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Skand Shashthi Upay: स्कंद षष्ठी उपाय से बन जाएंगे बिगड़े काम, स्कंद और स्कंदमाता दोनों की होगी कृपा

स्कंद षष्ठी 25 फरवरी को (Skand Shashthi Upay 2023) है, यह व्रत प्रमुख रूप से दक्षिण भारत के लोग रहते हैं। यह व्रत महिलाएं संतान के कल्याण और संतान प्राप्ति के लिए रहती हैं। इस दिन आसान स्कंद षष्ठी उपाय से भगवान शिव-पार्वती के पुत्र स्कंद और स्कंदमाता (पार्वती) दोनों की कृपा प्राप्त होती है। मान्यता है कि स्कंद षष्ठी उपाय से भक्तों के बिगड़े काम बन जाते हैं। आइये जानते हैं फाल्गुन स्कंद षष्ठी व्रत कब है और स्कंद षष्ठी के उपाय (Falgun Skand Shashthi remedy) क्या हैं।

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Pravin Pandey

Feb 23, 2023

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Falgun Skand Shashthi remedy

स्कंद षष्ठी के उपाय (Falgun Skand Shashthi remedy): मान्यता है कार्तिक शुक्ल पक्ष षष्ठी के दिन भगवान स्कंद का जन्म हुआ था। इसलिए हर महीने विशेष रूप से व्रत रखकर इनकी पूजा की जाती है। इस व्रत को चंपा षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि मुरुगन को चंपा फूल प्रिय है। आइये जानते हैं चंपा षष्ठी के दिन किए जाने वाले उपाय।

1. स्कंद षष्ठी के दिन षष्ठी स्त्रोत का पाठ करना चाहिए। ऐसा करने से अजय संतान प्राप्त होती है। इस दिन भगवान कार्तिकेय का नाम भी जपना चाहिए।
2. स्कंद षष्ठी के दिन भगवान कार्तिकेय को लाल चंदन चढ़ाने पर उस व्यक्ति की संतान कठिन परिस्थितियों से निकल जाती है। साथ ही शख्स भी बाधाओं से निकल जाता है।

ये भी पढ़ेंः Skand Shashthi 2023: यह है स्कंद षष्ठी की कथा, मुरुगन की पूजा से पूरी होती है मनोकामना

3. स्कंद षष्ठी के दिन ऊँ हीं षष्ठीदेव्यै स्वाहा मंत्र का जाप कमलगट्टे की माला से 1100 बार करने से इच्छित वरदान की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही इस दिन माता दुर्गा को पुष्प, धूप, दीप, अक्षत, नैवेद्य चढ़ाना चाहिए। ऐसा करने से व्यक्ति का हर काम सफल होता है।
4. पुरोहितों के अनुसार इस दिन मोर की पूजा करने से संतान पर आया संकट टल जाता है।


5. स्कंद षष्ठी के दिन भगवान कार्तिकेय को कमल पुष्प और चक्र चढ़ाने से संतान सुधरती है।
6. अगर बच्चा गलत संगत में पड़ जाय तो उससे सुधारने के लिए स्कंद षष्ठी के दिन भगवान कार्तिकेय को मोर पंख, बूंदी से बने लड्डू, केसर और शंख चढ़ाना चाहिए।

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स्कंद षष्ठी व्रत का महत्वः भगवान कार्तिकेय भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र और देव सेनापति थे। इन्हें स्कंद, मुरुगन, सुब्रह्मण्यम समेत कई नामों से जाना जाता है। देव दानव युद्ध में इन्होंने तरकासुर का वध कर देवताओं और मनुष्यों को उसके अत्याचारों से मुक्त कराया था। मान्यता है कि इस व्रत को रखने से प्रतापी संतान की प्राप्ति होती है और वह दीर्घायु होता है। इसके अलावा व्रत रखने वाले का दुख दारिद्र सब दूर होता है। इस पूजा से व्यक्ति को हर काम में सफलता मिलती है और शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है।


कब है स्कंद षष्ठीः पंचांग के अनुसार फाल्गुन महीने में स्कंद षष्ठी 25 फरवरी शनिवार को पड़ रही है। फाल्गुन स्कंद षष्ठी की शुरुआत 25 फरवरी 12.31 एएम से हो रही है और यह तिथि 26 फरवरी 12.20 एएम तक है। दक्षिण भारत में यह व्रत छह दिन रखा जाता है, मान्यता है कि इसमें से एक दिन फलाहार किया जाता है।