हैं तो क्या इन नियमों का पालन करते हैं या नहीं। गुरुड़ पुराण के अनुसार किसी की शव यात्रा में शामिल होने, शव को स्पर्श करने या फिर अर्थी को कंधा देने वाले को इतने समय की अशुद्धि मानी जाती है इसलिए कुछ ऐसे कर्म है जिन्हें इस अवधि में करने से बचना चाहिए। जानें सूतक और पातक के बारे में।

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क्या आप जानते हैं सूतक और पातक क्या है। जब किसी के घर परिवार में किसी संतान का जन्म होता है उसे पातक कहते हैं जो सवा माह तक माना जाता है। वहीं जब किसी के घर में किसी की मौत होती है उसे सूतक कहते हैं जो 13 दिन तक का माना जाता है। हिंदू धर्म शास्त्र गरुड़ पुराण के अनुसार इन दोनों सूतक की अवधि में कुछ ऐसे कार्य है जिन्हें गलती से भी नहीं करना चाहिए।

शवयात्रा में जानें के बाद क्या आप करते हैं इन नियमों का पालन

घर में नवजात के जन्म का सूतक प्रसूति को 45 दिन का सूतक रहता है और प्रसूति स्थान पर सवा माह तक अशुद्धि मानी जाती है। साथ ही परिवार में किसी मौत होने पर जिस दिन दाह-संस्कार होता है उस दिन से पातक के दिनों की गणना होती है, न कि मृत्यु के दिन से। अगर किसी घर का कोई सदस्य बाहर, विदेश में है, तो जिस दिन उसे सूचना मिलती है, उस दिन से शेष दिनों तक उसके पातक लगता ही है। अगर 12 दिन बाद सूचना मिले तो स्नान-मात्र करने से शुद्धि हो जाती है।

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अगर परिवार की किसी स्त्री का यदि गर्भपात हुआ हो तो, जितने माह का गर्भ पतित हुआ, उतने ही दिन का पातक मानना चाहिए। घर का कोई सदस्य मुनि-आर्यिका-तपस्वी बन गया हो तो, उसे घर में होने वाले जन्म-मरण का सूतक-पातक नहीं लगता, किन्तु स्वयं उसका ही मरण हो जाने पर उसके घर वालों को 1 दिन का पातक लगता है।

शवयात्रा में जानें के बाद क्या आप करते हैं इन नियमों का पालन

इन नियमों का करें पालन

किसी दूसरे की शवयात्रा में जाने वाले को 1 दिन का, मुर्दा छूने वाले को 3 दिन और मुर्दे को कन्धा देने वाले को 8 दिन की अशुद्धि (सूतक) मानी जाती है। घर में कोई आत्मघात करले तो 6 महीने का पातक मानना चाहिए। परिवार के सदस्यों को सूतक-पातक की अवधि में पूजा-पाठ, मंदिर में प्रवेश आदि धार्मिक क्रियाएं नहीं करना चाहिए। इस अवधि में किसी साधु-संत को दान भी नहीं देना चाहिए। यहां तक की दान पेटी या गुल्लक में रुपया-पैसा नहीं डालना चाहिए।

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