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शनिश्चरी अमावस्या 2021: शनि देव को ऐसे करें प्रसन्न, जानें पूजा विधि और विशेष मंत्र

locationभोपालPublished: Mar 13, 2021 09:48:03 am

शनि देव की कृपा…

special puja vidhi and mantras for shani amavasya 2021

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शनि देव का सनातन धर्म में एक खास महत्व माना गया है, इन्हें सूर्य पुत्र के साथ ही न्याय का देवता भी माना जाता है।शनि को ज्योतिष में आपके कर्म का फल देना वाला ग्रह माने जाने के कारण इसे लेकर लोगों में भय भी बना रहता है।

जबकि न्याय के अधिष्ठाता शनि देव अगर दण्ड देते हैं तो प्यार भी करते है। जब शनि देव की कृपा बरसती है तो रंक को राजा बना देते है और जब तिरछी नजर पड़ती है तो राजा को भी रंक बना देते है।

पंडित और जानकारों के अनुसार हिंदू मान्यता के अनुसार अगर व्यक्ति के किसी भी काम में रुकावट आती है, तो कई मामलों में माना जाता है कि उसे शनिदेव की पूजा करनी चाहिए। कहा जाता है कि शनिदेव प्रसन्न होकर व्यक्ति के बिगड़े काम बना देते हैं। साथ ही हर काम में इंसान को सफलता हासिल होने लगती है।

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शनि की दो राशियां होती है मकर और कुम्भ। मकर एक चर राशि है व सम राशियों की श्रेणी में आती है। शरीर में यह मुख्य रूप से घुटनों का प्रतीक होती है। वात प्रकृति, रात्रिबली, वैश्य जाति और दक्षिण दिशा की स्वामी होती है।

शनि की दूसरी राशि कुम्भ होती है। कुम्भ विषम राशि, पुरूष प्रधान, स्थिर स्वभाव, दिनबली, पश्चिम दिशा की स्वामी, क्रूर स्वभाव, धर्म प्रिय और शूद्र की प्रथम सन्तान कहा गया है।

मनुष्य के कर्म और फल से शनिदेव संबंध रखते हैं। ऐसा कहा जाता है कि व्यक्ति का विवाह और संतान का सुख दोनों ही शनिदेव की कृपा के बिना नहीं होते हैं। शनिदेव को प्रसन्न कुछ खास उपायों से किया जा सकता है। वहीं ये भी मान्यता है कि जो कार्य शनि की कृपा से पूर्ण होते हैं, वे बहुत मजबूत होते हैं।

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ऐसे करें शनिदेव की पूजा…
1. शनिवार के दिन शनि की पूजा अर्चना से विशेष लाभ सूर्योदय के पहले या सूर्यास्त होने के बाद मिलता है।

2. तिल के तेल का दीपक काले या नीले आसन पर बैठकर जलाना चाहिए।

3. व्यक्ति अपना मुंह पश्चिम दिशा की ओर करके प्राणायाम करें।

4. शनिस्रोत का पाठ लगातार 7 बार सुबह और शाम को ऐसा 27 दिन तक करते रहें।

5. शनिदेव से अपनी समस्या के लिए प्रार्थना करें।

शनि मंत्र: क्षमा के लिए (Shani Mantra in Hindi)
अपराधसहस्त्राणि क्रियन्तेहर्निशं मया। दासोयमिति मां मत्वा क्षमस्व परमेश्वर।।
गतं पापं गतं दु: खं गतं दारिद्रय मेव च। आगता: सुख-संपत्ति पुण्योहं तव दर्शनात्।।

शनि मंत्र (Shani Dev Mantra)
शास्त्रों में शनि देव के कई सारे मंत्र बताए गए हैं और हर एक मंत्र से अलग तरह का लाभ जुड़ा हुआ है। इन मंत्रों का जाप कोई भी कर सकता है और यह मंत्र कारगर माने जाते हैं।
शनि देव मंत्र – 1
ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनये नमः।
ये मंत्र शनि देव का तांत्रिक मंत्र और इस मंत्र का जाप तांत्रिकों द्वारा अधिक किया जाता है।

शनि मंत्र – 2
ऊँ शन्नो देवीरभिष्टडआपो भवन्तुपीतये।
ये शनि देव का वैदिक मंत्र है और इसका जाप करने से शनि देव कुंडली में शांत बनें रहते हैं।
शनि देव मंत्र – 3
ऊँ शं शनैश्चाराय नमः।
ये शनि देव का एकाक्षरी मंत्र है और इसका जाप करने से शनि के बुरे प्रकोप से बचा जा सकता है।

शनि मंत्र – 4
ऊँ भगभवाय विद्महैं मृत्युरुपाय धीमहि तन्नो शनिः प्रचोद्यात्।।
शनि देव के साथ गायत्री मंत्र भी जुड़ा हुआ है और इस मंत्र का जाप करने से मन को शांति मिलती है।
इन चीजों का रखें खास ध्यान…
1. हमेशा सूर्योदय से पहले या सूर्यास्त के बाद शनिदेव की पूजा करनी चाहिए।

2. व्यक्ति को हमेशा साफ सुथरे कपड़े पहन कर और नहा कर शनिदेव की पूजा करनी चाहिए।
3. हमेशा सरसों के तेल या तिल के तेल का इस्तेमाल शनिदेव की पूजा में करना चाहिए।

4. व्यक्ति को शांत मन से हमेशा शनिदेव की पूजा करनी चाहिए।

5. काले या नीले रंग के आसन पर बैठकर शनिदेव की पूजा करें।
6. पीपल के पेड़ के नीचे शनि की पूजा करें।

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